For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

----------------------------------

 

अमित पूजा करने के बाद अपनी पत्नी व बच्चों के साथ पटाखे फोड़ने के लिए घर के बाहर आ गया । बच्चों को कुछ फुलझड़ियाँ जला कर दे दी और वह भी पटाखे फोड़ने लगा । सभी पटाखों मे व्यस्त थे । एक पाँच छह वर्ष का बालक पोल के नीचे चुपचाप खड़ा देख रहा था । शायद वह अकेला था । धीरे धीरे चलता हुआ वह उन पटाखों के समीप पहुंचा और एक फुलझड़ी का डिब्बा उठा लिया और भागने लगा । उस बालक को पटाखे चुराते देख अमित का बेटा नंदू उसके पीछे हो लिया । थोड़ी दूर पर झुग्गी बस्ती मे उसका घर था वह घर के बाहर से ही चिल्लाया , ‘गुड़िया देख मै तेरे लिए पटाखे ले आया ।‘ ‘और मिठाई !’ कहती हुई गुड़िया दौड़ कर बाहर आने लगी कि रास्ते मे किसी चीज से टकरा कर गिर पड़ी । वह देख नहीं सकती थी । ‘ मिठाई तो नहीं मिली’ , थोड़ा ठहर कर वह बालक बोला ।  ‘हम आज फिर भूखे ही रहेंगे’ ,  रुआसी होकर गुड़िया बोली । नंदू को समझते देर न लगी कि वह बालक जो उसके पटाखे उठा कर लाया है वह चोर नहीं है और  बहन गुड़िया के लिए उसने ऐसा किया है जो देख नहीं सकती  । नंदू घर गया अपने माता पिता को सारी बात बताई । कुछ पटाखों मिठाइयों दीयों के साथ वे सब उस बालक के घर पहुंचे और मिठाइयाँ और नए कपड़े बच्चों को दिये और सबने मिलकर दिवाली मनाई , पटाखे फोड़े मिठाई खाई । आज गुड़िया बहुत खुश थी उसके अंधेरे जीवन की ये सबसे अच्छी दिवाली थी ।    

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 1045

Replies to This Discussion

भावनाओं से ओतप्रोत रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें.... 

आपका हार्दिक आभार आ० श्याम नारायण जी । 

आदरणीया अन्नपूर्ण जी

मानवता से परिपूर्ण आपकी रचना पर आपको  भूरि भूरि  बधाई i

आपका हार्दिक आभार , आ० गोपाल नारायण जी । 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"जी ठीक है "
7 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित जी गिरह का ये  प्रयास कृपया देखियेगा  सादर  तमाम शहर में रोबोट ही नज़र…"
43 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय गिरिराज जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिए  अमित जी की बातें…"
51 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित जी  ग़ज़ल के प्रयास कि लिए बधाई स्वीकार कीजिए अमित जी की बात क़ाबिले  गौर…"
58 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय नीलेश भाई . ग़ज़ल पर उपस्थिति के लिए आपका  आभार आदरणीय अमित जी की बात समझ में आ गयी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित भाई ,  अब मुझे समझ आ गया है , आप मौसीकी   की  मात्रिकता पर …"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी — चढ़ता हुआ नशा सुरूर कहलाता है  —…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. रिचा जी अभीवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। "
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन,  सुझाव और  पुरानी गजल…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। मिसरों में बदलाव…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service