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राष्ट्रमंडल खेल : क्या देश की गरिमा बढेगी ?

कहाँ तक सही है ? राष्ट्र मंडल खेल का आयोजन, क्या इस खेल से देश की गरिमा बढ़ेगी ?

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देश की गरिमा बढ़ेगी या नही बढ़ेगी ये तो मैं नही जानता
. लेकिन हा एक बात ज़रूर है की राष्ट्रमंडल खेल से जुड़े तमाम लोगो की गरिमा के साथ साथ उनकी जेब की गरिमा ज़रूर बढ़ेगी



ratnesh raman pathak
abhi tak ki report me rastmandal khel ke nam par ek bahut bada ghotala ho raha hain ghotala se desh ka shan nahi badh raha hain.
जब तक खेल का आयोजन पूरा नही हो जाता तब तक कुछ भी नही कहा जा सकता | मगर मेरा ये मानना है की अगर यह आयोजन सफलता पूर्वक कर लिया जाता है तो निश्चित की देश की गरिमा बढ़ेगी| क्योंकि तब हमारे पास लोगों को , दुनिया को बताने के लिए बहुत कुछ होगा, जो की अभी कुछ भी नही है |जहाँ तक आयोजन की बात है , तो मेरा ये मानना है की हमारी आबादी तो इतनी है की अगर हम ठान लें तो ओलंपिक का भी सफल आयोजन करा सकते हैं| ज़रा सोचिए आप इस राष्ट्रमंडल खेलों की वजह से कितने हज़ार लोगों को रोज़गार मिला,कितने नये जगहों की पहचान हुई | तो इस वजह से खेलों के आयोजन को लेकर सवाल उठना मेरे नज़र मे बेमानी है, जिस देश मे क्रिकेट का विश्वकप आयोजित किया जा सकता है,उस देश मे ओलंपिक का आयोजन क्यों नही कराया जा सकता है ?, हमारे नेताओं के बात पर मत जाइए इन्हे सिर्फ़ अपने निजी स्वार्थ के सिवाए दुनिया के दुख दर्द या खुशी से कोई मतलब नही रहता है |ये सिर्फ़ लोगों की भावनाओ से खेलने के अलावा कुछ नही कर सकते हैं|
nahi do char naya karor pati paida ho jayenge,
राष्ट्रमंडल खेल अभी शुरू नही हुआ है , और कुछ ही दिन शेष बचे है | इसके दौरान असमाजिक तत्वों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है , जिसका जीवंत उदाहरण आज की घटना जो की हमारे ऐतिहासिक धरोहर {जामा मस्जिद } के समीप घटी है , जिसमे एक विदेशी अतिथि को चोट आयी है | ऐसे समय पर हम देशवासियों को प्रशासन के साथ मिलकर के इन असमाजिक तत्वों का मुहतोड़ जवाब देने की आवश्यकता है , ताकि राष्ट्रमंडल खेल का सही तरीके से आयोजन हो सके |
ek bhartiye ki drishti se to main kahunga ki rashtmandal khel hamare yahan hone hi chahiye ...lekin darta hun ki kahin yahan bhi hamare samaj ke barbole netagan apna ullu seedha karne ka hathyar na samjhe..


नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल शुरू होने में भले ही नौ दिन शेष बचे हैं, लेकिन सड़कें धंसने का सिलसिला थम नहीं रहा है। शुक्रवार, 24 सितंबर को प्रीत विहार के पास विकास मार्ग पर सड़क कई फुट गहराई तक धंस गई और इस सड़क पर कई जगह दरारें भी आ गर्ई।
अब आप ही बताइए की इस को देखने के बाद हम कौन सी गरिमा की उम्मीद कर सकते है .
रत्नेश रमण पाठक
आदरणीया पूजा जी, इस संवेदनशील मुद्दे को OBO के मंच से उठाने के लिये धन्यवाद, आज की स्थिति देख कर तो यही लगता हैं कि आयोजको ने देश की प्रतिष्ठा को धक्का पहुचाया है, क्या मजाक हो रहा है, खिलाड़ी आने लगे और खेल गाँव अभी तक तैयार नहीं, भोजपुरी मे एक बड़ी अच्छी कहावत है कि .......जबले बरात दुवारे न लाग जाव, दुवार बहरात ही रहेला ,........पर यहाँ तो यह हाल है कि खिलाड़ियों को खेलगांव मे न रखकर होटल मे रखना पड़ रहा है, अरबों खर्च करने के बाद भी यह स्थिति है, ढेर सारा पैसा इवेंट मैनेजमेंट consultant को दे दिया जायेगा, और फायदा क्या ? अंतराष्टीय मंच पर भारत कि थूथू , इस खेल के पीछे खेल कर रहे खिलाडियों को पकड़ कर उनका खेल ख़त्म करने की जरूरत है पर यह खेल ख़त्म करेगा कौन ? हमाम मे सब नंगे हैं नंगा नंगा को क्या नंगा करेगा |
आदरणीया पूजा जी!
नमस्कार

!'राष्ट्रमंडल खेल : क्या देश की गरिमा बढेगी ?'
आप ने यह सवाल उठा कर एक महत्वपूर्ण कार्य किया है जिसके लिए मै आपका आभार प्रकट करता हूँ एक और जाहँ देश में चारो और गरीबी का आलम है वहीँ इन भ्रशट नेताओं ने देश को अपमानित ही नहीं किया अपितु करोडो रुपया अपनी जेबों में भर लिया है !दूसरी और थीम सोंग रहमान द्वारा गवा कर जो की पहले ही देश वासियों को कुत्ता बता कर आस्कर आवार्ड ले आया है रही सही कसर पूरी करवा दी ! जब की आस्कर मदर इंडिया , जमी पे सितारे ,लगान ,हम आपके हैं कौन ,और भी कई अनेक अच्छी फिल्मे है जिनको मिलना चाहिए था और दुःख तो इस बात का है की हमारे ओ .बी .सी के सदस्य आदरणीय गुरु ’आज़र’ जी द्वारा लिखी नज्म को उनकी लाख कोशिशों के बावजूद इन भ्रष्ट नेताओं ने नकार दिया है !चार दिन पहले मैने ’आज़र’ साहिब से फोन पर बात की पहले तो उन्होंने इस विषय पर बात करने से मना कर दिया फिर जब मै भावुक हो गया तो उन्होंने बताया की आदरणीय योगी राज जी द्वारा जब उनको फोन किया गया तब इस न्जम का जिक्र उनसे भी किया था लेकिन योगी राज जी व ओ बी सी के सदस्यों ने इस न्जम को कोई खास महत्व नहीं दिया यदि यह नज्म कोमन वेल्थ गेम्स में हमारे सब के प्रयास करने पर शामिल हो जाती तो आज ओ .बी .सी गुरुप का नाम सारी दुनिया में जाना जाता !

गुरु’आज़र’ साहिब जी की बिना इज्जाद ग़ज़ल व नज्म पोस्ट कर रहा हूँ ! मुझे क्षमा करना !

आप मेरी बात से कहाँ तक सहमत है यह मै आप सब पर छोड़ता हूँ !

ग़ज़ल
अपने वतन कि खुशबू फ़ैली है कुल जहां में
रौशन हुए हैं तारे धरती के आसमां में

थामे हुए हैं सब ही इक दूसरे के बाजू
चेहरे अलग-अलग हैं वैसे तो करवां में

हर पत्ता है अनोखा,हर गुल की छ्वि निराली
सौ रगं के ये बूटे, हैं किसके गुलसितां में

इतिहास की जबां पर जिन्दा रही अब तक
इक दास्तां हमारी दुनिया की दस्तां में

नादान हैं वे "आज़र", जो जानते नही हैं
यदि शंख में है जादू ,तो रंग हैं अजां में
नज्म
अपने वतन के वास्ते कुर्बान अपनी जान है
संसार भर में शान अपनी ध्व्ज से पहचान है

हैं सन हजार दस में अपने खेल कौमन वैल्थ के
भारत तुम्हे पुकारता और दिल से करता मान है

नफ़रत मिटा के मन से हो बस खेलने की भावना
तन से लगन है जीतने की ये हमारी आन है

वो हार हो कि जीत हो, करेगा वक्त फ़ैसला
तुम्हे तो बस है खेलना, है रखना यहि ध्यान है

हिन्दु , ईसाइ ,पारसी या सिख वो मुसलमान हों
सब की वतन के वास्ते ये जान भी कुर्बान है

हम शांती के हैं पुजारी शुद्ध हमारी भावना
पैगाम अपना है मुहब्बत ये वतन की शान है

धन्यवाद

अभिनव खत्री

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"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
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