For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राष्ट्रमंडल खेल : क्या देश की गरिमा बढेगी ?

कहाँ तक सही है ? राष्ट्र मंडल खेल का आयोजन, क्या इस खेल से देश की गरिमा बढ़ेगी ?

Views: 1390

Reply to This

Replies to This Discussion

देश की गरिमा बढ़ेगी या नही बढ़ेगी ये तो मैं नही जानता
. लेकिन हा एक बात ज़रूर है की राष्ट्रमंडल खेल से जुड़े तमाम लोगो की गरिमा के साथ साथ उनकी जेब की गरिमा ज़रूर बढ़ेगी



ratnesh raman pathak
abhi tak ki report me rastmandal khel ke nam par ek bahut bada ghotala ho raha hain ghotala se desh ka shan nahi badh raha hain.
जब तक खेल का आयोजन पूरा नही हो जाता तब तक कुछ भी नही कहा जा सकता | मगर मेरा ये मानना है की अगर यह आयोजन सफलता पूर्वक कर लिया जाता है तो निश्चित की देश की गरिमा बढ़ेगी| क्योंकि तब हमारे पास लोगों को , दुनिया को बताने के लिए बहुत कुछ होगा, जो की अभी कुछ भी नही है |जहाँ तक आयोजन की बात है , तो मेरा ये मानना है की हमारी आबादी तो इतनी है की अगर हम ठान लें तो ओलंपिक का भी सफल आयोजन करा सकते हैं| ज़रा सोचिए आप इस राष्ट्रमंडल खेलों की वजह से कितने हज़ार लोगों को रोज़गार मिला,कितने नये जगहों की पहचान हुई | तो इस वजह से खेलों के आयोजन को लेकर सवाल उठना मेरे नज़र मे बेमानी है, जिस देश मे क्रिकेट का विश्वकप आयोजित किया जा सकता है,उस देश मे ओलंपिक का आयोजन क्यों नही कराया जा सकता है ?, हमारे नेताओं के बात पर मत जाइए इन्हे सिर्फ़ अपने निजी स्वार्थ के सिवाए दुनिया के दुख दर्द या खुशी से कोई मतलब नही रहता है |ये सिर्फ़ लोगों की भावनाओ से खेलने के अलावा कुछ नही कर सकते हैं|
nahi do char naya karor pati paida ho jayenge,
राष्ट्रमंडल खेल अभी शुरू नही हुआ है , और कुछ ही दिन शेष बचे है | इसके दौरान असमाजिक तत्वों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है , जिसका जीवंत उदाहरण आज की घटना जो की हमारे ऐतिहासिक धरोहर {जामा मस्जिद } के समीप घटी है , जिसमे एक विदेशी अतिथि को चोट आयी है | ऐसे समय पर हम देशवासियों को प्रशासन के साथ मिलकर के इन असमाजिक तत्वों का मुहतोड़ जवाब देने की आवश्यकता है , ताकि राष्ट्रमंडल खेल का सही तरीके से आयोजन हो सके |
ek bhartiye ki drishti se to main kahunga ki rashtmandal khel hamare yahan hone hi chahiye ...lekin darta hun ki kahin yahan bhi hamare samaj ke barbole netagan apna ullu seedha karne ka hathyar na samjhe..


नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल शुरू होने में भले ही नौ दिन शेष बचे हैं, लेकिन सड़कें धंसने का सिलसिला थम नहीं रहा है। शुक्रवार, 24 सितंबर को प्रीत विहार के पास विकास मार्ग पर सड़क कई फुट गहराई तक धंस गई और इस सड़क पर कई जगह दरारें भी आ गर्ई।
अब आप ही बताइए की इस को देखने के बाद हम कौन सी गरिमा की उम्मीद कर सकते है .
रत्नेश रमण पाठक
आदरणीया पूजा जी, इस संवेदनशील मुद्दे को OBO के मंच से उठाने के लिये धन्यवाद, आज की स्थिति देख कर तो यही लगता हैं कि आयोजको ने देश की प्रतिष्ठा को धक्का पहुचाया है, क्या मजाक हो रहा है, खिलाड़ी आने लगे और खेल गाँव अभी तक तैयार नहीं, भोजपुरी मे एक बड़ी अच्छी कहावत है कि .......जबले बरात दुवारे न लाग जाव, दुवार बहरात ही रहेला ,........पर यहाँ तो यह हाल है कि खिलाड़ियों को खेलगांव मे न रखकर होटल मे रखना पड़ रहा है, अरबों खर्च करने के बाद भी यह स्थिति है, ढेर सारा पैसा इवेंट मैनेजमेंट consultant को दे दिया जायेगा, और फायदा क्या ? अंतराष्टीय मंच पर भारत कि थूथू , इस खेल के पीछे खेल कर रहे खिलाडियों को पकड़ कर उनका खेल ख़त्म करने की जरूरत है पर यह खेल ख़त्म करेगा कौन ? हमाम मे सब नंगे हैं नंगा नंगा को क्या नंगा करेगा |
आदरणीया पूजा जी!
नमस्कार

!'राष्ट्रमंडल खेल : क्या देश की गरिमा बढेगी ?'
आप ने यह सवाल उठा कर एक महत्वपूर्ण कार्य किया है जिसके लिए मै आपका आभार प्रकट करता हूँ एक और जाहँ देश में चारो और गरीबी का आलम है वहीँ इन भ्रशट नेताओं ने देश को अपमानित ही नहीं किया अपितु करोडो रुपया अपनी जेबों में भर लिया है !दूसरी और थीम सोंग रहमान द्वारा गवा कर जो की पहले ही देश वासियों को कुत्ता बता कर आस्कर आवार्ड ले आया है रही सही कसर पूरी करवा दी ! जब की आस्कर मदर इंडिया , जमी पे सितारे ,लगान ,हम आपके हैं कौन ,और भी कई अनेक अच्छी फिल्मे है जिनको मिलना चाहिए था और दुःख तो इस बात का है की हमारे ओ .बी .सी के सदस्य आदरणीय गुरु ’आज़र’ जी द्वारा लिखी नज्म को उनकी लाख कोशिशों के बावजूद इन भ्रष्ट नेताओं ने नकार दिया है !चार दिन पहले मैने ’आज़र’ साहिब से फोन पर बात की पहले तो उन्होंने इस विषय पर बात करने से मना कर दिया फिर जब मै भावुक हो गया तो उन्होंने बताया की आदरणीय योगी राज जी द्वारा जब उनको फोन किया गया तब इस न्जम का जिक्र उनसे भी किया था लेकिन योगी राज जी व ओ बी सी के सदस्यों ने इस न्जम को कोई खास महत्व नहीं दिया यदि यह नज्म कोमन वेल्थ गेम्स में हमारे सब के प्रयास करने पर शामिल हो जाती तो आज ओ .बी .सी गुरुप का नाम सारी दुनिया में जाना जाता !

गुरु’आज़र’ साहिब जी की बिना इज्जाद ग़ज़ल व नज्म पोस्ट कर रहा हूँ ! मुझे क्षमा करना !

आप मेरी बात से कहाँ तक सहमत है यह मै आप सब पर छोड़ता हूँ !

ग़ज़ल
अपने वतन कि खुशबू फ़ैली है कुल जहां में
रौशन हुए हैं तारे धरती के आसमां में

थामे हुए हैं सब ही इक दूसरे के बाजू
चेहरे अलग-अलग हैं वैसे तो करवां में

हर पत्ता है अनोखा,हर गुल की छ्वि निराली
सौ रगं के ये बूटे, हैं किसके गुलसितां में

इतिहास की जबां पर जिन्दा रही अब तक
इक दास्तां हमारी दुनिया की दस्तां में

नादान हैं वे "आज़र", जो जानते नही हैं
यदि शंख में है जादू ,तो रंग हैं अजां में
नज्म
अपने वतन के वास्ते कुर्बान अपनी जान है
संसार भर में शान अपनी ध्व्ज से पहचान है

हैं सन हजार दस में अपने खेल कौमन वैल्थ के
भारत तुम्हे पुकारता और दिल से करता मान है

नफ़रत मिटा के मन से हो बस खेलने की भावना
तन से लगन है जीतने की ये हमारी आन है

वो हार हो कि जीत हो, करेगा वक्त फ़ैसला
तुम्हे तो बस है खेलना, है रखना यहि ध्यान है

हिन्दु , ईसाइ ,पारसी या सिख वो मुसलमान हों
सब की वतन के वास्ते ये जान भी कुर्बान है

हम शांती के हैं पुजारी शुद्ध हमारी भावना
पैगाम अपना है मुहब्बत ये वतन की शान है

धन्यवाद

अभिनव खत्री

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कभी इधर है कभी उधर है भाती कभी न एक डगर है इसने कब किसकी है मानी क्या सखि साजन? नहीं जवानी __ खींच-…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय तमाम जी, आपने भी सर्वथा उचित बातें कीं। मैं अवश्य ही साहित्य को और अच्छे ढंग से पढ़ने का…"
6 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय सौरभ जी सह सम्मान मैं यह कहना चाहूँगा की आपको साहित्य को और अच्छे से पढ़ने और समझने की…"
8 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह मुकरियाँ .... जीवन तो है अजब पहेली सपनों से ये हरदम खेली इसको कोई समझ न पाया ऐ सखि साजन? ना सखि…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"मुकरियाँ +++++++++ (१ ) जीवन में उलझन ही उलझन। दिखता नहीं कहीं अपनापन॥ गया तभी से है सूनापन। क्या…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
22 hours ago
Aazi Tamaam posted blog posts
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service