For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-29 (विषय: अनकहा)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 28 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, वह सच में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उनपर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-29
विषय: "अनकहा"
अवधि : 30-08-2017 से 31-08-2017 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
10. गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 17710

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहब आप को लघुकथा सुंदर लगी, यह पढ़ कर लगा कि मेरी मेहनत सफल हो गई. शुक्रिया आप का.
कुछ टीटी आम आदमी की मजबूरी का फ़ायदा उठाते है पर कुछ मददगार भी होते है उम्दा कथा है बधाई आद० ओम भाई जी ।
आदरणीय नीता कसार दीदीजी आप की स्नेही टिप्पणी के लिए शुक्रिया आप का.

वाह बेहतरीन कथा शीर्षक को सार्थक करती हुयी साथ ही प्रेरक भी | कहते है ये टी टी ,पुलिस देख कर समझ जाते है कौन सही है कौन गलत 

आदरणीय सुनीता अग्रवाल जी आप का बहुतबहुत आभार. आप ने लघुकथा को अपना समर्थन दिया.

आदरणीय ओमप्रगास जी, बहुत प्रभावशाली रचना है । हालांकि मेरी तुच्‍छ बुद्धि के अनुसार अनकहा विषय को पूरी तरह सार्थक तो नहीं कर पर रही परन्‍तु यह एक बढ़ीया रचना है । इस लघुकथा का अंत मुझे बहुत पसंद आया। शीर्षक जुर्माना भी अच्‍छा शीर्षक चयन है । सादर

आदरणीय रवि प्रभाकर जी आप का कहना सही है.अनकहा उस तीव्रता से उभर नहीं पाया, जिस तरह का आप चाह रहे हैं. यह बात आदरणीय चंद्रेश जी ने भी कही हैं. यह लघुकथा की कमी विषय में बाधित हो रही है. आप की इस बात से मैं पुर्णतः सहमत हूँ. शुक्रिया आप का इस कमी को इंगित करने के लिए.
आदरणीय ओम प्रकाश जी रचना का लंबा होना अक्सर रचना को बोझिल कर देता है लेकिन आपकी लेखनी ने कथा को दिलचस्प बनाबना दिया है। टी टी की मानसिकता जो सही व्याक्ति की पहचान रखती है, को आपने अनकहे का आधार बनाया है। लेकिन ये पूरीपूरी तरह उभर नही पाया है। बरहाल इसके बाबजूद रचना बहुत उम्दा बनी है जिसके लिये आपको बधाई देना भी बनता है भाई जी। सादर बधाई ओमप्रकाश जी।

वाह ! आदरणीय ओम प्रकाश जी , बहुत ही धारा प्रवाह लघु कथा बन पड़ी है । बधाई आपको । 

अच्छे और सच्चे लोग भी हैं, बढ़िया रोचक रचना विषय पर| बधाई आपको

जनाब ओमप्रकाश क्षत्रिय जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती बढ़िया लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
'इंसानी सोच'
साहब! क्या देखते हो रोज-रोज इस तरह हमें, ये आप ही लोगों की फैलाई गंदगी को साफ़ करती हूँ मैं!" अपनी ओर नजरें टिकाये साहब को देख, बिट्टो आज चुप न रह सकी।
हालांकि ये कोई नई बात नही थी शर्माजी अक्सर सुबह अपने बंगले के शानदार गेट पर खड़े हो कर उसे देखा करते थे। लेकिन आज काम की अधिकता के चलते शायद बिट्टो तनाव में थी और बाकी दिनो की अपेक्षा तेज हाथ चला रही थी जब उसे शर्माजी का खुद को देखना खल गया।
"नही भई, ऐसी कोई बात नही है दरअसल मुझे तेरी अपने काम के प्रति ये लगन बहुत अच्छी लगती है जो मैं कई दिन से देख रहा हूँ।" शर्माजी मुस्कराते हुये कहने लगे। "और मैं चाहता हूँ कि तुम्हे मोहल्ले में होने वाले सफाई अभियान का 'हेड' बनाया जाए।"
"साहब, हम क्या करेंगे हेड बनकर...?"
"अरे बहुत कुछ। ठहर जरा, पानी पीकर करते है बात।" कहते हुए उन्होंने नौकर को आवाज लगाकर दोनों के लिये पानी लाने के लिये कहा और आगे बोलने लगे। "देख बिट्टो, तुझे लोगों को सफाई के लिये जागरूक बनाना है, लोगों को सफाई के बारें में बताना है और उनकी सोच को बदलने का प्रयास.....।"
"अब रहने दो साहब..." बिट्टो ने उनकी बात बीच में ही काट दी। "...हम लोग तो समाज की वो कालिख है जिसे लोग अपनी दहलीज पर भी बैठाने से पहले दस बार सोचते है। हमारी बात सुनेंगे लोग?"
"क्यों नही?... बिट्टो ये सब बातें अब पुरानी हो गयी, समय बदल गया है।"
"हां साहब, समय तो बदल गया है, हमारे हालात भी बदल गए है। पर शायद इंसान की सोच.....।" अपनी बात कहते हुये बिट्टो की नजरें सहज ही शर्माजी के पीछे पानी लेकर आते नौकर पर जा टिकी थी। जो कुछ ही क्षण में खूबसूरत ट्रे में, एक 'बोरोसिल गिलास' के साथ एक 'डिस्पोज़ल गिलास' में पानी लिए ठीक उनके सामने आ खड़ा हुआ था।
"मौलिक व् अप्रकाशित"

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service