For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 (विषय: ढहते क़िले का दर्द)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के 22 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत हैI प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22
विषय : "ढहते क़िले का दर्द"
अवधि : 30-01-2017 से 31-01-2017 
.
बहुत से साथियों ने अनुरोध किया है कि जटिल प्रदत्त विषय के सम्बन्ध में यदि थोडा सा इशारा कर दिया जाए तो रचनाकारों को सही दिशा की ओर बढ़ने में सुविधा होगीI "क़िला" एक रूपक की तरह लिया गया हैI यह "क़िला" कोई व्यक्ति हो सकता है, कोई संस्थान हो सकता है, किसी का विश्वास या आत्मविश्वास हो सकता है, कोई विचार या विचारधारा हो सकती है, कोई मिथक हो सकता है, किसी का अधिकार या एकाधिकार हो सकता था, कोई राष्ट्र हो सकता है या फिर स्वयं कोई क़िला भी हो सकता हैI तो आइए साथियों, इस विषय को सार्थक करती लघुकथाएँ प्रस्तुत कर आयोजन की शोभा बढायेंI    
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2.  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 15581

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

मुह्तरम जनाब सुधीर साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती सुंदर लघु कथा हुई है जिस
के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ---

वाह! सुधीर भाई , हर बार की तरह शानदार कथा।बधाई।
बहुत बढ़िया शिल्प में विषयांतर्गत अनुपम सृजन हेतु सादर हार्दिक बधाई आदरणीय सर जी। बांध के प्रतीक से, तुलना से कथ्य बाख़ूबी उभरा है। हमें लेखन की इस बेहतरीन शैली से परिचित कराकर कुछ सीखने का अवसर देने हेतु सदर हार्दिक आभार।
आज के पारिवारिक माहौल का आईना है ये कथा, और बांध का प्रतीक कथा के सौंदर्य में चार चांद लगा रहा है। कथा में कुछ अस्पष्ट रह गया जो सर इंगित भी किया। बाक़ी तो आपकी लेखनी के प्रशंसक हम सदा से ही है । इस रचना के लिए बधाई अनुज!
बाँध और दादू की तुलनात्मक प्रक्रिया बहुत ही बेहतरीन ढंग से उभर कर आयी है कथा में।बहुत बहुत बधाई अनुज।

आह 
.
"अरे रमुआ, इधर तो आ। ये बता बाहर इतना शोर क्यों हो रहा है।"
"मालिक, बहुरानी रसोई के लिए एक नयी मशीन लायी हैं जिसमे सारे बर्तन एक साथ धुल जाते हैं। कम्पनी से आदमी आया है लगाने।"
"वाह कपड़ों के लिए मशीन, खाना बनाने के लिए मशीन, बर्तन धोने के लिए मशीन, साफ़ सफाई के लिए मशीन। पूरे घर में मशीन ही मशीन !"
"हाँ मालिक। आजकल सभी के घर मशीनों से ही काम होने लगा है। हमारी बहुरानी भी ले आयीं। महरियों की छुट्टी हो गयी इस सोसाइटी से।"
"रमुआ, ये कोई सोसायटी है? मुझे तो श्मशान लगता है! महरियों और धोबियों के आने से कम से कम थोड़ी बहुत चहलपहल तो होती थी। उनलोगों से बाहर की दुनियाँ का भी कुछ हालचाल पता चल जाता था।"
"हाँ मालिक, सही कह रहे हैं। आप तो बिस्तर पर ही पड़े रहते हैं और मैं भी आपके साथ इसी कमरे में।" कहते कहते झेंप गया रमुआ।
"इनसे कहो कोई ऐसी मशीन भी ले आये जिसमे इंसानों को डाल कर भी धोया जा सके ताकि ये जो अकेलापन और उम्मीदें हैं न, वो भी पूरी तरह धुल जाए। कम्बख़्त बुढापे में तकलीफ बहुत देते हैं।"
करवट बदलते हुए एक हल्की सी आह निकल गयी उनके मुँह से।
"सुन, जरा इधर आकर पानी तो पिला मुझे, खिड़की से क्या झाँक रहा है बाहर?"
"कुछ नही बड़े मालिक, देख रहा हूँ सूरज कैसे धीरे धीरे ढलता जा रहा है।"
"हाँ रमुआ, और शायद हम भी"
इस बार बड़े मालिक की आह कुछ ज्यादा ही लम्बी थी।
.
मौलिक एवं अप्रकाशित

अपना समय रेत की तरह फिसलता जा रहा हैं इस बात का अहसास दिलाती बढ़िया कथा के लिए हार्दिक बधाई आ.माला झा जी
तहेदिल से शुक्रिया आ०अर्चना जी।

आदरणीया माला जी, वक़्त बदल रहा है, हालात बदल रहे हैं, मशीनीकरण ने व्यक्ति को सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं तो कुछ श्रमिकों से उनकी आजीविका भी छीनी है. मशीनी एकान्तता ने सामाजिकता को भी प्रभावित किया है. बुजुर्गों को एकांतवास हेतु विवश किया है. एक बुजुर्ग के कथन से प्रदत्त विषय को सार्थकता देता बढ़िया कथानक बुना है आपने. इस सफल लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई. सादर 

बहुत बहुत धन्यवाद सर जी।

आभार आपका 

मशीनी युग में मानव से अधिक महत्व मशीनों को दिया जा रहा है और यह मानव द्वारा ही किया जा रहा है। एक महत्वपूर्ण प्रश्न को आपने एक खूबसूरत जामा पहनाया है आ. माला दीदी ! बधाई स्वीकारें।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service