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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 162 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |

इस बार का मिसरा जनाब 'शकील' बदायूनी साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

'दिल है कि सोगवार-ए-महब्बत है आज कल'

मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन
221 2121 1221 212

मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मक़्फ़ूफ़ महज़ूफ़

रदीफ़ --है आज कल

क़ाफ़िया:-(अत की तुक) क़यामत, इनायत,वहशत,शुहरत,इजाज़त आदि...

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 28 दिसंबर दिन गुरुवार को हो जाएगी और दिनांक 29 दिसंबर दिन शुक्रवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी

नमस्कार! बहुत बहुत धन्यवाद।

आ. अमित जी,

मुशायरे का शानदार आग़ाज़ करने के लिए बधाई .
//ये जो भी है तुम्हारी बदौलत है आज कल // इस मिसरे में यूँ तो ग़लत कुछ भी नहीं लेकिन ये बह'र के फ्लो के साथ बह नहीं रहा है. 
अमीरुद्दीन साहब के पॉइंट से सहमत हूँ कि फ़ितरत एक कंटिन्यू फॉर्म है जो आज कल वाली रदीफ़ को उतने बेहतर ढंग से कैरी नहीं कर रहा जैसा बाकी अशआर में है .
अच्छी ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाईयाँ ..

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar  जी नमस्कार।

आपके सुझाव विचारणीय हैं।

दाद और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:।

मुशायरे का अच्छा आरम्भ करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय अमित जी। मतला और गिरह के साथ ही सम्पूर्ण ग़ज़ल अच्छी लगी। बहुत शुभकामनाएँ।

आदरणीय Gajendra shrotriya जी आदाब,

आपकी दाद और हौसला अफ़जाई के लिए हृदय तल से आभारी हूँ।

  1. आदरणीय अमित जी नमस्कार। बेहतरीन ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकारें।सिह्हत के बारे में नई जानकारी मिली। धन्यवाद।

 बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद जी

आदरणीय Rachna Bhatia जी नमस्कार, 

आपकी बेशक़ीमती दाद के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

बिहतरीन ग़ज़ल सर जी। इस मंच सेऔर आप सब उस्तादों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। मेरी बधाइयांँ स्वीकार करिये आदरणीय।

आदरणीय देवेश जी नमस्कार

आपकी बेशक़ीमती दाद और हौसला अफ़जाई के लिए

बहुत बहुत धन्यवाद।

जनाब अमित जी आदाब, तरही मिसरे पर उम्द: ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें I 

आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम Samar kabeer साहिब सादर चरण स्पर्श 

बहुत बहुत धन्यवाद। मेरे लेखन में जो भी उम्दा: है वो

आपकी ही बदौलत है। आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन

सदैव हमको मिलता रहे ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है गुरुदेव।

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"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
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सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
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"धन्यवाद आदरणीय "
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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

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