For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-124

विषय - "प्रेम बिना जग सूना"

आयोजन अवधि- 13 फरवरी 2021, दिन शनिवार से 14 फरवरी 2021, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.

ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 13 फरवरी 2021, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक
ई. गणेश जी बाग़ी 
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम परिवार

Views: 2645

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

गजल

२१२२/२१२२/२१२२/२१२


नेह जीवन  का  अहम  पहलू सभी के वास्ते
ज्यों किरण की हर चमक है रौशनी के वास्ते।१।
*
नेह कलियों से न भौंरा गर करे तो जान लो
फूल बनना  है  असम्भव हर कली के वास्ते।२।
*
धूप मिट्टी जल हवा का नेह मिलता बीज को
फूटता नव  अंकुरण  तब  जिन्दगी  के वास्ते।३।
*
शक्ति जो अनुराग शिव का खो अधूरे थे हुए
पूर्ण फिर  जग  में  हुए  भवमोचनी के वास्ते।४।
*
नेह का उपहार अनुपम है जगत में साथियों
राम  ने  जो  सेतु  बाँधा  जानकी  के  वास्ते।५।
*
चाँद का अनुराग जीवन है चकोरों को अगर
प्रीत हलधर की  सुखद  है  मेदिनी के वास्ते।६।
*
नेह बिन सूना जगत है सत्य कहते हैं तभी
काटे  माझी  पर्वतों  को  संगिनी के वास्ते।७।
*
नित ढला है गीत कविता या गजल के रूप में
नेह  शब्दों  का  'मुसाफिर'  लेखनी  के  वास्ते।८।

मौलिक/अप्रकाशित

सादर प्रणाम मुसाफिर सर

प्रेम को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा है

बहुत खूब ग़ज़ल हुई है

बधाई स्वीकारें

आ. भाई आज़ी तमाम जी, रचना पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार।

आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'भाई नमस्कार। प्रेम विषय पर अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें। 'साथियों' को 'साथियो' कर लें। सादर।

आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।

मुसाफिर जी पहली बार पढ़ा आपको और नया सदस्य हूँ। मज़ा आ गया पढ़ कर। बधाई स्वीकार करे

आ. भाई राहुल जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।

साथ ही ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत ।निरंतर उपस्थिति बनाए रखें और अपनी रचनाओं से रूबरू कराते रहिए । सादर

आदरणीय मुसाफ़िर जी एक छात्र की तरह से इस समूह से जुड़ने की कोशिश कर रहा हूं। कई वर्षों से बिना छत्रछाया स्वतंत्र रूप से लिख रहा था। एक सुझाव पर इस मंच से जुड़ा हूं। ग़ज़ल के तकनीकी ज्ञान से परे लिखने का दुस्साहस करता रहता हूं पर इस मंच पर कुछ लिखने के पहले कुछ सीखने की कोशिश करूंगा। यद्यपि महोत्सव में कुछ लिखने का लोभ संवरण न कर सका इस लिए एक ग़ज़ल सी लिखी है। उचित मार्गदर्शन का आकांक्षी हूं। आज मेरी इस मंच पर पोस्ट रचना बिना किसी तालीम के है अतएव गुस्ताखी के लिए मुआफ़ी चाहूंगा।

भाई राहुल जी, यह मंच सीखने सिखाने के लिए ही है । गुणीं जनों के सानिन्ध्य में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। बस उपस्थिति बनाए रखिए।

दोहे 

आओ करना छोड़ दें, नफ़रत का व्यापार
बन जाएगा प्रेम फिर, जीवन का आधार।

प्रेम बनाता है सदा, जीवन को गुलज़ार
प्रेम रंग जब ना रहे, सूना हो संसार।

दिल में चाहत हो भरी, मन में हो विश्वास
बाँधे डोरी प्रेम की, दूर रहें या पास।

आँखों से तुम दूर हो, पर दिल के हो पास
साँसों में तुम हो बसे, कैसे रहूँ उदास।

तुझको ही देखूँ-सुनूँ, बढ़ती जाए प्यास
नेह बरसता आँख से, भरते शब्द मिठास।

तू ही तू का जापकर, अपनी मैं को मार
मैं-मैं करता जो रहे, कभी न पाता प्यार।

मत बनने देना इसे, जिस्मों का व्यापार
जिसमें हो ना वासना, पावन हो वो प्यार।

मौलिक व अप्रकाशित 

Dilbag virk ji सादर प्रणाम

मुझे कुछ इस तरह ज्यादा लयबद्ध लगा

दिल में चाहत हो भरी मन में हो विश्वास

बांध लो डोरी प्रेम की दूर रहो या पास

बाकी तो जो आपका है वो भी बेहद अच्छा है

क्या बात है बेहतरीन दोहा है

बधाई स्वीकार करें

शुक्रिया 

यही सब जानना है कि क्या क्या सुधार हो सकता है 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Mamta gupta posted a blog post

ग़ज़ल

मुझ को मेरी मंज़िल से मिला क्यूँ नहीं देते आख़िर मुझे तुम अपना पता क्यूँ नहीं देतेजज़्बात के शोलों को…See More
yesterday
Amod Kumar Srivastava posted a blog post

संबंध

"इस रात की खामोशी में, मुझे चीखने दो,फिर एक बार, मैं ठहर जाऊंगा ....चरागों का धुआं कुछ कह गया,जैसे…See More
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल ; पतझड़ के जैसा आलम है विरह की सी पुरवाई है

२२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २पतझड़ के जैसा आलम है विरह की सी पुरवाई हैये कैसा मौसम आया है जिसका रंग ज़ुदाई…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 172 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 160

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"जितनी भी कोशिश करो, रहता नहीं अखण्ड। रावण  हो  या  राम का, टिकता नहीं…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"हार्दिक आभार आदरणीय दिनेश कुमार जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"सारगर्भित मुक्तकों के लिए बधाई प्रेषित है आदरणीय..सादर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीय दिनेशकुमार विश्वकर्मा जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीया, प्रतिभा पाण्हे जी,बहुत सरल, सार-गर्भित कुण्डलिया छंद हुआ, बधाई, आपको"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service