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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-122 

विषय - "अन्नदाता"

आयोजन अवधि- 12 दिसंबर 2020, दिन शनिवार से 13 दिसंबर 2020, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.

ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 12 दिसंबर 2020, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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ई. गणेश जी बाग़ी 
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
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बेहतरीन हाइकु के लिए सादर बधाई

प्रदत्त विषय पर सुन्दर हाइकु। हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया बबीता जी।

आ. बबीता जी, प्रदत्त विषय पर सुन्दर हाइकू हुए हैं ।हार्दिक बधाई ।

अन्नदाता

काँप रहा भारत का वैभव, देखो अत्याचारों से
कृषक विचारे कुपित हुए हैं,इन ज़ुल्मी सरकारों से
विकल हुआ मन हर किसान का सदा क्रूर व्यवहारों से
दिग्मण्डल कम्पित होता है, जुल्म विरोधी नारों से।

बलाक्रान्त हैं भ्रांत सभी जन, हुक्मरान के घातों से
गरल उगलकर विक्षत करते, दम्भी ओछी बातों से
कृषक आठ आँसू रोते हैं, खेतों औ खलिहानों में
वेसुध पीड़ा तड़प रही है, देखो आज सिवानों में।

नहीं तज़ुर्बा मद-स्वामी को,कौन आज समझायेगा
दमन-चक्र से अन्न विधाता,कब तक अश्रु बहायेगा
रुपया पैसा सोना चानी, कैसे कोई खायेगा
अन्न बिना ये दृश्यमान जग,मिट्टी में मिल जाएगा।

वज्र हृदय उपधान त्याग कर,आँख उनींदी छोड़ेंगे
किसान हित में आगे आकर, सबसे नाता जोड़ेंगे
किसान मस्तक ऊँचा होगा,हिन्द भाग्य खुल जाएगा
कोना-कोना पुलकित होगा,जब किसान मुस्काएगा।

मौलिक /अप्रकाशित

अन्नदाता पर सार्थक सृजन। हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय डाॅ छोटेलाल सिंह जी

आ. भाई छोटेलाल जी, सादर अभिवादन । अन्दाता पर सुन्दर ओजपूर्ण रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

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