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लघुकथा : रंग
“सुमन आई लव यू”
“आई लव यू सुमन......”
“जवाब क्यों नहीं देती ? आज मैं दसवीं बार कह रहा हूँ”
“रोहित मेरा रास्ता छोड़ो, गाँव से यहाँ मैं पढ़ाई करने आयी हूँ और यह प्यार मुहब्बत की बातें मुझे समझ में नहीं आती”
“पर मैं तुमसे सच्चा प्यार करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ”
“हम्म ! ठीक है, कल सोच विचार कर के मंदिर में आना, वही हम दोनों प्यार की कसमे खायेंगे”
“ठीक है”
“और हाँ... हम साथ में यह भी कसम खायेंगे कि शादी से पहले एक दुसरे को नहीं छूयेंगे”
सुमन मंदिर में इन्तजार करती रह गयी. रोहित ने अपना असल रंग दिखा दिया था.
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
आयोजन का फीता काटने के लिए हार्दिक बधाई सर
आभार आदरणीय मिथिलेश जी.
आदरणीय बागी सर, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है. प्यार में आस्था की बजाय ढोंग वाले लोगों का प्यार यूं ही कपूर की टिकिया सा उड़ जाता है. जबरदस्त कटाक्ष. इस सफल लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई.
आदरणीय मिथिलेश जी, आपको लघुकथा अच्छी लगी, मेरा प्रयास सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार.
फीता काटती रचना के लिये बधाई सर.झूटी कसमे,झूटे वादे अपना असली रंग दिखा गए
सकरात्मक प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया नयना जी.
आदरणीया कांता जी, इस प्रयास पर आपका अनुमोदन प्राप्त हुआ, मन हर्षित है, बहुत बहुत आभार.
इस प्रयास पर आपका आशीर्वाद प्राप्त हुआ, बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय जोशी जी.
बहूत बढ़िया कथा | सच्चा प्यार ऐसे ही खो जाते हैं | बधाई आपको
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