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मनोज कुमार सिंह 'मयंक''s Discussions (242)

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"आदरणीया राजेश कुमारी जी...सुन्दर शेरों से सजे बेहतरीन गजल के लिए दिली दाद कबूल करें.…"

मनोज कुमार सिंह 'मयंक' replied Mar 30, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed)

1280 Mar 31, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"आदरणीय मुकेश भाई चिराग जी अच्छी गजल बन पड़ी है.. सूनी आँखों से देखती हो क्या मेरी आँख…"

मनोज कुमार सिंह 'मयंक' replied Mar 30, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed)

1280 Mar 31, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"आदरणीय जैफ भाई..कमाल की गज़ल कही है आपने..हरेक मिसरे लाजबाव हैं...सभी के लिए दाद कबूल…"

मनोज कुमार सिंह 'मयंक' replied Mar 30, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed)

1280 Mar 31, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"मैं उजाला नहीं हूँ सूरज का मुझको बाहर तलाशती हो क्या छाछ भी फूँक फूँक पीती हो तुम कभ…"

मनोज कुमार सिंह 'मयंक' replied Mar 30, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed)

1280 Mar 31, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"मैं गलत और तुम सही हो क्या रात भर खुद से ही लड़ी हो क्या.......वाह क्या बात है शानदा…"

मनोज कुमार सिंह 'मयंक' replied Mar 30, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed)

1280 Mar 31, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"ऐ बहारों की बोलती बुलबुल, क्यों हुई मौन, बंदिनी हो क्या?...आदरणीया कल्पना जी..शब्दों…"

मनोज कुमार सिंह 'मयंक' replied Mar 30, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed)

1280 Mar 31, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"यूँ सरे बज़्म तज्किरा क्यूँ है मेरा दिल दर्द से तही हो क्या क्यूँ नज़र ये झुकी-झुकी…"

मनोज कुमार सिंह 'मयंक' replied Mar 30, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed)

1280 Mar 31, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"दौड़ती हाँफती नदी हो क्या इक समन्दर तलाशती हो क्या....अरे वाह क्या बात है..इस मतले न…"

मनोज कुमार सिंह 'मयंक' replied Mar 30, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed)

1280 Mar 31, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"सब खिले हैं बहार आने पर पतझड़ों में कभी खिली हो क्या सो गया दिन तो करवटें लेके रात म…"

मनोज कुमार सिंह 'मयंक' replied Mar 30, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed)

1280 Mar 31, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी, रोज मुझमें तलाशती हो क्या वस्ल की शब बुझे बुझे क्यूँ हो,…"

मनोज कुमार सिंह 'मयंक' replied Mar 30, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-45 (Now Closed)

1280 Mar 31, 2014
Reply by Saurabh Pandey

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"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
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