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Pallav Pancholi's Discussions (16)

Discussions Replied To (16) Replies Latest Activity

"धरा सींची थी जिस बेटे ने अपने ही पसीने से जला चूल्हा नही घर उसके पिछले इक महीने से…"

Pallav Pancholi replied Dec 28, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १८ (Now Closed With 424 Replies)

424 Dec 31, 2011
Reply by Saurabh Pandey

"इन दिनों व्यस्तता के कारण सिर्फ़ इक मुक्तक ही लिख पाया हूँमैं अपने गीत गाता हूँ तुझे…"

Pallav Pancholi replied Dec 10, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १४ (Now Closed with 730 Replies)

730 Dec 11, 2011
Reply by satish mapatpuri

"आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया की आपने मेरी हॉंसला अफ़ज़ई की.... आशा करता हूँ आप सभी…"

Pallav Pancholi replied Nov 29, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"जहाँ का हाल थोड़ा और भी बहतर बना लेतेअगर इंसानियत का इक यहाँ मन्दर बना लेतेबहुत उँची…"

Pallav Pancholi replied Nov 27, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १७

674 Nov 29, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"आदरणीय सौरभ जीआपकी बात शत प्रतिशत सही है, मैं कुछ व्यक्तिगत एवं कुछ दूसरे कार्यों मे…"

Pallav Pancholi replied Nov 22, 2011 to वास्तविक कवि और शायर

19 Nov 22, 2011
Reply by Pallav Pancholi

"अभी कुछ दिनों पहले शहर के इक कवि से मुलाकात हुई... उन्हे मैने अपनी कुछ रचनाएँ सुनाई.…"

Pallav Pancholi replied Nov 21, 2011 to वास्तविक कवि और शायर

19 Nov 22, 2011
Reply by Pallav Pancholi

"आज तेरे प्यार का इकरार होना चाहिएइश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिएडूबने का है मजा…"

Pallav Pancholi replied Sep 30, 2011 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १५( Now closed with Record 1063 Replies for Mushayra )

1063 Oct 1, 2011
Reply by adarshini srivastava

"aap sabhi ki sallaah hetu dhanyawaad us sher me siraf dhokha karaya hai likhna tha p…"

Pallav Pancholi replied May 30, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-११(Now Close)

235 May 30, 2011
Reply by Hilal Badayuni

"मैने एडमिन जी को तरही मिसरे वाला शेर भेज दिया है मेरी ग़ज़ल मैं जोड़ने के लिए ... आप…"

Pallav Pancholi replied May 28, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-११(Now Close)

235 May 30, 2011
Reply by Hilal Badayuni

"ख़ुदा जाने कॅ बंदों ने किया क्या ; क्या कराया है तिजारत की वफ़ा की , मज़हबी सौदा कराया…"

Pallav Pancholi replied May 28, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-११(Now Close)

235 May 30, 2011
Reply by Hilal Badayuni

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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह-मुकरी * प्रश्न नया नित जुड़ता जाए। एक नहीं वह हल कर पाए। थक-हार गया वह खेल जुआ। क्या सखि साजन?…"
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कभी इधर है कभी उधर है भाती कभी न एक डगर है इसने कब किसकी है मानी क्या सखि साजन? नहीं जवानी __ खींच-…"
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Saurabh Pandey commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय तमाम जी, आपने भी सर्वथा उचित बातें कीं। मैं अवश्य ही साहित्य को और अच्छे ढंग से पढ़ने का…"
14 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय सौरभ जी सह सम्मान मैं यह कहना चाहूँगा की आपको साहित्य को और अच्छे से पढ़ने और समझने की…"
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह मुकरियाँ .... जीवन तो है अजब पहेली सपनों से ये हरदम खेली इसको कोई समझ न पाया ऐ सखि साजन? ना सखि…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"मुकरियाँ +++++++++ (१ ) जीवन में उलझन ही उलझन। दिखता नहीं कहीं अपनापन॥ गया तभी से है सूनापन। क्या…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
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Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
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