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मिथिलेश वामनकर's Discussions (7,360)

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सदस्य टीम प्रबंधन

"बड़ी अच्छी बह्र है  'खामोश रहेंगे और तुम्हे हम अपनी कहानी कह देंगे' 22 112 22 112 22…"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-49 की सभी रचनाओं का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

32 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

प्रधान संपादक

"तमाम उम्र समेटा जिसे समझ अपनापता चला कि सिफ़र के सिवा कुछ और नहीं वाह वाह "

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-48 में प्रस्तुत सभी रचनाएँ

23 Jul 19, 2021
Reply by Deepanjali Dubey

सदस्य टीम प्रबंधन

"अश्क़ तेरे कहे हैं, पूछ मुझेमुझसे मिलकर उदास भी हो क्या छोटी बह्र में बेहतरीन गज़लें "

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 45 में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

30 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"खिड़कियों में बैठती हैं आजकलइन हवाओं में नमी होने लगीदेखते ही सब भँवर गहरे हुएएक धारा…"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक -44 में शामिल सभी ग़ज़लों का संकलन चिन्हित मिसरों के साथ

15 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"एक पत्थर ही सही गौर से देखो इस ओरतुम अगर चाहो मुझे बुत में बदल जाऊँगा वाह वाह "

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 43 में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

5 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"वाह वाह- हम ग़ज़ल को निगाहों से पीने लगे तब कहीं जा के दिल शायराना हुआ"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 42 में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन

18 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"वाह बह्र-ए-कामिल में इतनी सारी गज़ले  इतने अशआर  इतने मिसरे  वाह "

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 41 में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

35 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"वाह वाह  हमें न थाम सकेगा कोई सहारा अब,हमें शराब ही रोकेगी लड़खड़ाने से.   लगे हैं लो…"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक ४० में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

52 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"वाह बह्र-ए-हजज़ में कमाल की गज़लें  निवाला आज अपनों ने तेरे खाया नहीं खायाकभी तो देख…"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक ३९ में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

15 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

" मिर्ज़ा ग़ालिब की कमाल की ग़ज़ल से लिया गए मिसरा-ए-तरह पर कमाल की गज़लें "

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक ३८ में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

33 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

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"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
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"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
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"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
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"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
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"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
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"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
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"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
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