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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-57 (विषय: औलाद)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-57 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:  
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-57
विषय: औलाद
अवधि : 30-12-2019  से 31-12-2019 
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं। 
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

वाह, बहुत भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी लघुकथा लिखी है आपने और इशारों इशारों में जो बात कही है वह तो कमाल है. बहुत बहुत बधाई इस बेहतरीन लघुकथा के लिए आ ओम प्रकाश जी

हार्दिक बधाई आदरणीय ओम प्रकाश सिंह जी।बेहद मार्मिक और हृदय स्पर्शी लघुकथा। आपकी लघुकथा का संदेश बहुत गंभीर एवम प्रभावशाली है।समाज को एक नयी सीख देने वाला है।

आदरणीय तेजवीर सिंहजी आप का हार्दिक आभार  । अभिनंदन मेरी लघुकथा पर अपनी स्नेहिल टिप्पणी देने के लिए।

आदरणीय विनय कुमार जी आप को मेरी लघुकथा अच्छी लगी , इस से मेरी मेहनत सफल हो गई । हार्दिक आभार आप का।

भावुक रचना का अंत संदेशात्मक व प्रेरणादायक। बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय ओमप्रकाश सरजी। 

आदरणीय बबीता गुप्ता जी आपका हार्दिक आभार इस हौसला-अफजाई के लिए

खिलौना
सुनेत्रा बेटे-बहू और पोते के साथ गाड़ी में बैठकर अपने कुलदेवता के मंदिर में जा रही थी। और गाड़ी में बैठे-बैठे पिछली बार की यात्रा के दौरान घटी घटना उसके ज़ेहन में फिर से उमड़ आई। 
जब वो मंदिर के सामने गाड़ी रोककर मंदिर की ओर पैदल-पैदल आगे बढ़े थे तो सुनेत्रा एक तरफ़ चबूतरे के पास बैठे प्रसाद वाले से प्रसाद लेने लगी थी।
-21 रुपये का प्रसाद कर दो बेटा
-माता जी, 21 रुपये में तो सिर्फ़ प्रसाद आएगा। नारियल, छत्र, झंडा और बाँटने के लिए भोग भी लोजिये ना। सिर्फ़ 201 की थाली। 
-नहीं बेटा। वो सब हम शहर से लेकर आते हैं साथ में। 
-क्यों माता जी। हम सब अच्छी क्वालिटी का सामान रखते हैं। कभी शिक़ायत नहीं मिलेगी। 
-वो बात नहीं बेटा। तुम्हारे रेट बहुत तेज़ हैं। सारे सामान में 50-60 रुपये फ़ालतू लेते हो तुम लोग। वहाँ से लेने में सस्ता पड़ता है। 
-पर ये भी तो सोचिए, हम इस दूर-दराज जगह पर किस के भरोसे बैठे हैं। यहाँ भक्तों का रोज़-रोज़ तो आना नहीं होता। हम आपके बच्चों जैसे ही तो हैं माता जी। आपकी तरफ़ ही आस से देखते हैं। और आपकी कृपा से हमारे बच्चे भी दो रोटी खा लेते हैं।
तभी गाड़ी के ब्रेक लगे। वो कुलदेवता के मंदिर में पहुँच चुके थे। उतरकर सुनेत्रा उस प्रसाद वाले के पहुँची और बोली, “बेटा, 201 वाली थाली लगा दो”। प्रसाद वाले के मुख पर ऐसी मुस्कान खिल गई जैसे उनके पोते के मुखपर उससे मनपसंद खिलौना पाकर आती थी। 

मौलिक व अप्रकाशित

मन में उठे सवाल का जवाब देती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई ।

शुक्रिया ओमप्रकाश जी

बहुत उम्दा लघुकथा है भाई अजय गुप्ता जी, हार्दिक बधाई स्वीकार करें. 

बहुत बहुत धन्यवाद भाई योगराज जी

आ. भाई अजय जी, सुन्दर कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

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