For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-53 (विषय अधिकार)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-53 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:  
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-53
विषय: अधिकार
अवधि : 30-08-2019  से 31-08-2019 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं। 
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 5680

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हार्दिक बधाई आदरणीय आशा जुगरान जी। विषयांतर्गत बेहतरीन लघुकथा।मुझे आपकी लघुकथा बहुत पसंद आई।उससे भी अधिक उसका शीर्षक चयन।बहुत बार ऐसा होता है कि परिवार के सदस्य परिवार के मुखिया या कमानेवाले को मात्र एक रुपया कमाने वाली मशीन समझ लेते हैं।यह गलत है।उसकी भी कुछ इच्छायें होती हैं।

बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीया आशा दी।

अधिकार

'दिखाओं, क्या छिपा रहा हैं.'
'नहीं मैं नही दूंगा',दोनों हाथों से और कसकर दबा,अपनी मैली कमीज में छिपाने लगा.
'लगाऊं दो डंडे,ला इधर',ऑखे निकालते हुये उसके जल्लाद नेता ने छीनने की कोशिश की.
पर इससे पहले कि जल्लाद नेता छीनता, उसने भीख में मिली टाॅफी का पैकेट खोल उसमें से एक टाफी झटसे मुंह में डाल बाकी अपने साथियों की तरफ फेंक,हकदारी की आवाज में कहा, 'ये मेरी कमाई हैं.हक, मांगने से नहीं, छीनने से मिलता हैं.'
देखा-देखी उसके सभी साथियों ने भी वैसा ही किया और उन्हें भी समझ आ गया था.खिसियानी बिल्ली की तरह जल्लाद नेता मुंह ताकता रह गया।

मौलिक व अप्रकाशित 

आदाब। नकारात्मक राजनीति, दबंगई, धौंस, छीना-झपटी आदि और तथाकथित नेतागीरी पर कटाक्ष करती विषयांतर्गत बढ़िया रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता जी। कुछ टंकण त्रुटियाँँ रह गई हैं।

बढ़िया कटाक्ष करती चुटीली रचना विषय पर, बहुत बहुत बधाई आपको आ बबिता गुप्ता जी

 दबंग के सामने दबंग के सामने अधिकार नहीं रहते एक मर्मस्पर्शी संदेश देती अच्छी लग जाता बहुत-बहुत बधाई बबीता जी

हार्दिक बधाई आदरणीय बबिता गुप्ता जी। विषयांतर्गत बेहतरीन लघुकथा। बाल मनोविज्ञान पर आधारित बहुत प्रासंगिक लघुकथा।

मेरा भाई - लघुकथा -

माँ जब आँगन में बने मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी और कंडे की आग से रोटी बनाना शुरू करती,  हम दोनों भाई अपनी अपनी पसंदीदा थाली लेकर चूल्हे के सामने बैठ जाते। माँ पहली रोटी चूल्हे के ऊपर रख देती गाय के लिये। दूसरी रोटी निकलते ही हम दोनों थाली आगे कर देते। माँ वह रोटी मेरी थाली में डाल देती।

मेरा भाई माँ पर झल्लाने लगता," क्या माँ, तुम हमेशा इसे ही पहले देती हो?"

माँ बोलती,"पहली रोटी पर बड़े बेटे का ही हक़ होता है।"

"हम दोनों तो एक साथ एक ही दिन पैदा हुए थे फिर यह बड़ा कैसे?"

"यह तुझसे दस मिनट पहले पैदा हुआ था।"

छोटा कब हार मानने वाला था,"माँ, यह किस किताब में लिखा है कि पहली रोटी बड़े को ही मिलनी चाहिये?"

"हर बात किताबों में नहीं होती, कुछ घर परिवार  के रीति रिवाज भी मानने पड़ते हैं।"

 मैं माँ को कहता कि इसे ही दे दिया करो यह रोटी। माँ मुझे ही चुप करा देती,"उसकी हर बात में जिद करने की आदत हो जायेगी।"

अब अगली रोटी सिकने तक वह बड़बड़ाता ही रहेगा यह सोच कर मैं ही आधी रोटी तोड़कर उसे दे देता ताकि यह विवाद खत्म हो।

माँ अगली रोटी उसकी थाली में डाल देती। मैं उसे कहता,  "अब तू आधी रोटी मुझे दे।"

 वह मुकर जाता,"मैं क्यों दूं?"

"मैंने भी तो दी थी।"

"पर मैंने तो नहीं मांगी थी।"

माँ बीच में बोल पड़ती,"देख लिया, यही बड़प्पन बताता है कि कौन बड़ा है।"

मौलिक और अप्रकाशित

आदाब। वाह। विषयांतर्गत बेहतरीन सृजन के लिए सादर हार्दिक बधाई जनाब तेजवीर सिंंह साहिब। क्या कहूं इसे? बेहतरीन शिक्षाप्रद यथार्थपूर्ण लघुकथा या बोधकथा या प्रेरक कथा। सभी तत्व/कथ्य मौजूद हैं इसमें! रिश्तों के कड़वे सत्य; ममता; दायित्व; कर्तव्य; अधिकार; प्रत्युत्पन्नमति; हाज़िर जवाबी; मिसाल बेमिसाल और बढ़िया शीर्षक भी! बड़प्पन और रोटी के साथ दायित्वबोध अधिकार बोध कराते रिश्ते और ममता! मुझे पसंद आई आपकी एक और बेहतरीन रचना।

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।आदाब। लघुकथा पर आपकी सुंदर टिप्पणी निश्चित तौर पर मन को आल्हादित करने वाली है।

 एक एक सामान्य व्यवहार को अलग दृष्टि से देखने का बहुत ही सफल प्रयास अत्यंत साधुवाद तेजवीर जी बहुत-बहुत बधाई

हार्दिक आभार आदरणीय अजय गुप्ता जी।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
22 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
22 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
22 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
22 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
22 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service