आदरणीय साथिओ,
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सम्मानित लेखक श्री मिर्जा जावेद बैग जी 'किरण' शीर्षक के साथ पूर्ण न्याय करती लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई.
हार्दिक बधाई आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग जी।लघुकथा का संदेश बेहतरीन है और आज के माहौल में इसकी आवश्यकता भी है।आपसी सदभाव से ऊपर कोई रिश्ता नहीं होता।बढ़िया लघुकथा।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,
आप जेसे लघूकथा के माहिर फ़नकार की दाद मिलना मुझ से तालिब इल्म के लिए फ़ख्र की बात है बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम मेरी महनत सफ़ल हो गई
बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरमा अनीता शर्मा साहिबा ,
आपकी दाद मेरे हौसलों को और बुलंद करेगी बहुत बहुत आभार
गंगा - जमुनी तहज़ीब का एक खूबसूरत सा नज़ारा। बहुत बहुत मुबारकबाद।
मोहतरम मुज़फ़्फर इक़बाल साहिब,
सुख़न नवाज़ी के लिए दिली शुक्रिया।
जनाब मुज़फ़्फ़र इक़बाल साहिब,रचनाकार को उसके नाम से सम्बोधित करना इस मंच की परिपाटी है ।
जनाब मिर्ज़ा जावेद बैग साहिब आदाब,प्रदत्त विषय पर लघुकथा का अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आली जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,
आपकी बैशक़ीमती हौसला अफ़ज़ाई ऊर्जा का संचार करती है।
बहुत बहुत शुक्रिया।
प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग़ ज़ी।
मोहतरमा नीलिमा जी आदाब ,
हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत शुक्रगुजा़र हूं
आज के माहौल में सार्थक सन्देश देती हुई इस बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग जी. //फ़हीम चाचा अपने बचपन के दोस्त शशिकांत के साथ बेठे अख़बार पढ़ रहे थे। फ़हीम चाचा के चेहरे के भाव लगातार बदलते देख शशिकांत जी ने अचानक ही उनके हाथ से अख़बार झपट लिया और फिर चाय का कप उनकी तरफ़ बढाते हुए कहा,// सादर.
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