आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा पांडे जी।
आ. तेज वीर सिंह जी, आपकी लघुकथा के सन्दर्भ में मैं आ. योगराज सर की बात से सहमत हूँ. कथा यदि पत्र के साथ ही समाप्त हो जाती तो ज़्यादा बेहतर होती. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी।
हार्दिक आभार आदरणीय सीमा सिंह जी।
पत्र और विवरण को जोड़ कर एक अच्छी लघुकथा कही है आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर, सादर बधाई स्वीकार करें|
हार्दिक आभार आदरणीय चंद्रेश जी।
हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी, पत्रात्मक शैली में एक उच्चस्तरीय रचना| पत्र के बाद रचना समाप्त सी लगती है जैसा कि बहुत से लोगों ने लिखा है| कहानी में एक मोड़ लाया जा सकता था, अगर सुमित्रा भी वहीं मिलती जहां प्रदीप अपने माँ - पिताजी को लाने गया था |
वैक्सीन
डेविड और पीएम हाउस के बीच बस अब थोड़ी सी ही दूरी बची थी।
उधर देश की सबसे बड़ी फार्मास्यूटिकल कम्पनी के बंगले पर जहाँ देश के सभी बड़े दवा व्यापारी मौजूद थे, अँधेरे के बादल साफ़ नज़र आ रहे थे। "अगर उसने वो फ़ॉर्मूला प्रधानमन्त्री को दे दिया तो हम सब तो रोड पर आ जाएँगे।"
"बिल्कुल आ जाएँगे। आख़िर कोई क्यों ख़रीदेगा हमारी दवाएँ जब वह एक ही टीके से सभी बीमारियों से मुक्त जाएगा।" दूसरे व्यापारी ने वोदका का गिलास ख़त्म करते हुए कहा।
डेविड एक स्वतन्त्र शोधार्थी थे जिन्होंने एक ऐसे टीके का आविष्कार किया था जिससे अब तक की ज्ञात सभी बीमारियों से पल भर में छुटकारा पाया जा सकता था। बस एक बार बच्चे को यह टीका लगा दिया और वह आजीवन रोगों से मुक्त। डेविड का एकमात्र उद्देश्य जन कल्याण था। इसलिए उन्होंने इस फ़ॉर्मूले को पेटेंट कराने की जगह प्रधानमन्त्री को देने की सोची जो अब तक के सबसे ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले प्रधानमन्त्री थे। इसके लिए उन्होंने प्रधानमन्त्री को एक पत्र भी लिखा था जिसमें इस विषय की विस्तृत जानकारी थी सिवाय फ़ॉर्मूले के। पीएम हाउस से कॉल आने के बाद आज वो उसी फ़ॉर्मूले को देने जा रहे थे।
"अरे कोई ज़रूरी है उसने ऐसे किसी टीके की ख़ोज की हो। साला झूठ भी तो बोल सकता है।" मोटे व्यापारी ने अपनी दाढ़ी खुजाते हुए कहा।
"हाँ। ऐसा कैसा हो सकता है कि एक ही टीका सभी बीमारियों से लड़े?" अन्य लोगों ने भी अपनी शंका ज़ाहिर की।
अब तक ख़ामोश खड़े सफ़ेद कोट वाले उस व्यक्ति ने जिसके बंगले पर आज ये लोग इकठ्ठा हुए थे कहा, "हो सकता है। मैंने उस ख़त की कॉपी विशेष सूत्रों से प्राप्त कर अपनी रिसर्च टीम को दिखायी है।"
"सर, तब तो हम लोग बर्बाद हो जाएँगे।" सभी समवेत स्वर से बोल उठे। "देश-विदेश में हमने जो इतने बड़े-बड़े प्लांट लगा रखे हैं, जो इतना बड़ा बिज़नस फैला रखा है उसका क्या होगा?"
"शायद यही समय हो नए सूरज को सलाम करते हुए किसी दूसरे धन्धे के बारे में सोचने का।" उसने अपनी सिगार जलाते हुए कहा।
डेविड पीएम हाउस पहुँचने ही वाले थे कि तभी एक अनियन्त्रित ट्रक आया और उन्हें रौंदते हुए निकल गया।
"बधाई हो! काम हो गया।" सफ़ेद कोट वाले के फ़ोन से आवाज़ आयी। "अच्छा हुआ, नहीं तो इस बार चुनाव में आपकी पार्टी रोड पर नज़र आती मिस्टर पीएम। हा हा हा..."
अँधेरे के बादल छंटते ही बंगला पहले की तरह रौशनी से जगमगाने लगा।
(मौलिक व अप्रकाशित)
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