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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार पचहत्तरवाँ आयोजन है. यानी, आयोजन का हीरक अंक !   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

21 जुलाई 2017 दिन शुक्रवार से 22 जुलाई 2017 दिन शनिवार तक



इस बार छन्दों को लेकर कोई रोक नहीं है. 

प्रतिभागी अपनी समझ से चाहे जिस छंद में रचनाकर्म करने को स्वतंत्र है.  

 

प्रतिभागियों से अपेक्षा मात्र इतनी है कि वे अपनी रचना के साथ उक्त रचना के छंद का नाम और छंद का विन्यास सूत्र अवश्य दे दें.

यथा, 

छंद -  दोहा [13-11, पदांत - गुरु-लघु]

या,

छंद - गीतिका [2122 2122 2122 212]

आदि.    

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.

   

[प्रस्तुत चित्र निजी अलबम से]

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 21 जुलाई 2017 दिन शुक्रवार से 22 जुलाई 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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"चातक" (गीतिका छंद)

(2122 2122 2122 212)

मास सावन की छटा सारी दिशा में छा गयी।
मेघ छाये हैं गगन में यह धरा हर्षित भयी।
देख मेघों को सभी चातक विहग उल्लास में।
बूँद पाने स्वाति की पक्षी हृदय हैं आस में।।

नीर बरखा बूँद का सीधे ग्रहण मुख में करे।
धुन बड़ी पक्की विहग की अन्यथा प्यासा मरे।
एक टक नभ नीड़ से लख धैर्य धारण कर रखे।
खोल के मुख पूर्ण अपना बाट बरखा की लखे।।

धैर्य की प्रतिमूर्ति है यह सीख इससे लें सभी।
प्रीत जिससे है लगी छाँड़ै नहीं उसको कभी।
लक्ष्य पाने की प्रतीक्षा पूर्ण निष्ठा से करें।
चातकों सी धार धीरज दुख धरा के हम हरें।।

मौलिक व अप्रकाशित
आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी आदाब, आयोजन में सहभागिता हेतु बधाई ।
आ0 मोहम्मद आरिफ जी हृदय से आभार।
मुहतरम जनाब बासुदेव साहिब ,प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आ0 तस्दीक अहमद खान साहिब हृदय से आभार।

आदरणीय बासुदेव भाईजी

धैर्य की प्रतिमूर्ति है यह सीख इससे लें सभी।
प्रीत जिससे है लगी छाँड़ै नहीं उसको कभी। .... वाह !!

चित्र के अनुरूप गीतिका छंद में खूबसूरत सार्थक रचना।इस सुंदर प्रस्तुति के लिए मेरी हार्दिक बधाई।

आ0 अखिलेश कृष्ण श्री वास्तव जी आपकी उत्साह वर्धन करनेवाली प्रतिक्रिया का हृदय से आभार।

गीतिका छंद में प्रस्तुत हुई रचना प्रदत्त चित्र के दार्शनिक स्वरूप को उजागर करती हुए प्रस्तुत हुई है. हृदयतल से आभार आदरणीय बासुदेव अग्रवाल ’नमन’ जी. 

दूसरे बंद में सभी पंक्तियाँ बहुवचन में होंगीं. करे, मरे, रखे और लखे में अनुस्वार का प्रयोग होगा. 

सहभागिता और उत्कृष्ट प्रयास हेतु हार्दिक बधाइयाँ 

सादर

आ0 सौरभ पांडे जी आपके द्वारा प्रदत्त उत्साहवर्धन का हृदय से आभार।

वाह .. वाह .... सुन्दर , सार्थक एवम सरस गीतिका । नमन आदरणीय नमन साहेब ।

आ0 सतीश मापतपुरी जी हृदय से आभार।
हार्दिक बधाई आपको आदरणीय नमन जी!

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