आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आदरणीया कांता रॉय जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
भाई मिथिलेश जी, गोदान के हवाले से लिखी इस लघुकथा के माध्यम से आपने एक महान विरासत का जिक्र कर दिया हैI ऐसी विरासत जहाँ हमारे किसान सदियों से खुद भूखे रह कर औरों का पेट पाल रहे हैंI सच कहूँ तो मैं भी इस कथा को 3 दफा पढ़ चुका हूँ और आनंदित हो चुका हूँI किसी कालजयी रचना के हवाले से अपनी बात अलग ढंग से कहना बड़ा जोखिम का काम होता है, मगर आपने ये काम बखूबी किया है जिस कारण यह लघुकथा सीधे दिल में उतर जाती हैI इस बेहतरीन लघुकथा पर मेरी ढेरों बधाई स्वीकार करेंI
आदरणीय योगराज सर, आपका मुखर अनुमोदन पाकर मुग्ध हूँ. साहित्य की इस विशिष्ट विधा में आपसे जो कुछ सीखा है, बस उसी के अनुसार अभ्यास करता रहा हूँ. लेकिन अब भी इस विधा में कलम चलाने की हिम्मत नहीं होती है. इसलिए भी बहुत दिनों बाद लघुकथा गोष्ठी में सहभागिता निभा पाया हूँ. लघुकथा विधा उतनी सहज नहीं है जितनी मान ली जाती है. घटनाओं को देखने की विशिष्ट दृष्टि और शिल्प की कसावट के साथ उसे शाब्दिक किया जाना एक लम्बे अभ्यास का परिणाम होता है. लघुकथा लिखने का बलात प्रयास कभी अच्छे परिणाम नहीं देता. इस बार का विषय पढ़ा और रात एक बजे के आसपास एक कथानक दिमाग़ में आया. बस लघुकथा हो गई तो मैंने पोस्ट कर दी. आपको यह लघुकथा पसंद आई, मेरा प्रयास सार्थक हो गया. इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. नमन
// मंगल ने देखा कि पेड़ की डाल पर फुदकती गौरैया उस मैना को लगातार समझा रही है कि तुम्हारे बाप दादा भले ही इस पेड़ पर रहे हो लेकिन इस आँधी-तूफ़ान में इस पेड़ का बचना मुश्किल है। मगर वह मैना जैसे सब कुछ अनसुना करते हुए बस अपने काम में मग्न रही।//
अपनी विरासत को संभाले रखने की गौरैया की सीख ..बहुत प्रभावी बनी है .. प्रदत्त विषय पर एक सुन्दर कथानाक चुना और बुना है आपने. .हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय मिथिलेश जी
आदरणीया प्रतिभा जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीया नीता कसार जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
मोहतरम मिथिलेश साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती और सन्देश देती, दिल की गहराइयों में उतरती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आदरणीय तस्दीक अहमद ख़ान जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद.
खूबसूरत कथ्य के साथ बेमिसाल प्रस्तुति , आपने इसमें मैना और उसका घोंसला का जो प्रतीकात्मक उपयोग किया है वह उच्च शिखर लगा ,बधाई ।
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