आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
'चित्र से काव्य तक' छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार तिरपनवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ – 18 सितम्बर 2015 दिन शुक्रवार से 19 सितम्बर 2015 दिन शनिवार तक
इस बार भी गत अंक की तरह वही तीन छन्द रखे गये हैं - दोहा छन्द, रोला छन्द और कुण्डलिया छन्द.
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.
इन तीनों छन्दों में से किसी एक या दो या सभी छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है.
इन छन्दों में से किसी उपयुक्त छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो तीनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों. केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
जैसा कि विदित ही है, छन्दों के विधान सम्बन्धी मूलभूत जानकारी इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
दोहा छन्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.
रोला छ्न्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें
कुण्डलिया छन्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें
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दोहा छन्द पर आधारित गीत के उदाहरण केलिए यहाँ क्लिक करें.
(प्रयुक्त चित्र अंतरजाल के सौजन्य से प्राप्त हुआ है)
दोहा छन्द आधारित नवगीत के उदाहरण केलिए यहाँ क्लिक करें.
आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 18 सितम्बर 2015 से 19 सितम्बर 2015 यानि दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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मेरे कहे के अनुमोदन हेतु आभार सर
आ. अशोक रक्तले जी, आयोजन मैं चित्र प्रदत्त इन उत्तम कुंडलियों के लिए हार्दिक बधाई आपको !
भाई सचिन देव जी सादर प्रदत्त चित्र पर रचे मेरे छंद पसंद कर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका दिल से आभार. सादर.
प्रदत्त चित्र के प्रति एकदम सटीक और कहीं कहीं बहुत गूढ़ अर्थ के साथ बनी इस शानदार रचना के लिए आपको ह्रदय तल से बधाई आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी
आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर आपने प्रस्तुत छंदों के भावों को महसूस किया मेरी रचना को मान मिला.बहुत-बहुत आभार. सादर.
सुन्दर कुन्डलियां छंद के लिए हार्दिक बधाई आ. अशोक रक्ताले जी
पहचानो अब सत्य को, देखो सच का वेश |
सबके मन में है बसा, केवल भारत देश ||
केवल भारत देश, भिन्न धर्मों का पालक,
ले कान्हा का रूप, कहे यही नन्हा बालक,
क्यों बनते हो सूर, बात को समझो-मानो,
रखो झूठ को झूठ, सत्य को अब पहचानो ||--- बहुत सुन्दर
आदरणीया डॉ.श्रीमती नीरज शर्मा जी सादर आपको प्रदत्त चित्र पर रचे छंद अच्छे लगे मेरा रचनाकर्म सार्थक हुआ.सादर आभार.
आदरणीय अशोक रक्तले भाई जी, क्या कहने हैं आपके बहुत ही सुन्दर सन्देश दिया आपने कुंडलियों के माध्यम से
केवल भारत देश, भिन्न धर्मों का पालक,
ले कान्हा का रूप, कहे यही नन्हा बालक,
क्यों बनते हो सूर, बात को समझो-मानो,
रखो झूठ को झूठ, सत्य को अब पहचानो || वाह वाह !
आदरणीय जवाहर जी भाई सादर आपने प्रस्तुत छंदों के भावों को महसूस किया मेरे रचनाकर्म को मान मिला. आपका हृदयातल से आभार. सादर.
आदरणीय अशोक भाईजी
पहचानो अब सत्य को, देखो सच का वेश |
सबके मन में है बसा, केवल भारत देश ||
केवल भारत देश, भिन्न धर्मों का पालक, .......... सच है , बाकी देश तो एक धर्म को लेकर घोषित कट्टर राष्ट्र हो चुके हैं
कोई तन से श्याम है, कोई मन से श्याम |
मालिक सबका एक पर, वह भी है बदनाम ||
वह भी है बदनाम, धर्म ने उसको बाँटा,........... सबके अपने अपने भगवान , इनकी भक्ति से वह भी है परेशान ।\
अच्छी सीख और उलाहना देती प्रस्तुति, हार्दिक बधाई स्वीकार करें
आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, जी हाँ धर्मों की स्वतन्त्रता के मामले में हमारे देश जैसी परिस्थिति अन्य मिल पाना मुश्किल है. प्रस्तुति पर आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आपका दिल से आभार. सादर.
बहुत सुन्दर सार्थक छंद दोनों ही
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