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"OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-९ में शामिल सभी रचनाएँ एक साथ

//श्री तिलक राज कपूर जी//

वक्‍त, यूँ सोचा न था, इक दिन हवा हो जायेगा 

जु़ल्‍फ़ से भरपूर ये सर, चॉंद सा हो जायेगा। 


हम मिले, तो पूछ मत, क्‍या फ़ायदा हो जायेगा 

तेरे अब्‍बा का पता, मेरा पता हो जायेगा।


बंद डिब्‍बा दूध बच्‍चा, गुलगुला हो जायेगा 

और भूखा बाप इक दिन सींकिया हो जायेगा। 


है बहुत मजबूर, अद्धी पी रहा है, जानकर; 
रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा। 


बस यही तो सोचकर वो शादियॉं करता रहा 
दर्द बढ़ता ही गया तो खुद दवा हो जायेगा। 


रंग का त्‍यौहार है छेड़ें न क्‍यूँकर लड़कियॉं 
मुँह अगर काला हुआ तो क्‍या नया हो जायेगा। 


जिस्‍म सल्‍लू सा दिखा तो आपसे शादी करी 
ये न सोचा था बदन यूँ पिलपिला हो जायेगा। 


हो गया बेटा जवां, ये हरकतें मत कीजिये 
वरना वो भी आप सा ही मनचला हो जायेगा। 


हुस्‍न की शहजादियों को मुँह लगाना छोडि़ये 
गर किसी को भा गया तो पोपला हो जायेगा। 


इश्‍क जिससे हो गया ‘राही’ न शादी कीजिये 

इश्‍क का सारा मज़ा ही किरकिरा हो जायेगा।

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//श्री वीनश केसरी जी//


एक दिन पव्वा पिला , वो रहनुमा हो जाएगा,

चार दिन अध्धी पिला दे तो खुदा हो जाएगा |

 

घर पहुँच ही जायेंगे पर पहले खम्बा खत्म कर,

किसको है बाईक चलाना फैसला हो जाएगा |

 

चिप्स सोडा बर्फ और नमकीन के बिन क्या मज़ा,

ये नहीं होंगे तो खम्बा अनमना हो जायेगा |

 

उसकी आखों में नशा है उसकी बातों में नशा

नालियां कहती हैं, वो इक दिन मेरा हो जाएगा |

 

आज जो काजू की बेटी से मुहब्बत कर रहा,

शर्तिया इक दिन वो देसी का सगा हो जाएगा |

 

मत परेशां हो अगर गुझिया में कीड़ा गिर गया,

तल के निकलेगा तो वो भी कुरकुरा हो जाएगा |

 

इक दिन पी, चार दिन तू सूंघ कर ही छोड़ दे,

“रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जाएगा” |

 

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क्या पता था इस कदर चिकना घड़ा हो जाएगा,
घर मेरा, मेहमां का स्थाई पता हो जाएगा |

मैं ग़ज़ल पढ़ दूं मगर , पब्लिक का जिम्मा आपका,
दूर तक तन्हाईयों का सिलसिला हो जाएगा |

भाँग जिसने खाई पहली बार उसको क्या पता,
जब हंसेगा, हँसते हँसते पोपला हो जाएगा |

जाम, साकी, मय का प्याला, सोम, मधुशाला, अबे,
बस भी कर वरना तू शायर बावला हो जाएगा |

तू मुझे फुसला रहा है रंग की बल्टी लिए,
मैं शराफत छोड़ दूं, तेरा "भला" हो जाएगा |

गर इलाहाबाद की होली तेरे शह्र आ गई,
तू भी कपड़ा फाड़ होली का जिला हो जाएगा |

कहते कहते थक गया तुझको समझ आता नहीं ?
"रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जाएगा"

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क्या पता था इस तरह का हादसा हो जाएगा 

इतने सारे बेवडों से राबिता हो जाएगा 

 

मृग नयन साकी का चक्कर अब न छोडेगा अगर 

खंडहर हो जाएगा, भस्का किला हो जाएगा 

 

चाँद-सूरज, फूल-तितली, जाम-मय, गर छोड़ दें

शायरों की डायरी से सब सफा हो जाएगा   

 

फाइलातुन, फ़ाइलुन, मुस्तफ्यलुन  में फँस गए 

सोचते थे शाईरी से फ़ायदा हो जाएगा 

 

"दोस्ती" के साथ तूने "दुश्मनी" तो लिख दिया 

क्या तुझे मालूम है "छोटी इता" हो जाएगा ?

 

अब मुझे क्या कह रहा, दो बार तो समझाया था 

"रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा" 

 

दो ही मिसरों में तू अपनी बात "वीनस" खत्म कर 

चार मिसरों में लिखेगा तो "कतआ"  हो जाएगा

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//श्री शेषधर तिवारी जी//


आज जम कर पी लिया है यार, क्या हो जाएगा
गर नहीं अच्छा, तो ठेंगे से, बुरा हो जाएगा

फायदा होगा, नियम से हर शनीचर जो पिया
रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा

पी लिया तो जी लिया हँस कर सभी के साथ में
है मुसीबत, न पिए, सब से जुदा हो जाएगा

भांग की गोली गटक कर ठंडई भी पी लिया
गर शुरू हंसना हुआ तो सिलसिला हो जाएगा

जिन बियर थोड़ी सगुन करने को हमने पी लिया

आज व्हिस्की भी मिले तो तर गला हो जाएगा


नालियों में ही पियक्कड क्यों गिरा, जब पी लिया
"शेष" गर ये राज खुल जाए तो क्या हो जाएगा

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//श्री राणा प्रताप सिंह जी//


दोस्तों के सामने तो शेर सा हो जायेगा
सामने बीवी के आते मेमना हो जायेगा

ये नहीं तो वो सही और वो नहीं तो वो सही
एक पर टिकने से तेरा क्या भला हो जायेगा

चार मर्डर, दस अपहरण कर लिया जो शान से
मुल्क का इक दिन यक़ीनन रहनुमा हो जायेगा

चार दिन व्हिस्की पियो और चार दिन खिसके रहो
रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा

अपनी सूरत को ज़रा तरतीब से प्रस्तुत करो
वरना कानी आँख का सबको पता हो जायेगा

साईकिल को बेचकर लूना खरीदी जो अगर
लिफ्ट लेने वालो का फिर तो मज़ा हो जायेगा

प्रेमियों की कर सेटिंग अपनी सुनकर शायरी
तू मोहल्ले भर का इकलौता चचा हो जायेगा

ए हसीना अपनी जुल्फों को ज़रा महफूज़ रख
विग अगर सर से उड़ा तो बलवला हो जायेगा

तू सुनाना शेर अपने आजू बाजू देखकर
जाहिलों के सामने वो चुटकुला हो जायेगा

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//श्री प्रकाश पाखी जी//


गुस्सा टेंसन चिंता सब कुछ अब हवा हो जाएगा

बीवी गाडी बंगला सब, अब नया हो जाएगा


जाम भीतर जो गया बे फिकरी ही बे फिकरी है

कल की छोडो माफ़ जो अब कहा सुना हो जाएगा


विस्की रम जिन वोदका पी लेते है जी लेते है

छोड़ इसको देंगे तो भी क्या नया हो जाएगा


मौज मस्ती खूब करलो याद रखना यह सदा

रोज पव्वा पीलिया तो पीलिया हो जाएगा


बेवफाई कितनी कर ली जख्म कितने दे दिए

जान लेकर अब तो खुश कातिल मिरा हो जाएगा

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//श्री गणेश बागी जी//


रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा,

जान से जायेगा पर सबका भला हो जायेगा

 

जाम पर ज़ाया जो करता दे जरूरतमंद को,

तू गरीबों की नजर में देवता हो जायेगा,

 

दस अगर मिल खेल ले जितना सचिन है खेलता,

इंडिया की जीत का फिर सिलसिला हो जायेगा,

 

संग यारों के वफ़ा की बात करते हो सदा,
जो न पीया होली में तो बेवफ़ा हो जायेगा,

चल मजा टानिक-ए-तड़कुल का जरा देखे "बागी"
आजमाया जो दीवाना शर्तिया हो जायेगा
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शौकिया पीता अभी फिर मन बढ़ा हो जायेगा,

रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा , (१)

 

खून पीते देख मच्छर से बगलगीर ने कहा,

बेवड़े का खून पीया जो छक्का हो जायेगा, (२)

 

भूत होली में सिखाया प्यार से कल यार को,

OBO पर जायेगा तो मनुष्य सा हो जायेगा, (३) 

 

दारू पीना गलत है कहते ऐसा क्यू कर मिया,

पैग पी लो प्रवचन का खात्मा हो जायेगा,    (४)

 

दिल, ज़िगर औ फेफड़ा एक ही बनाया राम ने,

किडनी दो, पीने वालो का मज़ा हो जायेगा |  (५)

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//योगराज प्रभाकर//

क्या खबर थी फेल सारा फलसफा हो जाएगा !
बनके दूल्हा शेर मुझ सा भी गधा हो जाएगा !

बात मेरी मान ले शादी को लिल्लाह भूल जा, 

आज का राजा नहीं कल को प्रजा हो जाएगा !

ठोकता हूँ रोज़ बोतल जब से यारों ने कहा,

"रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा !"

इसकी पोनी टेल को देखूँ तो मनवा ये कहे,  

एक दिन सोनू हमारा सोनिया हो जाएगा !

कर ले तू कंट्रोल अपनी रोटियों की सँख्या

वर्ना तू मेरी तरह से जाड़िया हो जाएगा !   

वो जो करना है दलाली कोयले की शान से  

जल्द गोरा लाल अपना, कालिया हो जाएगा !

क्या पता था छेड़ने का हश्र ये होगा गुरू,   

सैडलों से खोपडा ये, पिलपिला हो जाएगा !  

गर सफेदी आ गई, मूछो में थोड़ी भी मियाँ,   

कल का छोरा एकदम से ही चचा हो जाएगा !

देख तो लेना हटाकर, मेक-अप की पर्त को,
ये जो मुखड़ा है, मिनट में थोबड़ा हो जाएगा !

मुँह रजाई में छुपा कर बीड़ियाँ चूसा ना कर, 
वर्ना लंका दहन सा कोई हादसा हो जाएगा !

बस बकाया डेढ़ दर्जन दाँत मेरे मुँह में हैं,
जल्द ये मुँह "खोसला का घोसला" हो जाएगा !

बेटिकट बैठा तो हूँ मैं ट्रेन में डर भी लगे,
आ गया टीटी कहीं तो ज़लज़ला हो जाएगा !

कल खिलाऊंगी बनाकर पूड़ियाँ मुन्ने तुझे,
कल सुना दादू तेरा, घर से दफा हो जाएगा !
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लौंडिया के बाप से जब सामना हो जाएगा !
जोश तेरे इश्क का पल में हवा हो जाएगा !

तब चलेगा भाव आटे दाल का प्रीतो तुझे, 
जब तेरा दौर-ए-जवानी लापता हो जाएगा ! 

तब हरेक लेडी को बेटी ही पुकारेगा मियाँ,
जब कभी मेरी तरह तू साठ का हो जाएगा !

प्रेयसियों की संख्या को कर ज़रा कम्पेयर तू, 
कौन बुढ्ढा है अभी ये फैसला हो जाएगा ! 

रोज़ पव्वा ठोक भी, ये बात भी तू भूल जा, 
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जाएगा !

पी रहा तू जिस तरह खुल्ले में दारू रोज़ ही,
नाम प्रीतम से तेरा फिर बेवडा हो जाएगा  !

लाल पीले रंग से कुछ भी न बिगड़ेगा तेरा,
जो मला काला तो बेटे काग सा हो जाएगा !

डाल के निकलेगा जो तू घाघरा होली के दिन
हरेक मुशटंडा ही प्रेम चोपड़ा हो जाएगा !

हो गया प्रीतम से प्रीतो सिर्फ दो ही साल में   
बहुत ही जल्दी ये नेहा धूपिया हो जाएगा !

चार टुच्चे शे'र कहके सोचता ये छोकरा , 
एक दिन ये भी दिगंबर नासवा हो जाएगा !
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रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जाएगा !
रोज़ पव्वा ना पिया तो हर्निया हो जाएगा !

कोई भी रोंदू यहाँ पर मसखरा हो जाएगा !
बात ये दीगर है वो भी बेवडा हो जाएगा !

छीलकर तुझको निकलेगी तुम्हारा जूस ये,
बन के दूल्हा संतरी से संतरा हो जाएगा ! 

लड़कियों की रोशनी से यार तू आँखें बचा,
पड़ गई आँखों में ये तो मोतिया हो जाएगा !

वो जो मरियल साँप सा बैठा है कोने में छुपा,
शाम को पव्वा चढ़ाकर कोबरा हो जाएगा ! 

खाल गैंडे सी भले हो, पर कभी मत भूलना ,
मार बीवी की पड़ी तो गुलगुला हो जाएगा !

तेज़ वर्षा है जो पीनी हो अन्दर आ के मर,
तू अगर भीगा तुझे निमोनिया हो जाएगा !

तू कबूतर की तरह जो गुटर-गूँ करता फिरे,
एक दिन भोजन भी तेरा बाजरा हो जाएगा !

आज घर पे आ रही हैं हाफ दर्जन मौसियाँ, 
आज तो बापू भी अपना छोकरा हो जाएगा !
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/श्री  नेमीचन्द पूनिया ‘चन्दन‘ जी//

 

हरेक बहाना नाकाम छलिया हो जायेगा।                    
रोज पव्वा पीलिया तो पीलिया हो जायेगा।। 
        
खाना-खराब खाली खीसिया हो जायेगा।                    
रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा।।
                                        
दर्दे-दिल की दवा जामे-मए नहीं लबे-शीरीं हैं ।            
आॅंखों से पीयें ईलाज शर्तिया हो जायेगा ।।

 

गर बेवफा मेहबूब है तो सब्र से काम लेना।
उलफत में रंग दो भला बीचिया हो जायेगा।।                

 

इस मए की ये कुदरती तासीर हैं यारों।                      
शेर भी बदहवासी में मेमना हो जायेगा ।।
     
समन्दर से ज्यादा शराब में डूब गये दोस्तों।                    
मए के प्यालो से आखिर मोतिया हो जायेगा ।।

 

मए-हुस्न ही रंजो-गम में राहत देता हैं ।                   
दवा औ दारू से प्रेम इश्किया हो जायेगा ।।
         
मैकशी का आगाज औ अंजाम बुरा होता है ।                      
बंगला भी कुटिया में तब्दील मिया हो जायेगा ।।
           
बेवफाई के शिकवे-गिले तब दूर होंगे।                      
जब वफाऔजफा का इन्तिहा हो जायेगा।।       
         
पारस के संग से लोहा कंचन हो जाता है।                     
सज्जन संग करेगा कीमिया हो जायेगा।।                  

 

पहले मए फिर मए को मए आखिर मैकश को मए।          
रूस्तम सा पीते पीते सींकिया हो जायेगा।।

 

शौके-नशा धीरे-धीरे आदत बन जाता हैं।                  
नूरानी चेहरा भी दीनिया हो जायेगा।।               

 

दिले-नादाॅ मैकशी में जुबाॅ पे लगाम रख।                    
वरन गफलत में पीटते दलिया हो जायेगा।।               

 

नशा वही जो इकबार चढके उतरे ना कभी।                  
सब रस निरस जब इश्के-खुदा हो जायेगा।।     
         
दिल से दिल की जा गर रूह से रूह मिल जाये तो।          
खुद-ब-खुद मुखालिफों में ‘‘चन्दन‘‘ तस्फिया हो जायेगा।।

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//मोहतरमा मुमताज़ नाजा जी//

 

नशे में इन्सान से इक दिन गधा हो जाएगा

कौन कहता है के ग़ालिब का चचा हो जाएगा
 
दर्द समझे आम पब्लिक का किसे फ़ुर्सत है यार
बढ़ते बढ़ते दर्द ये आखिर दवा हो जाएगा
 
जूते चप्पल मरमरीं हाथों से खाएंगे मियां
कुछ नहीं तो बंदगी का हक़ अदा हो जाएगा
 
 वर्ल्ड कप के खेल में होगी कमाई जम के अब
हर खिलाड़ी यूँ भी मिस्टर खामखाह हो जाएगा
 
किस ने कितनी की रक़म अन्दर ये कोई क्या गिने
इस अमल में ब्रेन का तो रायता हो जाएगा
 
रामू धोबी के गधे ने भंग जो छानी है आज
कल्लू धोबी की गदहिया पर फ़िदा हो जाएगा
 
हो विदेशी या के ठर्रा चीज़ हरजाई है ये
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जाएगा
 
बहती गंगा में सभी तो धो रहे हैं अपने हाथ
कुछ न कुछ 'मुमताज़' अपना भी भला हो जाएगा
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//श्री अरुण कुमार पाण्डेय "अभिनव" जी//

 

रंग में होली के हल हर मसअला हो जायेगा ,

प्रेम से मिल लो गले रिश्ता हरा हो जायेगा |

 

आज होली है चलो हम माफ करते हैं तुम्हें ,

रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा |

 

श्याम के रंग में रंगी मीरा अभी तक गा रही ,

कब लगायेगा वो रंग मुझको मेरा हो जायेगा |

 

गांव की गलियों में हँसता खेलता खुश है बहुत ,

कल बड़ा होकर ये बच्चा शहर का हो जायेगा |

 

तुम मेरे मन को रंगों और मैं तेरे मन को रंगूँ ,

इस तरह ये प्रीत का पौधा बड़ा हो जायेगा |

 

क्या उन्हें रंगना रंगे रहते जो देखो वर्ष भर ,

रंग पर रंग रंग दिया तो रंग खफा हो जायेगा |

 

इन त्योहारों का मकसद है कि हम मिलकर रहें ,

शाख से टूटा हुआ पत्ता फ़ना हो जायेगा |

 

रंग बनावट का उतारो आईने के रूबरू ,

आदमी का आदमी से सामना हो जायेगा
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//डॉ संजय दानी जी//

रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा,
ह्ल्दी घाटी  के शहीदों का सगा   हो जायेगा।

होली में भी फ़ाग गायेंगे नहीं गर चौक पर
तो गली का कुत्ता भी हमसे ख़फ़ा हो जायेगा।

भांग, शादी की मिठाई में न डालो लड़कियों,
वरना  वर का बाप दुल्हा बन खड़ा हो जायेगा।

अब पतान्जलि योग शिक्षा से तनेगा हर शरीर,
पर दिमाग़ी घोड़ा रस्ते में खड़ा हो जायेगा।

घंटा बीबी का बजाते ख़ुद रहोगे यारो तो
बाइयों का हु्स्न घर से कल जुदा हो जायेगा।

लड़कियों से दोस्ती करनी है तो साड़ी पहन,
तेरे पीछे लाभ अपना भी ज़रा हो जायेगा।

हुस्न खुल्लेआम गलियों में दिखाये जलवा तो,
शह्र मेरा रांची या फिर आगरा हो जायेगा।

क्या हुआ नेतागिरी आती नहीं, इक नेता ही,
गर ससुर बन जाये तो अपना भला हो जायेगा।

पे्ड़ ,थामस नाम की काटी अदालत ने गो आज,
कल सियासत की दुआ से् फिर हरा हो जायेगा।

गर नगाड़ों की सदायें ना बजे होली में तो,
ये शराबी लोगों का त्योहार सा हो जायेगा।

तुम गुलाबी ,लाल सड़ी मत पहनना होली में,
सांडों का ये शह्र वरना बावरा हो जायेगा।

दिल अभी बच्चा है दानी ,पानी दोगे प्यार से,
तो मुनासिब काम खातिर ये बड़ा हो जयेगा।
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//श्री धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी//

रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा
आज हथियाया हुआ कल दूब सा हो जाएगा

 

दूब जैसा हो गया तो गाय खा लेगी तुझे

सोच उसके पेट में जाकर तू क्या हो जाएगा

 

रंग से नहला दो उसको जो नहाता हो नहीं

इस बहाने काम तो एक धर्म का हो जाएगा

 

जो मिले नेता पकड़कर खूब रगड़ो कीच में

नालियाँ गंदी बहुत उसको पता हो जाएगा

 

मनचला कोई मिले तो बैटरी की कालिखें

मुँह पे मल देना पलों में गाय सा हो जाएगा

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//मोहतरमा हरकीरत हीर जी//

 

छर्र... रर रर  हुर्र...ररर,  हो हा हा हो जायेगा
हर गली का आशिक आज कान्हा हो जायेगा

उड़ा दिलों की दुश्मनियाँ तू फिजां में रंगों संग
लग जा गले  सभी के, दूर गिला हो जायेगा

नजरें न मिला,  लगाने गुलाल के बहाने यूँ
कुछ और ठहर गईं जो ,लवरिया हो जाएगा

पी नजरों  से मेरी , छोड़ ये दारू का नशा
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जाएगा

चाँद उतरा,सजा रंगों की थाली , आसमां में
 आज फ़लक भी देख लाल,पीला हो जायेगा

मचा है कोहराम जापान में जो आज ' हीर'
इन्हीं रंगों में वो कहीं , गुमशुदा हो जायेगा


(एक शेर वीनस जी के लिए )
तेरे कुरकुरों से है ,उबकाई अब आने लगी
घरभर से हर कीड़ा आज दफा हो जायगा

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//श्री वीरेंदर जैन जी//


हाथ पीले आँख पीली गुर्दा बड़ा हो जायेगा ,
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा |
 
मोहब्बतों के सुरूर से कैसे भला कोई बचे ,
रंग की चाहत का गुजिया को नशा हो जायेगा |
 
जान भी हाज़िर है मेरे भाई तेरे वास्ते ,
माँगना मत वरना काफूर ये नशा हो जायेगा |
 
यूँ पिला साक़ी उनसे हाले -दिल कर दूँ बयाँ ,
कल सुबह ये राज़े - दिल फिर बेज़ुबां हो जायेगा |
 
मर्दानगी कहकर इसे पीकर उठाये हाथ वो ,
ना मिली एक दिन भी तो खोखला हो जायेगा |
 
किसको परवाह कितनों ने पीकर हैं फूंके घर यहाँ ,
ना मिला गर टैक्स खाली खज़ाना हो जायेगा |
 
काट डाले पैर सच के बेईमानी औ झूठ ने ,
चल सके न मय बिना बेसहारा हो जायेगा | 
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//श्री दिगंबर नासवा जी//

पी के अद्धा रोज़ पी तू शेर सा हो जायगा
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायगा

खुद हो दरवाज़े पे बस माशूक कुण्डी खोलती
बाप जो निकला कहीं तो सोच क्या हो जायगा

रंग तो मिलता नही कड़की में कीचड़ ही सही
आज होली का मज़ा फिर दो गुना हो जायगा

आज है होली जो कहना है वो उनसे बोल दे

बन गया मामा अगर तो हादसा हो जायगा

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//श्री राजेश शर्मा जी//
देख लेना एक दिन ये हादसा हो जायेगा.
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा .
 
भाँग पीना सीख लो ,पीना अगर हो लाजिमी.
पीलिया वाला पिएगा तो हरा हो जायेगा.
 
खींच जाना एक लोटा भाँग का रबडी मिला.
रँग लगाने को बला का हौसला हो जायेगा.
 
रंग का माहौल उनका साथ होली का नशा.
फिर नहीं मालूम फिर क्या माज़रा हो जायेगा.
 
ये लगी है आस होली में कि मेरी आस का.
मिल गया कोई सिला तो सिलसिला हो जायेगा.
 
सोच भी सकता नहीं था उस ज़माने में कभी.
नेट वाला ये कबूतर डाकिया हो जायेगा.
 
देख लेना एक बारी प्यार हमसे आप को.
आप मानें या न मानें शर्तिया हो जायेगा.
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//श्री कमल वर्मा तनहा जी//

डॉक्टर की नसीहत से बस तेरा भला हो जायेगा,

रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा ll
मगर हम नहीं वो जो इस झांसे में आ जायेंगे
पव्वा छोड़ कर पट्ठा फिर खम्भे का हो जायेगा ll
अभी रंग लगवा लो भौजी वरना तब पछताओगी
मयकशी और रंग का जब दुगुना नशा हो जायेगा ll
अपनी ऐसी हालत देखकर लाला बोले भौजाई से
घर के बाहर मत जाना कोई हादसा हो जायेगा ll
हुडदंगियों के बीच तू ना शीला बनने की सोंच
बस दूर से देख ले सबका भला हो जायेगा  ll  
इस सूरत पे ना जाना ऐसा कहा कल लड़कियों  ने
आज का ये सीधा साधा  कल बेवडा हो जायेगा ll    
 
हर कोई आदत से इसकी वाकिफ है अच्छी तरह
एक बार पीने बैठा तो कल का सबेरा हो जायेगा ll
ये रात की कमाए है इन्हें यूँ ना जाया कीजिये 
इन खाली बोतलों से एक मीनार खड़ा हो जायेगा ll
अब रोक लो पीना वरना होगी ताज पे दावेदारी
ज्यादा पी लिया तो हर एक शाहजहाँ हो जायेगा ll
मैं चंद बोतल लाकर इस भरोसे पे चला था 
बस बेवड़े मिलते रहेंगे और कारवां हो जायेगा ll
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बोतल संग हो सोडा और कुछ नमकीन भी ,
ये शमा फिर यक़ीनन किसी जश्न सा हो जायेगा,
किसे को यूँ जबरदस्ती जाम देना है गुनाह,
देख लेना एक दिन तू ना खुदा हो जायेगा ,
अद्धा भी कम पड़ रहा और तुम अभी पव्वे पे हो,
खुराक बढ़ा लो वर्ना फिर से झगडा हो जायेगा ,
वैसे भी हुल्लड़ ने भी फरमाया है कुछ इस तरह,    
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा,
अरे जश्न होली का हो तो जाम "तन्हा" ना रहे,
हमारे चूमने भर से ही बस इसका भला हो जायेगा ,
कुछ देर में  रंग लेकर हम आयेंगे तेरी मुडेर पर,
तुम भी आना प्रिये जब कुछ धुंधलका हो जायेगा, 
अपनी प्रीत को कुछ यूँ रंगे की ताउम्र तक याद हो,
क्या पता कल का, कल वक़्त क्या से क्या हो जायेगा,
शेर बस बस यूँ अपने आप ही बनते चले ही  जायेंगे  
रंग की मस्ती मैं जब दिल शायराना हो जायेगा
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//श्री सुजीत कुमार यादव जी//

 इश्क  के तेरे नशे  में  चूर हूँ,      मजबूर हूँ,
ना पिया जो एक दिन तो सब फ़ना हो जाएगा| 


 OBO के कुंभ में सबने कहा, मैं भी कहूँ, 
रोज पौवा पी लिया तो पीलिया हो जाएगा| 
 
यारों का तू यार है, यारों को तुझपे नाज़ है, 
रोज पी पी के तखल्लुश बेवड़ा हो जाएगा| 
 
चल नाच ले, हुड़दंग कर, पौवा लगा के एश कर, 
इश्क की बातें करी तो सिलसिला हो जाएगा| 

 होली है, चल ठीक है,, आ बैठ, चल पी लेते हैं,
रोज पौवा पी लिया   तो  पीलिया हो जाएगा|
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//श्री
अम्बरीष श्रीवास्तव जी//


मौसमें होली में दिल अब दिलजला हो जाएगा,
आज बंदी हो गयी तो क्या भला हो जायेगा |

देखतीं क्यों ख्वाब आँखें पैग पटियाला मिले,
जेब खाली गर ये सपना किरकिरा हो जाएगा|

धर्म-मज़हब से परे ये दोस्ती दिल में रहे,
दिलजलों से से आज इसका वास्ता हो जाएगा|

आज दारू ना मिली तो क्या बुरा है दोस्तों,
बस गयी आँखों में साकी आसरा हो जाएगा|
 
छन रही है भंग यारों आज ये ही सोंचकर,
रोज पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा |
--------------------------------------------------

//मोहतरमा डॉ नूतन जी//

ये बेवडे सरफिरे शराबी 

इनके भेजे मे कुछ ना जाएगा

गाली का शोर तेरा

इनकी गजलों मे बह जाएगा

एक लगा दे चपत सखी तो

चार चार नजर आएगा

उतर जायेगा नशा 

फिर तो समझ आएगा

रोज पव्वा पी लिया तो

पीलिया हो जायेगा ....

------------------------------------------


 

 


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Replies to This Discussion

बहुत बढ़िया योगराज जी | सभी रचनाएँ एक साथ ..... इस होली की सौगात है ये ....और गज़लें भी एक से बढ़कर एक | प्रस्तुति के लिये आभार स्वीकारें |...ओ बी ओ जिंदाबाद |
बहुत बहुत धन्यवाद अरुण भाई ! जय ओबीओ !
योगराज जी, सभी ग़ज़लें एक साथ प्रस्तुत करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद्.ओ बी ओ के बाकी सदस्य भी अब आसानी से पढ़ सकेंगे.
इतनी सारी भांग एक साथ पिला जी योग राज जी .... और वो भी होली के दिन ... आज तो दुबारा से नशा हो जाएगा ...
चलिए कोई बात नहीं सर, आज तो कोई भी कुछ नहीं कहेगा !

Bahut accha kaam kiya aapne Yograj Ji.

Iske liye aap ko bahut bahut aabhar.............

Shukriya Guru jee

 

सभी ग़ज़लों को एक साथ कर के आपने सदस्यों के लिए काफी सहूलियत प्रदान कर दिया है, धन्यवाद आपको |

हा हा हा

ये कमाल का संकलन है 

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"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
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