For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सभी साहित्य प्रेमियों को प्रणाम !

साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रथम सप्ताह में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, फाल्गुन के बौराई हवाओं और होली के मदमस्त माहौल में ओपन बुक्स ऑनलाइन भी लेकर आ रहे है....


"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ५ 

इस बार महा उत्सव का विषय है "होली के रंग"

आयोजन की अवधि :- ४ मार्च गुरूवार से

६ मार्च रविवार तक

 

महा उत्सव  के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप श्रीमान अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है ...

विधाएँ
  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता 
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद [दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका वग़ैरह] इत्यादि |

साथियों बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि आप सभी के सहयोग से साहित्य को समर्पित ओबिओ मंच नित्य नई  बुलंदियों को छू रहा है OBO परिवार आप सभी के सहयोग के लिए दिल से आभारी है, इतने अल्प समय  में बिना आप सब के सहयोग से रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाना संभव न था |

इस ५ वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 04 मार्च लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

 

नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश महा इवेंट के दौरान अपनी रचना पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी रचना एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके  इ- मेल admin@openbooksonline.com पर ४ मार्च से पहले भी भेज सकते है, योग्य रचना को आपके नाम से ही महा उत्सव प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

 

मंच संचालक

विवेक मिश्र "ताहिर"

 

 

Views: 11504

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बोसे के बदले गालियां चंद भेजना।

बेहतरीन ग़ज़ल , होली के रंगों में डूबा।

आदरणीया रश्मि प्रभा जी की रचना जो "महा उत्सव" हेतु भेजी गई है ....

 

रंग दे चुनर कान्हा जी भर के ....(गीत)

होली आई होली आई 
रंग दे चुनर कान्हा जी भर के 
प्यार के रंग से कान्हा प्यार के रंग से 
होली आई होली आई....
बरस बीता के अब होली आई
मन में उगे हैं आम के बौर 
महके है आँगन 
खनके है चूड़ी 
चेहरे पे प्यार की लाली है छाई 
कान्हा ले ले सारे रंग 
प्यार के रंग कान्हा प्यार के रंग 
होली आई होली आई 
रंग दे चुनर कान्हा जी भरके ....
कोरी चुनर मेरी देखे है रस्ता
देर न कर  कान्हा रंग दे मुझे 
ढलके चुनर मोरी 
बोले है धड़कन 
रंग दे मुझे कान्हा अपने रंग में 
अपने रंग में 
अपने रंग में 
होली आई होली आई 
रंग दे चुनर कान्हा जी भर के ....
रश्मि प्रभा
सच मुच वर्ष भर बाद आने वाल ये त्यौहार एक अलग ही ढंग का है प्रेम और उल्लास का रंग इसकी विशेषताएं हैं | आपकी कविता इन विशेषताओं को रेखांकित करती है | कान्हा की चर्चा के बिना होली चर्चा कैसी ,बधाई सुन्दर कृति हेतु |

बहुत खूब रश्मि जी, भला कान्हा और राधा के बिना कैसी होली, बेहद खुबसूरत भाव और काव्य शैली ऐसी जैसे राधा आँखों के सामने कह रही हो.........  रंग दे मुझे कान्हा अपने रंग में

बहुत बहुत  बधाई इस खुबसूरत प्रस्तुति पर...

होली में ह्रदय को अगर कान्हा के रंग में रंग जा सके तो ये पर्व महज़ एक पर्व न रहकर एक महापर्व हो जाता है ! बहरहाल इतना सुन्दर गीत कहा है आपने रश्मि जी कि दिल बाग़ बाग़ हो गया है, और मैं इसे बार बार गुनगुना कर आनंदित हो रहा हूँ ! इस महा-उत्सव  में आपकी और रचनायों का भी हम सब को बेताबी से इंतज़ार रहेगा ! सादर !
bahut hi badhiya rachna....dhanybaad admin jee yahan prastut karne ke liye
कोरी चूनर लाये हैं, कान्हा तेरे द्वार.
फागुन में रंग प्रीत का, तनिक दीजियो डार.
तन-मन भीजे इस तरह, कबहुँ न उतरे रंग.
रश्मि-प्रभा संग सलिल भी, तरे रहे जग दंग..
अभिनंदन,,,,,,,,,,,,,,,,,,सुन्दर रचना हेतु,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
लाजवाब....बहुत सुन्दर गीत|

..
बहुत सुंदर गीत, रश्मि जी को बहुत बहुत बधाई।
holi par bahut sundar rang............vah

तमामी ओ बी ओ मेम्बेर्स को मेरा प्यार भरा आदाब दोस्तों, इस होली पर्व की रंगीनियाँ और शोखियों को मैंने ग़ज़ल में ढालने की कोशिश की है जो की आपकी मुहब्बतों की नज्र है.दुआओं से नवाज़ियेगा ...

आपका अपना 

हिलाल अहमद "हिलाल"

 

तुझे देखा था पिछली साल पहली बार होली में !

खुशाकिस्मत जो फिर से हो तेरा दीदार होली में !!

 

नज़र आने लगे यूँ प्यार के आसार होली में !

झुका के नज़रें उसने जब किया इकरार होली में !!

 

लगाया  क्या गुलाबी रंग हमने तेरे चेहरे पर !

हुए है और भी ज्यादा हंसी रुखसार होली में !!

 

शरारत करने का मौक़ा मिला है आज किस्मत से !

हमे जी भर के रंगने दे न कर इनकार होली में !!

 

भुला कर सब गिले शिकवे चलो हम एक हो जायें !

खलिश दिल की मिटा डालें बढाएं प्यार होली में !!

 

गले हम भी मिलें तुमसे गले तुम भी मिलो हमसे !

न हो पाए कोई रंजिश कोई तकरार होली में !!

 

कहीं ना इत्तेफाकी का निशाँ बाकी न मिल पाए !

मुहब्बत की उड़े पिचकारियों से धार होली में !!

 

हमें छुप छुप  के वो देखें, उन्हें छुप छुप के हम देखें !

हिलाल ऐसा मज़ा आता रहे हर बार होली में !!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल मुकम्मल कराने के लिये सादर बदल के ज़ियादा बेहतर हो रहा है…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, आपने मेरी टिप्पणी को मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, मेरी शंका का समाधान करने के लिए धन्यवाद।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुकला जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service