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ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक ३९ में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

परम आत्मीय स्वजन

सादर प्रणाम,

 

हालिया समाप्त तरही मुशायरे का संकलन हाज़िर है| बहरे हज़ज़ मुसम्मन सालिम पर दिया गया मिसरा इतना आसान नहीं था जितना देखने में लग रहा था| बह्र आसान होने के बावजूद कवाफी की बंदिश और रदीफ़ इस ज़मीन को पथरीली बना रहे थे, परन्तु आप सबका जोशो खरोश इन सब पर भारी पडा| इसलिए सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं| मैं इसे निरंतर समृद्ध होते हुए इस मंच की सफलता के रूप में भी देखता हूँ| कई सदस्य पिछले कई मुशायरों से शिरकत करते आ रहे हैं तो कई नए सदस्य भी जुड़े हैं, कुछ लोगों ने पहली बार ग़ज़ल कहने का प्रयास किया है| नए लोगों की सभी गलतियाँ माफ़ हैं पर पुराने सदस्य जो एक ही गलती बार बार हर मुशायरे में कर रहे हैं वह विशेष ध्यान दें, एक ही तरह की गलती बार बार दुहराने का अर्थ यही है की आप अपने कलाम के प्रति संजीदा नहीं है|

 

मिसरों में दो रंग भरे गए हैं| लाल अर्थात बेबह्र और नीला अर्थात ऐब वाले मिसरे| ऐब ए तानाफुर को नज़रंदाज़ किया गया है|

Saurabh Pandey

 

बहन-बेटी किसी की थी महज़ इक नाम से पहले
तभी थी शांति भी वाचाल उस कुहराम से पहले

 

बहुत संगीन हैं हालात जाने कब यहाँ क्या हो
दुकानों से दिखे है माल ग़ायब शाम से पहले

 

यही होता रहा है, योजनाएँ फैल जाती हैं
मग़र दरबार सजते हैं सदा ईनाम से पहले

 

उसे मालूम है मस्का लगाया खूब जाता है--
अग़र फ़ाइल अँटकती है सुझाये काम से पहले !

 

सियासी आँकड़ों के अंक भी ज़ादू सरीखे हैं--
लिखा तिरसठ दिखें छत्तीस, दक्खिन-वाम से पहले !

 

सुनोगे तो सुनायेगी, मकां की सीलती हर ईंट
सयानी यों हुईं किलकारियाँ नीलाम से पहले

 

ज़माने से कहे अपने गुनाहों पर अशोत्थामा--
"तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले"

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CHANDRA SHEKHAR PANDEY

 

चलो मां बाप के चरणों को चूमो धाम से पहले,
वही हैं इस खुदाई के खुदा, श्रीराम से पहले।

तुझे जिसने उतारा है यहां देकर लहू अपना,
उन्हीं मां बाप को पूजो सदा संग्राम से पहले।

हथेली पर गिनो तुम बाल अपने लो अभी पागल,
तुझे आफत पड़ी थी जो लड़े हज्जाम से पहले।

 

लगा है आज सोफा साहिबानों के जो दफ्तर में,
वहां इक काम वाली आ रही है काम से पहले।

 

अभी इक ‘बार’ छोटा सा मुझे घर में बनाना है,
बहुत किच किच यहां अब हो रही है शाम से पहले।

 

तुम्हें शागिर्द अपना मैं बना लूं इल्म दे दूं तो,
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले।

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amit kumar dubey ansh

 

नहीं करता किसी से बात अपने काम से पहले
नहीं लेता किसी का नाम अपने राम से पहले
तुम्हें गर गैर ही होना है तो जाओ मगर सुन लो
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले

 

उन्हें फुर्सत नहीं है काम से वो रोज़ कहते हैं
अजी हम है कि बैठे दीद को हर शाम से पहले

 

मेरी तन्हाई मुझको बारहा अपना बनाती है
जिसे मैं छोड़कर जाता रहा हूँ काम से पहले

 

नहीं आसां यहाँ कुछ भी समझने की ज़रूरत है
मिले कांटे हमेशा ही मुझे गुलफाम से पहले

 

दरिंदों शर्म तो आती नही तुमको न गैरत है
कराते जुर्म मासूमों पे हो इल्ज़ाम से पहले

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sanju singh

 

वही बस याद आता है हमेशा ज़ाम से पहले
नहीं लेता कभी मैं ज़ाम यारों शाम से पहले

 

ज़माने में कभी मैं जब किसी को याद आऊंगा
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले

 

दिये की लौ बहुत ही तेज़ थी बुझने से पहले ही
वो चर्चा में बहुत जैसे हुआ गुमनाम से पहले

ज़माना वो भी था जब मैं भी नज़रंदाज़ होता था
यहाँ दस्तूर यह भी है जहाँ में नाम से पहले

 

वो तेरा नाम लिख कर के हथेली में छिपा लेना
वो तेरा छत पे आ जाना हमेशा शाम से पहले

 

वो पागल हो चुका है खौफ़ वाला इश्क़ पाले जो
कहीं बर्बाद हो जाये न वो अन्जाम से पहले

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कल्पना रामानी

 

सदा सद्भाव हों मन में, जहाँ हर काम से पहले
न डर होता वहाँ कोई, किसी अंजाम से पहले।

 

दुखों के पथ पे चलकर ही, सुखों का द्वार है खुलता,
नहीं मिलती सुखद छाया, प्रखरतम घाम से पहले।

 

पसीना बिन बहाए तो, नहीं हासिल चबेना भी।
चबाने हैं चने लोहे के, रसमय आम से पहले।

 

अगन में द्वेष की जलते, निपट मन मूढ़ जो इंसान,
सुखों का सूर्य ढल जाता, है उनका शाम से पहले।

 

कदम चूमेंगी खुद मंज़िल, तुम्हारे मन-मुदित होकर,
ललक हो लक्ष्य पाने की, अगर आराम से पहले।

 

कभी भी मित्र या मेहमाँ, लुभाते वे नहीं मन को,
चले आते अचानक जो, किसी पैगाम से पहले।

 

पुराणों से सुना हमने, बहाना प्रेम का था वो,
थी राधा को मुरलिया धुन, लुभाती श्याम से पहले।

 

मेरी तन्हाइयों की जब, कभी होगी कहीं चर्चा,
तुम्हारा नाम भी आएगा, मेरे नाम से पहले।

 

महककर होगा मन चन्दन, यही है ‘कल्पना’ कहती,
अगर सौ बार फल सोचें, किसी दुष्काम से पहले।

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Shijju Shakoor

 

मेरी उम्मीद की ढलती हुई इस शाम से पहले
मिलो ऐ ज़िन्दग़ी मुझसे मेरे अंजाम से पहले

 

लुटी इंसानियत इस दह्रे-इंसां में कहीं फँसकर
कराहें और आहें हैं यहाँ हर गाम से पहले

 

भटकती है तमन्ना दर-ब-दर मेरी फकीराना
हुई पामाल उल्फत भी यहाँ कुह्राम से पहले

 

रुखे-शब से छलकता ख़्वाब पैहम नूर सा दिलकश
बड़ी हसरत से देखूँ मैं इसे आराम से पहले

 

वफा की राह में अक्सर हुआ है ये न जाने क्यूं
सज़ा मुझको मिली आखिर किसी इल्ज़ाम से पहले

 

लिखूंगा जब कभी रूदादे-गम “तनहा” ये मुमकिन है
“तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले”

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arun kumar nigam

 

इजाजत तो जरा ले लूँ छलकते जाम से पहले
नहीं की मयकशी मैंने , सुहानी शाम से पहले ||

 

अगर बिखरी दिखें जुल्फें परेशां तुम समझती हो
जरा मैं बाल कटवा लूँ किसी हज्जाम से पहले ||

 

जो तुमसे रूबरू मिलना हुआ तो जिस्म यूँ काँपा
हुई ऐसी ही हालत थी , कभी एक्जाम से पहले ||

 

तुम्हारे बाप ने पीटा लिये मरहम चली आई
असर होगा न होगा पूछ झंडू-बाम से पहले ||

 

हटो जाओ भरी इस भीड़ में मत नाम पूछो तुम
तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले ||

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राज लाली शर्मा (बटाला )

 

हथेली से मिटादो नाम तुम इलज़ाम से पहले !
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले!!

 

हमारी प्यास भी हमसे दगा करती है अब साकी,
वोह हमसे रूठ जाती है लबों पे जाम से पहले !!

 

गरीबों से पता करना गरीबी किस को कहते हैं !
कि दम तोड़े है जेबों ने हमेशां दाम से पहले !!

 

सियासत ने बिठाया है हमारे प्यार पर पहरा !
नहीं झुकना मगर हमको कि अब अन्जाम से पहले !!

पुकारें बेटियाँ किसको,कोई परेशान नहीं होता ,
कोई आहट नहीं सुनता यहाँ कोहराम से पहले !!

 

घरोंदो को वोह लौटे हैं तो दाने चोंज में लेकर ,
कि बच्चे पेट भर खा लें ज़रा आराम से पहले !!

 

तुम्हारा मन ही मन्दिर है खुदा खुद उस में है 'लाली' ,
खुदी को खोजते रहना किसी भी धाम से पहले !!

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गिरिराज भंडारी

 

तुम्हारी याद क्या आई खुदा के नाम से पहले
हुआ है आज अन्धेरा यहाँ पर शाम से पहले

 

इबादत मयकशी में भी करूंगा इस तरह यारों
लिया जायेगा उसका नाम हर इक जाम से पहले

 

मुलाकातें अगर हों तो कभी मै हाल भी कह लूँ
पियादे रोक लेते हैं मुझे हुक्काम से पहले

 

जमाने मे खुली थी बात क्या भूले हुये हो तुम
तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले

किसी आवाज़ की उम्मीद दिल में रख नही प्यारे
ठिठकना छोड़ दे चलते हुये हर गाम से पहले

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Tilak Raj Kapoor

 

दिखे लाचार के ही काम अपने काम से पहले
सदा मॉं-बाप को पूजा किसी भी धाम से पहले।

 

मुझे कब खौ़फ़ है रुस्वाई का लेकिन यही डर है
‘‘तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले’’।

 

खुदा ऐसा, खुदा वैसा, जिसे देखो बताता है
खुदा को कौन समझा है मगर इल्हाम से पहले।

 

मुहब्बत में ज़रुरी है यही दीवानगी लोगों
चला आए खुद आशिक ही किसी पैगाम से पहले।

 

मिटा कर बस्तियॉं अब सोचना क्या राज किस पर हो
यही इक प्रश्न क्यूँ सोचा न कत्ले-आम से पहले।

 

जरा सी बात पर क्यूँ आस्मॉं सर पर उठाते हैं
समझ तो लीजिये मंज़र जरा कोहराम से पहले।

 

ये माना नब्ज़ वोटर की तुम्हें मालूम है, लेकिन
जरा ठहरो, न इतराओ, अभी परिणाम से पहले।

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Jitender Kumar Jeet

 

ढलेगी रात अब हर रोज़ जामे शाम से पहले,
करूँगा याद मैं तुझको मेरे हर काम से पहले

 

तेरा दीदार बस इक बार हो तो चाँद हम भूलें,
जहाँ भर की हँसी दे दूँ ग़मे पैग़ाम से पहले

 

खता की थी कोई या भूल थी जो हो गई शायद,
ख़ुदा पूछे मुझे मेरे हरेक इल्जाम से पहले

गुनाह लाखों किये मैंने मगर सारे तेरे सदके,
तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले

 

अगर नाराज़ हो जाओ कभी भी “जीत” से जाना,
सलामत हौंसला रखना पिघलती शाम से पहले

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Sarita Bhatia

 

मुझे अब माफ़ कर देना खुदा अंजाम से पहले
लिया है नाम उसका जो तुम्हारे नाम से पहले //

 

बनो सीता अगर तो साथ तुम देना हमेशा ही
न लक्ष्मण रेखा यूँहीं लांघना तुम राम से पहले //

 

तुम्हें राधा सा बनना श्याम की इस सूने जीवन में
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले //

 

अगर दुख सुख में यूँहीं साथ तुम मेरा निभाओगी
करूँगा पूरा हर अरमान जीवन शाम से पहले //

बजी जो मुरलिया मेरी धुनों से प्यार निकलेगा
चली आना बनी राधा किसी पैगाम से पहले //

 

मिला जो साथ तेरा जिंदगी भर के लिए मुझको
सफलता देख लूँगा आ गए परिणाम से पहले //

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shalini rastogi

 

तेरे दर पर झुका था मैं, किसी भी धाम से पहले .
कि तू मेरा खुदा है बुत, हूँ तेरा राम से पहले .

 

नया रस्ता, नई चाहें , नई मंजिल, सफ़र बाक़ी.
कि कैसे लौटे घर राही,ये होने शाम से पहले .

 

कहाँ ये होश की बातें, असर तेरा कहाँ वाइज़.
रहे मुझको न कुछ भी होश, आखिरी जाम से पहले .

तेरी फितरत से वाकिफ़ हूँ, पता है क्या लिखोगे तुम,
जो कासिद लेके आए उस तेरे पैग़ाम से पहले .

 

जुड़ा है नाम तेरा यूँ मेरी नाकामियों से कुछ
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले

 

दिलों में बलबले, तूफ़ान सीने में हजारों हैं
मगर खामोश है हर इक किसी कोहराम से पहले.

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अरुन शर्मा 'अनन्त'

 

अयोध्या में न था संभव जहाँ कुछ राम से पहले,
वहीँ गोकुल में कुछ होता न था घनश्याम से पहले,

 

बड़े ही प्रेम से श्री राम जी लक्ष्मण से कहते हैं,
अनुज बाधाएँ आती हैं भले हर काम से पहले,

 

समर्पित गोपियों ने कर दिया जीवन मुरारी को,
नहीं कुछ श्याम से बढ़कर नहीं कुछ श्याम से पहले,

हमारा प्रेम होता जो कँहैया और राधा सा,
समझ लेते ह्रदय की भावना पैगाम से पहले,

 

भले लक्ष्मी नारायण कहता है संसार हे राधा,
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले....

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Dr Ashutosh Mishra

 

जरा तबियत बहल जाए हमारी जाम से पहले
अरे रिन्दों चले आओ कभी तो शाम से पहले

 

कभी चर्चा नहीं करना हँसी महफ़िल की घर पर तुम
तुम्हे है मशविरा मेरा किसी कुहराम से पहले

 

खुदा का वास्ता तुमको कभी भी जी चुराना मत
यकीनन काम आता काम यारों नाम से पहले

हवा का देख लेते रुख सफीने गर चलाने थे
इशारों को समझ लेते किसी अंजाम से पहले

 

ठहर जाओ जरा पल भर करो मत सौदे में जल्दी
हमारा काम तो देखो हमारे दाम से पहले

 

तुम्हारे साथ ही गुजरी हमारी ज़िंदगी सारी
हकीकत जान तो लेते किसी अंजाम से पहले

हज़ारों लोग थे आशिक हसी गुल के जमाने से
किसी का भी नहीं चर्चा था मुझ बदनाम से पहले

 

हसी मंजर, हसी महफ़िल, हसी रुत ओ जवा दिल की
समझ लेना हकीकत तुम भी मुझ गुमनाम से पहले

 

अगर कान्हा, सखी मैं हूँ यकीनन तुम मेरी राधा
तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले

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योगराज प्रभाकर

 

कभी आगाज़ से पहले, कभी अंजाम से पहले
मेरा ही नाम था अव्वल, हरिक इल्ज़ाम से पहले

 

यही दस्तूर है जो भी मिला हुक्काम से पहले
उसी का नाम उभरा है, हरिक ईनाम से पहले

 

रियासत के किसी भी तुगलकी अहकाम से पहले
चलो हम रात ये काटें, ज़रा आराम से पहले

 

रचे है साजिशें गहरी, सियासत बाज़ अंधियारा
नहीं डूबा मगर सूरज, कभी भी शाम से पहले

 

तुझे सरकार कहने में, मुझे भी फख्र हो जाता
मेरा गर पेट भर जाता, तेरे गोदाम से पहले

 

जहाँ तमगाफरोशों की, तिजारत खूब चलती है
वहीँ पर घूमते देखे, कई गुमनाम से पहले

 

है मज़हब अम्न गर अपना, तो वाकिफ जारिहत से भी
जताना है ज़रूरी, अम्न के पैगाम से पहले

 

अमीरे शह्र का नेजा हुआ जब खून का प्यासा
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले

 

तेरी सूरत हुई ऐसी, लगे मनहूस ओसामा
अबे दाढ़ी कटा के आ, किसी हज्जाम से पहले

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MAHIMA SHREE

 

जरा सी बात पर नाराज हो कर काम से पहले
चला वो तोड़ हर नाता सुबकती शाम से पहले

 

सुनो जैसे है आता नाम राधा श्याम से पहले
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले

 

जमाना जब नहीं देता वफ़ा मेरी सिलाओं का
मुझे याद आती हो माँ तुम, खुदा के नाम से पहले

 

बहुत कुछ बोलती हो तुम जरा ये मान लो कहना
कहा ये फोन पर उसने मुझे विराम से पहले

 

ये ख़ामोशी किसी तूफाँ से पहले का है अंदेशा
चलो खुद को सभाले हम किसी कोहराम से पहले

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AVINASH S BAGDE

 

मिलेंगे चार नेता गण हमेशा शाम से पहले ,
करेंगे खास बातें वो दावते - आम से पहले।
.
न हरगिज भूल जाना ये शिकायत मेरी जो भी की ,
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले।
.
सदा हाथों को समझाओ ,रुकावट सोच पे डालो ,
ठहर जाएँगी शमशीरें ये कत्ले आम से पहले।
.
तुम्हारी बंदगी का है उजाला साथ में मेरे ,
तुम्हारा नाम लेता हूँ किसी भी काम से पहले।
.
सफ़र अच्छा कटेगा ये यकीं है मुझको मेरे दिल ,
नहीं डरता हूँ यारब मै किसी अंजाम से पहले।

SANDEEP KUMAR PATEL

 

तसल्ली जीत की हो हार के कुहराम से पहले
करो आगाज की चिंता अगर अंजाम से पहले

 

अगर पहचान लो खुद में छुपे इंसान को तुम तो
“तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले”

 

तरक्की की पतंगों से फसा के आसमाँ खींचा
जमीं ये दूर थी वरना फलक की बाम से पहले

 

कहो अच्छा बुरा बेशक मगर इतना रखो तुम याद
निहारो काम अपने दूसरों के काम से पहले

 

हमारे वीर हैं मुस्तैद सरहद में तो डरना क्या
खड़े वो सर कटाने मौत के पैगाम से पहले

 

छिड़कते चार बूँदें हैं खुदा को याद करते हैं
इजाजत पीने यूँ लेते शराबी जाम से पहले

 

जलेंगे मर मिटेंगे रौशनी पर यूँ पतंगे आज
कहो कब “दीप” सोचे है ये कत्लेआम से पहले

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Sanjay Mishra 'Habib'

 

उफ़ुक़ के पार उतर पाये न सूरज शाम से पहले।
सफर ‘अंजाम को हासिल कहाँ अंजाम से पहले?

 

मेरे पर काटने वाले ज़मीं को जान पाया मैं,
कहूँ मैं शुकरिया, तुझ पर किसी इल्ज़ाम से पहले।

 

मुझे मंजूर सब तोहमत मुहब्बत में, मगर डर है,
तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले।

 

मुझे कब बिजलियों का खौफ सीना आसमां मेरा,
मैं राहे वर्क में छत सा तना हूँ बाम से पहले।

 

चुका कर उम्र, सीधी बात थी जो आज समझा हूँ,
बिना इंसानियत की हो बुलंद अक़्वाम से पहले।

 

हुये पत्थर भी फूलों से ‘हबीब’ उसको बुलाते हैं,
पसीने सा बहा करता है वो आराम से पहले।

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वीनस केसरी

 

हमारी दोस्ती के लाज़िमी अंजाम से पहले
गले मिल कर चलो रो लें किसी इलज़ाम से पहले

 

मुआफ़ी मांग लूंगा मैं किसी अंजाम से पहले

मेरे दिल में जो है कह लूँ ज़रा आराम से पहले

 

किसी हिदुत्व से पहले किसी इस्लाम से पहले
यहाँ इंसानियत बसती थी कत्लेआम से पहले

हजारों रंग आ कर इस जगह पर ख़्वाब बुनते थे
यहीं पर गाँव का बाज़ार था कुहराम से पहले

 

नज़ारे कैसे दिखलाये, ज़रा सी भूल ने मुझको
मैं हाज़िर था सरे महफ़िल मेरे पैगाम से पहले

 

निभाया है नफ़ासत को, रवायत को निभाएँ आप
हमारे हाँथ कटवा दें किसी इन्आम से पहले

 

न जाने क्या हुआ, इक शाम यूँ ही खुद से मिल बैठा
मैं आईने पलट देता हूँ अब हर शाम से पहले

 

सजाए यूँ फिरोगे नाम 'वीनस' का लबों पर तो
'तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले'

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vandana

 

हुआ सम्मान नारी का यहाँ नर नाम से पहले
सिया हैं राम से पहले व राधे श्याम से पहले

समेटा है मेरा अस्तित्व धारोंधार जब तुमने
विशदता मिल गयी जैसे कहीं विश्राम से पहले

 

खिंची रेखा कोई जब भी बँटे आँगन दुआरे तो
कसक उठती है सोचें हम जरा परिणाम से पहले

 

ग़ज़ल का जिक्र जब होगा कशिश की बात गर होगी
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले

 

बुझा ना आस का दीपक यकीनन भोर आएगी
अँधेरा है जरा गहरा मगर अनुकाम से पहले

 

अगर ममता ने बाँधी है परों से डोर कुछ पक्की
यकीनन लौट आयेंगे परिंदे शाम से पहले

 

विरासत में मिली खुशबू खिले हैं रंग बहुतेरे
छुआ आँचल कहो किसने कि जिक्र-ए-नाम से पहले

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ram shiromani pathak

 

अज़ब है खेल उसका भी किसी परिणाम से पहले!!
सजा देता रहा मुझको सदा इल्ज़ाम से पहले !!१

 

बड़ा शातिर खिलाड़ी है वो हँसके क़त्ल करता है!
अज़ब ये खौफ़ फैला है किसी अंजाम से पहले!!२

यूँ आपस में लड़ें दिन रात बेमतलब की बातों से !
कभी तो सोच ले मानव ज़रा संग्राम से पहले।!३

 

घुसा है डर न जाने क्यूँ दिखे हर बाप में मुझको !
न लौटे घर को बेटी जब कभी भी शाम से पहले!!४

 

कहेगा जब ज़माना वो बड़ा ही नेक बन्दा था
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले!!५

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रमेश कुमार चौहान

 

मेरे माता पिता ही तीर्थ हैं हर धाम से पहले
चला थामे मैं उँगली उनकी नित हर काम से पहले

उठा मै भाल चिरता चला हर घूप जीवन का,
बना जो करते सूरज सा पिता हर शाम से पहले

 

झुकाया सिर कहां मैने किही भी धूप से थक कर,
घनेरी छांव बन जाते पिता हर घाम से पहले

 

सुना है पर कहीं देखा नही भगवान इस जग में
पिता सा जो चले हर काम के अंजाम से पहले

 

पिताजी कहते मुझसे पुत्र तुम अच्छे से करना काम
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले

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Kewal Prasad

 

जमाने ने दिये हैं घाव, जो अंजाम से पहले।
रूलाते प्यार के जज्बे, सभी आराम से पहले।।

 

शराफत और खुददारी, यहां बेचैन रहती है।
तभी कमबक्त घोटाले, पके हैं आम से पहले।।

 

हजारों लोग रोते हैं, जरा सी बात नफरत पर,
बुझा दीपक करें घर में, सियासत राम से पहले।।

 

कभी नाला समन्दर औ, कभी इन्सा सिकन्दर है।
समय के बाज से बचता, परिन्दा शाम से पहले।।

 

वजीफा भी करें क्या हम, कहानी संगणक से है।
बेगारी रोज डसती है, सुलाती काम से पहले।।

 

इरादे भी कहां पक्के, विचारों में अड़ंगे हैं।
उड़ाये कौम की आंधी, सुखद पैगाम से पहले।।

 

सियासत में मरी महिला, बहाकर खून का कतरा।
लड़ा बेटा, बहू -पोता अड़े संग्राम से पहले।।

 

सभी तो जी रहे हैं अब, बिना उददेश्य के 'सत्यम।
मरें तिल-तिल करें तौबा, सभी परिणाम से पहले।।

 

सफर जितना भी लम्बा हो, वतन पैगाम आयेगा।
तुम्हारा नाम भी आयेगा, मेरे नाम से पहले।।

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ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)

 

मैं बिस्मिल्लाह पढ़ लेता हूँ हर इक काम से पहले l
नही लेता किसी का नाम तेरे नाम से पहले ll

 

हुए अरमान पूरे सब दिले नाक़ाम से पहले l
वो मुझपे मेहरबां था गर्दिशे अय्याम से पहले ll

 

मुझे मालूम है बेचैन होगी मेरी ख़ातिर माँ l
मैं घर को लौट आता हूँ हमेशा शाम से पहले ll

 

सभी ने डाल दी मिट्टी ख़ुदा का नाम ले ले कर l
लिटाया दोस्तों ने कब्र मे आराम से पहले ll

 

उठेंगी उंगलियाँ मुझ पर तो इतना सोंच लेना तुम l
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले ll

 

हमारा फ़र्ज़ है बढ़ते रहें बढ़ते रहें पैहम l
जूनू में सोचना क्या है किसी अंजाम से पहले ll

 

मुहब्बत मे दिए हैं तूने मुझको ग़म बहुत 'गुलशन' l
लगा लूँगा वो सारे ग़म दिले नाक़ाम से पहले ll

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Safat Khairabadi

 

न कोई नाम हो लब पर ख़ुदा के नाम से पहले
पढ़ा कर, दिल से बिस्मिल्लाह तू हर काम से पहले

 

यही तो पूछता हर शख्स आसाराम से पहले
ज़रा भी सोंच लेता वो अगर अंजाम से पहले

 

वतन के उन शहीदों में लिखा है नाम भी उसका
न तानाशाह कोई अब तक हुआ सद्दाम से पहले

 

उठा कर हाथ करता हूँ दुआ मैं ऐ ख़ुदा तुझसे
बना दे दूसरों के काम तू मेरे काम से पहले

 

जिधर भी देखिए अब गर्म है बाज़ार रिश्वत का
क़लम उठता नही है दफ़्तरों में दाम से पहले

 

कटेंगी किस तरह अपनी शबे तनहाईयाँ आख़िर
तेरी यादें सताने आ गयीं फिर शाम से पहले

 

लिखी जाएगी जब भी दास्तां मेरी मुहब्बत की
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले

 

शफ़ाअत दूसरों की अएबज़ोई बाद में करना
बचा ले अपना दामन तू किसी इल्ज़ाम से पहले

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मोहन बेगोवाल

 

कभी आते नहींअपने यहाँ घर शाम से पहले
यहाँ जो छोड जाते है वो घर आराम से पहले 

 

अभी मौस्म है जख्मों का अभी खामोश ही रहना ,
तुम्हे और मिलेंगे ऐसे किसी ईनाम से पहले

न साहिबा का बनू मिरजा, बनु तो हीर का राँझा,
तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले

 

यहाँ कैसे रहेगा तेरे बिन ये दिल बता देना,
रहा बन के मेराअपनाजो था कुहराम से पहले

करे कोई कैसे तेरे यहाँ संसार की बातें,
उठा लेते जो सर पे किसी इल्हाम से पहले

 

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D.K.Nagaich

 

बहुत मसरूर था जो गर्दिश-ए-अय्याम से पहले,
चुकाई है बहुत कीमत उसी ने काम से पहले .

 

उसे तुम क्या बताओगे, उसे मालूम है सब कुछ,
वो खुद मौजूद होता है वहां कुहराम से पहले .

 

उठेंगी उँगलियाँ मेरी तरफ़ जब भी ज़माने की,
"तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले" .

 

रवायत मैकशी की मुझ को वाइज़ ने सिखाई है,
वगरना लड़खड़ा जाते कदम इक जाम से पहले .

 

मिरा जो हाल है सो है, सुकूं थोड़ा तो आएगा,
अगरचे हाल वो पूछे मिरा अंजाम से पहले .

 

उसे इस बात का बिल्कुल नहीं था इल्म भी यारों,
मिलेंगे ख़ार भी उसको यहाँ गुलफ़ाम से पहले .

 

बहुत दिल खोल कर मिलता रहा हर शख्स से रोशन,
सज़ाएँ इसलिए पाईं किसी इल्ज़ाम से पहले.

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कवि - राज बुन्दॆली

 

नहीं जानॆं यहाँ कॊई, कभी अंज़ाम सॆ पहलॆ !!
चढ़ॆ हैं और भी सूली, कई सद्दाम सॆ पहलॆ !!१!!

 

बुजुर्गॊं की नसीहत है, हमॆशा नॆकियाँ करना,
हजारॊं मर्तबा सॊचा, करॊ बद-काम सॆ पहलॆ !!२!!

 

कदम चूमॊ करॊ सॆवा,जरा उनकी,दुआ लॆ लॊ,
सदा दॆखॊ यही तीरथ, वहाँ कॆ धाम सॆ पहलॆ !!३!!

 

ज़मानॆ नॆं किसी कॊ भी,नहीं छॊड़ा हक़ीक़त है,
ज़माना दॆखता सब है, सदा इल्ज़ाम सॆ पहलॆ !!४!!

हमॆशा चॊट खाई है,उसी नॆ फल दिया जिसनॆ,
चुनॆ जानॆ लगॆ पत्थर, रसीलॆ आम सॆ पहलॆ !!५!!

 

जरा खुद कॆ गिरॆबां मॆं,कभी झांकॊ भलॆ लॊगॊ,
"तुम्हारा नाम भी आएगा, मॆरॆ नाम सॆ पहलॆ" !!६!!

 

कहा माँ नॆं ख़ुदा तॆरी, गनीमत सॆ भली-खासी,
अकॆली लौट आई घर, सुकन्या शाम सॆ पहलॆ !!७!!

यहाँ महफ़ूज़ हैं अब भी,सती सीता कहॆं कैसॆ,
जनम लॆतॆ कई रावण,जहाँ श्री राम सॆ पहलॆ !!८!!

 

खुदा की है इबादत यॆ,उसी का है करम जानॊ,
गज़ल कहना नहीं आसां, ग़मॆ-पैग़ाम सॆ पहलॆ !!९!!

लतीफ़ॊं कॊ बिठातॆ हॊ,गज़ल कॆ"राज"आसन पॆ,
कभी पूछा करॊ ग़ालिब, तक़ी-खैय्याम सॆ पहलॆ !!१०!!

****************************

आशीष नैथानी 'सलिल'

मिलूँगा गाँव के चौराह पर कल शाम से पहले
नया आगाज करना है बुरे अंजाम से पहले ||

कई लोगों की आँखों में खटकती है मुहब्बत ये
हिफ़ाजत से चली आना किसी कुहराम से पहले ||

 

यहाँ से दूर जाकर इक नई दुनिया बनानी है
मगर काँटे हटाने हैं अदद आराम से पहले ||

 

किया कीजे न शक इतना जबीं की इन लकीरों पर
परीक्षा देनी होती है हर इक परिणाम से पहले ||

 

नफ़ा-नुकसान कुछ भी हो मेरे इस दाँव में लेकिन
'तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले ||'

***************************

बृजेश नीरज

 

तके है राह ये किसकी नज़र हर शाम से पहले
बचाने लाज आया कौन आखिर श्याम से पहले

 

सितम हर एक सह लेंगे मगर तुम याद ये रखना
‘तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले’

 

बुझाने प्यास को अपनी परिंदा इक भटकता है
कुआँ औ ताल सूखे हैं यहाँ पर घाम से पहले

 

नज़र में छवि तुम्हारी है तुम्हारा ख्याल हरदम है
तुम्हारा ज़िक्र होता है मेरे हर जाम से पहले

 

किसे अपना कहें किसको पराया ही समझ लें हम
नहीं होती असल पहचान अब अंजाम से पहले

****************************

rajesh kumari

 

चले आओ हमारे पास ढलती शाम से पहले
बदल जाए जरा आलम शबे आराम से पहले

 

नहीं ये वक़्त आएगा दुबारा फिर यही सोचूं
करूँ सपने सभी पूरे जरा पैगाम से पहले

 

जफ़ा करके समझते हो तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा
तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले

 

हुनर को बाद में जिनके दिए जाते यहाँ मैडल
जहाँ को छोड़ जाते हैं वही ईनाम से पहले

 

जहां जिस डाल पर बैठो उसी को काटना चाहो
जरा तुम सोच लो इक बार फिर अंजाम से पहले

 

निवाला आज अपनों ने तेरे खाया नहीं खाया
कभी तो देख ले उनको छलकते जाम से पहले

 

बिना कोशिश भला मिलता कहाँ कुछ क्या समझते हो
नहीं मिलती कभी रोटी किसी को काम से पहले

 

यहाँ कीमत किसानो की जरा आकर कभी देखो
जहाँ जलते नहीं चूल्हे फसल के दाम से पहले

 

गवाही ‘राज’ अब कैसे भला दे बे गुनाही की
चलो सर ही कटा दूँ मैं किसी इल्जाम से पहले

******************************

 

Ajeet Sharma 'Aakash'

 

नतीज़ा सोच लेना चाहिए हर काम से पहले .
दयारे-ख़ास में जाओ, दयारे-आम से पहले .

 

सितम ढायेंगे काली रात के लम्हे न जाने क्या
परिन्दो लौट जाओ घोंसलों को शाम से पहले .

 

है महिला वैद्य से क्या काम असली, जेल में इसको
ज़रा ये पूछकर आओ तो आसाराम से पहले

 

जहां भर में ये भारतवर्ष की नारी का रुतबा है
हमेशा नाम राधा का रहा है श्याम से पहले .

 

लबों पर किसके कितनी प्यास बाक़ी रह गयी है अब
ये जाकर पूछ लो हर एक तश्नाकाम से पहले .

 

शरारत पर है आमादा, ये दिल हरगिज़ न मानेगा
तेरी आँखों से भी हो जाय कुछ, इस जाम से पहले .

 

ज़माना लाख समझाये, नहीं सुधरेंगे लेकिन हम
नहीं कुछ काम करना है हमें आराम से पहले .

 

मोहब्बत की बला रास आये, या ना आये अब मुझको
ज़रा मैं पूछ तो लूँ इस दिले-नाकाम से पहले .

 

करो बदनाम मुझको ख़ूब पर इतना समझ लेना
तुम्हारा नाम भी आयेगा मेरे नाम से पहले

 

बहाना चल न पायेगा कोई 'आकाश' हमसे अब
कहीं से ले के आओ मय सुहानी शाम से पहले .

*********************************************

shashi purwar

 

जतन करना पड़ेगा आज ,फिर हर काम से पहले
खिलेंगे फूल राहों में ,तभी इलहाम से पहले

 

कभी तो दिन भी बदलेंगे ,मिलेंगी सुख भरी रातें
दुखों का अंत होगा फिर सुरीली शाम से पहले

 

बिना मांगे नहीं मिलती ,कभी कोई ख़ुशी पल में
जरा दिल की सभी बातें ,लिखो कुहराम से पहले

 

बढ़ो फिर आज जीवन में ,मुझे मत याद करना तुम
कभी पहचान भी होगी ,मेरे उपनाम से पहले

 

वफ़ा मैंने निभाई है ,तुम्हारे साथ हर पल ,पर
तुम्हारा नाम भी आएगा ,मेरे नाम से पहले।

 

 

 

 

किसी शायर की ग़ज़ल छूट गई हो अथवा कहीं मिसरों को चिन्हित करने में गलती हुई हो तो अविलम्ब सूचित करें|

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इंतज़ार की घड़िया समाप्त ! 

इस मंच का एक अत्यंत क्लिष्ट लेकिन उतना ही प्रतीक्षित पोस्ट है यह !  यह पोस्ट एक तरह से मानक है कि सभी प्रतिभागी ग़ज़लकार देख लें कि उनके प्रयास की क्या प्रगति है.. !

भाई राणाजी, आपको इस निष्ठा के लिए हृदय से बधाई.

शुभ-शुभ

आदरणीय राणा जी, तरही मुशायरा समापन पश्चात् "चिन्हित संकलन" की उसी तरह से प्रतीक्षा रहती है जैसे किसी परीक्षा या प्रतियोगिता के बाद परिणाम की प्रतीक्षा होती है. इस श्रम-साध्य कार्य हेतु हृदय से आभार.............

एक से बढ़कर एक कलाम पेश किये गए हैं ..वाह ... सभी शायरों को दिली मुबारकबाद और आपको भी बहुत बधाई और शुभकामनायें आदरणीय श्री राणा जी मुशायरों के सफल सञ्चालन के लिए !

आदरणीय राणा प्रताप जी मुशायरे की ग़ज़लों के संकलन को इस पोस्ट में देखना ऐसा लगता है जैसे किसी परीक्षा का नतीज़ा नोटिस बोर्ड पर देख रहे हों ,आपने इस श्रम साध्य काम को बाखूबी अंजाम दिया है ,जिसके कारण जो ग़ज़लें छूट गई थी उन्हें अब पढने को मिल रहा है  ,आपको बहुत बहुत बधाई एवं  हार्दिक आभार  

तरही मुशायरा में प्रस्तुत गज़लों की "चूकी" हुई मिसरों को चिन्हित कर प्रस्तुत किया जितना कठिन कार्य है, मुझ जैसे विद्यार्थियों के लिए उतना ही कीमती भी... इनके बीच से गुजरते हुये कितनी ही बातें स्वतः स्पष्ट हो जाती हैं...

आदरणीय राणा प्रताप जी सफलतम आयोजन तथा बहुमूल्य संकलन हेतु सादर बधाई एवं आभार स्वीकारें

आदरणीय मंच संचालक सर 

आपके इस श्रम साध्य कार्य को नमन करते हुए पहले तो मैं इस बात  के लिए सभी से क्षमा प्रार्थी हूँ कि आयोजन के दौरान व्यस्तता के कारण सक्रिय रूप से भाग नहीं ले पायी 

अब सबसे पहले अपनी गलती जो समझ आई उसके बारे में .....

"समेटा है मेरा अस्तित्व धारोंधार जब तुमने"  ( तकाबुल-ए-रदीफैन दोष)

इसे यदि यूँ किया जाए - 

समेटा है मेरा अस्तित्व धारोंधार  तुमने जब

तो क्या यह दोषमुक्त होगी या अन्य और भी गलती है ?

और दूसरे शेर में  ग़लती शायद यूँ दूर हो सकेगी 

बुझा ना आस का दीपक यकीनन भोर आएगी

जला तू आस का दीपक यकीनन भोर आएगी

कृपया मार्गदर्शन कीजियेगा बहुत बहुत आभार सहित 

दोनों मिसरे आपने बखूबी दुरुस्त कर लिए हैं| दूसरे मिसरे में अगर बुझा लफ्ज़ ही इस्तेमाल करना चाहें तो ना की जगह मत इस्तेमाल करके देखिये|

सादर

बहुत बहुत आभार आदरणीय राणा सर आपके मशविरे के लिए 

वाह भाई जी सुन्दर संकलन के लिए बधाई स्वीकारें ,,,,,

आदरणीय राणा सर जी , चिन्हित संकलन को शीध्र उपलब्ध कराने के लिये आपका बहुत बहुत आभार !!!

इस बार बहुत सी ग़ज़ल छूट गयी थीं, अब मिल गयीं। धन्‍यवाद।

बहुत उम्दा..उम्दा संग्रह, कठिन कार्य को सफलतापूर्वक संपादित करने  हेतु राणा जी को मेरी तरफ से कोटिश: बधाई....नमन 

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