For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा"अंक २८ (Closed with 649 Replies)

परम आत्मीय स्वजन,

 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के २८ वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार मेरी दिली ख्वाहिश थी कि ऐसा मिसरा चुना जाय जिसकी बह्र एकदम नयी हो अर्थात इस बह्र पर पिछला कोई मुशायरा आयोजित न हुआ हो| मिसरा भी ऐसा हो जिसके काफिये और रदीफ सामान्य होँ| बड़ी मशक्कत के बाद जो मिसरा मुझे मिला वो भारत के महान शायर जनाब बशीर बद्र साहब की एक गज़ल का है जिसकी बह्र और तकतीह इस प्रकार है:

"खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है"

२२१ १२२२ २२१ १२२२

मफऊलु मुफाईलुन मफऊलु मुफाईलुन
(बह्र: बहरे हज़ज़ मुसम्मन अखरब)
रदीफ़ :- है
काफिया :- आनी (पानी, निशानी, कहानी, जवानी, जानी आदि)


मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २७ अक्टूबर शनिवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक २९ अक्टूबर दिन सोमवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |

अति आवश्यक सूचना :-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के इस अंक से प्रति सदस्य अधिकतम दो गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं |
  • शायर गण एक दिन में केवल एक ही ग़ज़ल प्रस्तुत करें
  • एक ग़ज़ल में कम से कम ५ और ज्यादा से ज्यादा ११ अशआर ही होने चाहिएँ.
  • शायर गण तरही मिसरा मतले में इस्तेमाल न करें.
  • माननीय शायर गण अपनी रचनाएँ लेफ्ट एलाइन एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें.
  • नियम विरूद्ध एवं अस्तरीय रचनाएँ बिना किसी सूचना से हटाई जा सकती हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी. .

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २७ अक्टूबर दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |



मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन

Views: 14060

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जीएंगे भला कैसे खंडहर से जुदा होके   --- बहुत सुंदर और सटीक बात कही है आपने,और बहुत सही फरमाया भाई राज नवादवी जी,

टूटा हु काशाना पुरखों की निशानी है// - हमारे यहाँ राजस्थान में पुराणी हवेलियाँ पुरखों की निशानी मानकर बेचते नहीं,और

                                                   बंटवारा होते होते  एक एक कोटडी हिस्से में रह जाती है, आगे सार संभल आगे

                                                   सार-संभल न होने से खंडहर सी | सभी बहुत शानदार है, हार्दिक बधाई स्वीकारे |       

जी बहुत बहुत शुक्रिया भाई लक्ष्मण सा जी! 

वाह साहब वाह.. क्या ख़ूबसूरत मुज़ाहिरा है! आपकी ग़ज़ल पढ़ कर उसी की रौ में बहता चला गया..

दुनिया की कदोकाविश तम्सीलएतखय्युल है

आफ़ाक में पोशीदा गर्दिश की कहानी है; -- ये शे'र तो ग़ज़ब लगा..

मक़ता भी लाजवाब है! ढेरों मुबारकबाद हमारी ओर से..

आदरणीय जनाब वाहिद साहेब, आपकी दाद सर आँखों पे. बहुत बहुत शुक्रिया!

आदरणीय राज साहिब, बहुत ही गंभीर ग़ज़ल कही आपने..गंभीरता इस हद्द तक, कि शब्दार्थ तक देखना पड़ा....इन सबके लिए बहुत बहुत आभार आपका....

हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये

जनाब धर्मेंद्र साहेब, हौसला अफजाई का तहेदिल से शुक्रिया. 

आदरणीय राज नवादवी जी, कहन तो आपके पास पहले से ही था और अब बहर पर आपका प्रयास मुग्धकारी है, अच्छी ग़ज़ल पर दाद कुबूल करें |

आदरणीय बागी जी, ये सब इस मंच की देन है जिसका मैं दायम मम्नूनोमशकूर रहूंगा. आपकी तहसीनोसताइश का दिल से शुक्रिया. सादर! 


आदरणीय राज़ नवद्वी जी सच में ग़ज़ल तो ये होती है जो आप लिखते हैं बहुत ही शानदार उर्दू शब्दों की हिंदी पढ़कर तो अशआर समझ में आने से दुगुना मजा बढ़ गया दिली दाद कबूल करें दो तीन दिन से बहुत व्यस्त चल रही हूँ भागते दौड़ते मुशायरे में शामिल होती हूँ 

आदरणीया राजेश जी, बहुत बहुत शुक्रिया. जहाँ तक गज़लगोई का तआल्लुक है, हम भी उसी मंजिल के राहरौ हैं जिसकी आप, ज़ेरेतरबियत बंदे की हर काविश गर बंदगी के जज्बे से लबरेज़ हो जाए, तो अकीदत कुद्रतन पैदा हो ही जाती है. और ये सब इस मंच का कमाल है. आपने भी जो अश्आर पेश किये वो कुछ कम नहीं और उनमें भी बेहतरी साफ़ नज़र आ रही है. तहेदिल से शुक्रिया! 

वाह वा ...   राज़ नवादवी साहब ! आप तो एकदम से सिक्सर पर सिक्सर लगा बैठे भाई ! आपका बाबह्र होना गोया किसी उफ़नाती दरिया का संयत होना.. .  वाह वाह !

कुछेक शेर में तकाबुले रदीफ़ का दोष है .. जिस पर आप जल्द ही काबू पा लेंगे, यह पूरा विश्वास है.

दिल से आदाब और शुभकामनाएँ कह रहा हूँ, भाईजी.. .

शुक्रिया आदरणीय सौरभ भाई. आप ही प्रेरणास्रोत रहे सो आपको ही श्रेय जाता है. जो भी थोड़ी बहुत तरक्की हुई है उसके लिए हम आपके दिल से मम्नून हैं. बताए गए दोष जनाब योगराज जी के कहने से दूर करके पोस्ट भी कर दिया है. आपका दिल से शुक्रिया! 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"परम आदरणीय सौरभ पांडे जी व गिरिराज भंडारी जी आप लोगों का मार्गदर्शन मिलता रहे इसी आशा के…"
25 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। 'मिलना' को लेकर मेरे मन में भी प्रश्न था, आपके…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"2122 2122 2122 212 दोस्तों के वास्ते घर से निकलना चाहिए सिलसिला यूँ ही मुलाक़ातों का चलना चाहिए…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत बहुत आभार आपका ,ये प्रश्न मेरे मन में भी थे  सादर "
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"इस बार के तरही मिसरे को लेकर एम प्रश्न यह आया कि ग़ज़ल के मत्ले को देखें तो क़ाफ़िया…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति औल स्ने के लिए आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। 6 शेर के लिए आपका सुझाव अच्छा…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन।गजल आपको अच्छी लगी, लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"2122 2122 2122 212 **** रात से मिलने को  दिन  तो यार ढलना चाहिए खुशनुमा हो चाँद को फिर से…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी प्रस्तुति पर पुन: आता हूँ।  करूँगा मैं चर्चा सबुर आप…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी इस प्रस्तुति पर पुन: आऊँगा।  शुभातिशुभ"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service