For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सादर नमस्कार।

प्रस्तुत है हमारी एक कविता जो मैंने आज से 14 साल पहले लिखी थी।

मैं हिन्दू हूँ, जी हाँ एक हिन्दू,
कुछ गलत रुढ़ियों एवं प्रथाओं का एक बिन्दू,
हाँ मैं एक हिन्दू.
ना-ना-ना,
हिन्दू तक तो ठीक था,पर जानते नहीं,
मैं हिन्दू में ही हूँ, ब्राह्मण, पंडित, चंदनधारी,
अच्छे कर्मों का अधिकारी.
छूना मत मेरा भोजन वर्ना वह अपवित्र कहलाएगा,
मैं रह जाऊँगा भूखा-भूखा, जानते नहीं,
तूझे मेरा भोजन छिनने का पाप लग जाएगा.
मैं भी जानता हूँ, इस अन्न को तूने ही उगाया है,
कूट-पीसकर चावल बनाया है,
ये मिर्च व मसाले हैं तेरे खेत के,
नमक को भी तूने ही सुखाया है.
जहाँ तक है इस बरतन का सवाल,
तूने ही दिया इसको यह आकार.
कुछ भी हो तुम क्षुद्र ही तो हो,
पर मैं तुमसे ऊँचा हूँ, ब्राह्मण हूँ.
ये ठीक है इस कूप को खोदने में,
हर जीव को जल देने में,
तूने खून-पसीना एक किया,
पर अब अपना लोटा ना डुबा,
इस वक्त इसे ना करो अपवित्र,
पहले मुझे जल भर लेने दो,
हींकभर पी लेने दो, वर्ना
मैं जल बिन मीन हो जाऊँगा.
देखो कितनी तेज बारिश है,
मैं भीग रहा हूँ, निकलो झोपड़ी से बाहर,
मैं कैसे बैठूँ तेरे साथ, अपवित्र हो जाऊँगा.
ब्राह्मण हूँ.
मैंने कब कहा कि ये कपड़े,
जो मैंने पहने हैं, तूने नहीं बनाए,
अरे साफ कर दिए तो क्या हुआ,
यह अपवित्र हुआ ?
पर मेरे छूने से पवित्र हुआ,
मैं इतना देखता चलूँ तो पागल हो जाऊँगा,
देख ! इसे अब मत छूना,मैं ब्राह्मण हूँ.
आओ बैठो पैर दबाओ,थोड़ा ठंडा तेल लगाओ,
करो धीरे-धीरे मालिश,दूँगा तूझे ढेर आशीष,
पर तुम मुझको छूना नहीं,अपवित्र हो जाऊँगा.
ब्राह्मण हूँ.
मैं मानता हूँ, तेरे बिन मैं जी नहीं सकता,
हर वक्त,हर क्षण मुझे तेरी जरूरत है,
जबतक तू ना देता बनाकर शादी का डाल,
नहीं हो सकता मेरा शुभविवाह.
पर मैं तुमसे ऊँचा हूँ, ब्राह्मण हूँ.
मेरी माँ भी कहती थी, मेरे पैदा होने के वक्त,
तू माँ के पास रह रही थी,अरे यह क्या ?
मेरे जमीं पर गिरने के वक्त तो,
माँ दर्द से छटपटा रही थी,
उस समय तू मुझे सीने से लगाए,
प्रेम से चुमचाट रही थी.
पर देख अब मुझे मत छूना, ब्राह्मण हूँ.
मैंने धारण किए जनेऊ,माथे पर चंदन,
करुँगा प्रभु का पूजन,
पर तू कर पहले मेरा पूजन,
मैं ब्राह्मण हूँ.
मैं स्पष्ट कहता हूँ,
तेरी कृपा से ही जिंदा रहता हूँ,
पर इससे क्या,यह तेरा एहसान नहीं,
मेरा ही एहसान है तुझपर.
मैं ब्राह्मण हूँ, हूँ, हूँ. छूना मत.
अपवित्र हो जाऊँगा.


--प्रभाकर पाण्डेय
Prabhakar Pandey

हिंदी अधिकारी, सी-डैक पुणे
Hindi Officer, C-DAC PUNE

पुणे विश्वविद्यालय परिसर, गणेशखिंड,
पुणे- 411007, भारत
Pune University Campus, Ganeshkhind,
Pune - 411007, India
मोबाइल- 8975941372
****************************************************************************************************
Creator- http://hindihindi.ning.com
Editor-in-chief 'Bhojpuri Express'- www.bhojpuriexpress.com
State President (Maharashtra) 'Young Indian Organization'- http://youngindian.org
treasurer- Ashirbad (आशिर्वाद)..NGO
****************************************************************************************************

Views: 1378

Reply to This

Replies to This Discussion

bahut badhia kavita hain prabhakar bhai
Prabhakar ji, samaj ki ek kupratha par chot karti huye bahut hi badhiya kavita hai.
सादर धन्यवाद नीलम दीदी अउर रवि भाई।।
bahut sundar prabhakar bhaiya
बहुत खूब प्रभाकर भईया, जबरदस्त रचना है यह आपका, सब कुछ तो कह दिया है आपने कुछ भी तो नही बचा, दोगली मानसिकता पर प्रहार करती हुई यह रचना भले कुछ पोंगा और ढोंगी लोगो को नागवार लगे , पर जिस सच्चाई की तरफ आप इशारा कर रहे है उसमे आप पूरी तरह से सफल है, बधाई है आपको इस शानदार अभिव्यक्ति के लिये,
सादर धन्यवाद, रविनाजी एवं गणेशजी।।
भावपूर्ण रचना
Bhai Prabhakar ji ,
Tani deri ho gail raur utkrist rachna padhe me .Gazab likhle bani
Bahut- bahut badhai.
Bijay Pathak
bahut hi badhiya kavita hai prabhakar jee......
bahut baria Sir ji......... lagal rahi !!
ढ़ोंगी मानसिकता के ऊपर अच्छी रचना
मिथ्याचारियों के ऊपर कटाक्ष
धन्यवाद

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
3 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
15 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
23 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service