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Chetan Prakash
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  • अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
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Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ.संजय शुक्ल तल्ख़,  आदाब,  अलग अंदाज है, का ग़ज़ल कहने का,और सराहनीय ग़ज़ल हुई आपकी! आ. Euphoria अमित जी, शेष कह ही चुके हैं !"
Dec 28, 2024
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सु श्री रिचा यादव जी, नमस्कार! स्तुत्य प्रयास हुआ है, आपकी प्रस्तुति में, ग़ज़ल कह्न के ! शेआ.  Euphonic Amit ji, सब कुछ और अन्य गुणीजन कह चुके हैं !"
Dec 28, 2024
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ.भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफ़िर,  ग़ज़ल पर आपकी कोशिश सराहनीय कही जाएगी। मुझे कोई  फन्डामेन्टल कमी आपकी प्रस्तुति में दिखाई नहीं पड़ी, सिवाय इसके कि उर्दू और  अरबी फ़ारसी के लफ़्ज़ कुछ ज्रियादा हिज्जे कीजिएगा। वस्तुत: नुक़्ता  सही न…"
Dec 28, 2024
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदाब,  मुहतरम समर कबीर साहब और सभी हाज़िर !"
Dec 28, 2024
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"लोग क़ाबिज़ अजीब हरक़त में वो   दबाते  है  आँख  राहत में ! जो शऊर एक बात का होता बज़्म से जाते वो इनायत में ! उनसे मिल कर बताना चाहता हूँ शाइरी   की  है आज फ़ुरसत में ! कोई तो पूछता  ख़ुदा से…"
Dec 28, 2024
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की दृष्टि से कुण्डलिया छंद का उल्लेखनीय उदाहरण है !"
Dec 16, 2024
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे सदैव एक अपेक्षा रहती है कि आप स्वयं, बंधुवर, रचना को थोड़ा और समय दें। भरती के शब्द आपकी रचनाओं, खेद है, अपेक्षाकृत अधिक पाए जाते हैं! यथा, '…"
Dec 16, 2024
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार ऐसे भाव-बिद्ध होता है, जैसे अर्जुन को संसार नहीं, लक्ष्य संधान करते हुए मात्र पेड़ पर बैठी 'चिड़िया' की केवल आँख ही दिखाई देती थी । शुभातिशुभ…"
Dec 16, 2024
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है, मात्र तुक संयोजन अथवा मात्र नर्सरी हो सकता है, कविता नहीं!"
Dec 16, 2024
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का संयोजन मात्र नहीं है, जैसा कि कुछ मित्र मंच पर विश्वास कर ते जान पड़ते हैं! अपितु, बंधु, कलों के वाच्य व्यवहार से जुड़ा है , जैसे आपके दूसरे दोहे का विषम…"
Dec 16, 2024
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169
"आदरणीय, भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर, मैंने मात्र सर्वमान्य सिद्धांत का संदर्भ लिया, अन्यथा बात करने का मैं आदि नहीं हूँ !"
Dec 16, 2024
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169
"यथायोग्य अभिवादनोपरांत, बंधु, आपकी दोहा अष्टपदी का पहला दोहा प्रथम चरण नेष्ट हे ! मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार कभी दोहा छंद का प्रारम्भ 121 से न होगा"
Dec 15, 2024
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई। स्वाभाविक है,आयोजन की नियमावली को आपने कदाचित नहीं पढ़ा और, न ही नियमानुसार प्रस्तुति दी है । आदरणीय, वस्तुतः आपकी प्रस्तुति प्रथम द्ष्ट्या…"
Nov 17, 2024
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सतरंगी दोहेः विमर्श रत विद्वान हैं, खूंटों बँधे सियार । पाल रहे वो नक्सली, गाँव, शहर लाचार ।। राजनीति के नाम पर, होती गुण्डई आज । एम. एल. ए. ही भोगता, सारी सविधा स्वराज ।। लोकतंत्र हित वो करें, भीड़-तंत्र मजबूत । जनमानस को मिल रहे लाठी- डंडे जूत…"
Nov 17, 2024
Chetan Prakash commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"रामबली गुप्ता जी,शुभ प्रभात। कुण्डलिया छंद का आपका प्रयास कथ्य और शिल्प दोनों की दृष्टि से सराहनीय है।"
Nov 17, 2024
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//रहूँगा मुब/ तिला घर औ/ र रार से / डर ना / है ।// कृपया सानी की बह्र जाँच लें आ. निश्चित ही मिसरा बह्र से बाहर है, ध्यानाकर्षण के लिए, आपका आभारी हूँ दोष- निवारण देखिएगाः रहूगाँ मुबतिला घर और रार उबरना है दूसरा दोष,तक़ाबुल-ए-रदीफ़ैन असावधानी में…"
Oct 26, 2024

Profile Information

Gender
Male
City State
Baraut
Native Place
Hapur
Profession
Teaching
About me
I'm a poet rather born than made or trained since my childhood

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ग़ज़ल

2122 1122 1122 22 / 112

अंधा आँखों का है हर शख़्स बता देगा तुम्हें

ख़ार खाया है ये जन्मों का दग़ा देगा तुम्हें

गुरु वो घंटाल ज़माने कभी सय्याद रहा

काट कर पर वो रखेगा जो सज़ा देगा तुम्हें

झाँसे में उसके न आया करो जानाँ कभी तुम

रहती दुनिया का दरिन्दा वो क़जा देगा तुम्हें

है नशा उसको सदारत का कई बज़्म सुना

ना तुम्हारा न वो मेरा ही जता देगा तुम्हें

है वो ख़ुदगर्ज़ निहायत कहीं हद से ज़ियादा

ख़ुद…

Continue

Posted on December 20, 2023 at 6:00pm — 2 Comments

एक ताज़ा ग़ज़ल

2122 1122 1122 22

ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए

पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाए

बख़्श दी जाए कहीं जान ख़वातीनों की

अब तो ज़ालिम को कड़ी कोई सज़ा दी जाए

घूमते हैं वो दरिन्दे भी नकाबों में अब तो

जितना जल्दी हो उन्हें मौत बजा दी जाए

लोग अच्छे ही परेशान हैं वहशी दरिन्दों

इन्तिहाँ हो गयी अब लौ वो बुझा दी जाए

ज़ात इन्साँ की पशेमाँ है ज़रायम से 'चेतन'

तूफाँ कोई तो उठा कर…

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Posted on November 27, 2023 at 12:57pm — 2 Comments

एक ताज़ा गज़ल

2121 2122 2121 212

खो गया सुकून दिल का कार हो गया जहाँ

गुम गया सनम भँवर में ख़ार हो गया जहाँ

कामयाबी तौलती दुनिया भरोसे जऱ ज़मी

फार्म जिनके हैं नहीं गुड़मार हो गया जहाँ

ज़िन्दगी जिसे कहा हमने कहीं छुपा गया

है निशान अपने ज़ालिम पार हो गया जहाँ

कार-ए-दुनिया और कुछ हैं और कुछ दिखें ख़ुदा

मारकाट हाल कारोबार हो गया जहाँ

तोड़ हद रहे सभी अब तो अदब जहान में

लाज लुट रही घरों मुरदार हो गया…

Continue

Posted on November 8, 2023 at 8:30pm

एक और ग़जल ः

2121 2122 2122 212



ढूढ़ ले हबीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके

साथ हो नसीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



छोड़ देता रोना-धोना मस्त जीता ज़िन्दगी

दोस्त हो करीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



मरता जीता मुश्किलों तू आदमी है बदगुमाँ

साध ले सलीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



ज़ीस्त बोझ बन गई हर शख़्स वो है झींकता

जाम हो अजीब कोई जिन्दगी तो हो सके



खो चुका ख़ुलूस आदम हो गया बे होश है

दोस्त हो ग़रीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



उम्र सारी वो गँवा दी… Continue

Posted on September 24, 2023 at 9:46am — 1 Comment

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At 6:35am on July 22, 2021, रणवीर सिंह 'अनुपम' said…
आदरणीय, चेतन जी, "दोहे : कैसे- कैसे  लोग" शीर्षक के तहत लिखे गए दोहे बहुत सुंदर हैं और बहुत अच्छे लगे।

निम्न चरण विधान में न होने से इनमें लय भंग है। जिसे दूर करने की जरूरत है।

जन्म-भूमि स्वर्ग सम हो
(कारण-नवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

कृतघ्न पक्के लोग
(कारण-आरंभ में जगण "कृतघ्न"आ रहा है, जो नहीं होना चाहिए)

कर रहे बस भोग
(कारण-एक मात्राभार कम है, साथ ही पाँचवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

न हों कभी बदनाम
(कारण-पहली मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

विद्या  हमें  सिखाती है,
(कारण-13 मात्राओं की जगह 14 मात्राएँ हैं, जो नहीं होनी चाहिए)

कर अन्याय प्रतिकार
(कारण-11 की जगह 12 मात्राएँ हैं जो नहीं होनी चाहिए)
At 11:46pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

भाई चेतन जी
नमन -
इस्लाह का
सलीका आ जायेगा
मैंने आज तलक
मुकम्मल तो कोई देखा नहीं
गलतियां निकालोगे-
तो सीखूंगा ही ।।
मैं तो अधूरा था
अधूरा रहा
और हूँ अब तलक
आज आया हूँ आपकी बज्म में
कुछ सिखा दोगे -
तो सीखूंगा भी ।।

At 11:59am on June 27, 2020, Samar kabeer said…

जनाब चेतन प्रकाश जी,ये टिप्पणी आप मुशाइर: में दें,तो मुझे जवाब देने में आसानी होगी ।

 
 
 

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"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
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