आदरणीय प्रदीप कुमार कुशवाह जी ,आपकी रचना को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना घोषित होने पर हार्दिक बधाई।
आपने मुझे अपना मित्र बना कर जो गौरव प्रदान किया उसके लिए हार्दिक आभार।
भविष्य में मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार ।
आदरणीय प्रदीप सिंह कुशवाहा जी, सादर अभिवादन ! मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी रचना "आदमी" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे | आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित आपका गणेश जी "बागी संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक ओपन बुक्स ऑनलाइन
प्रदीपजी , नमस्कार , आपकी रचनाएँ ,कविता हों या लेख , सभी उदेश्य को समेटे उत्कृष्ट होते हैं . सौजन्यता और स्नेह को मित्रता का अवदान दिया आपने ,कृतज्ञ हूँ .लेखनी की चमक दिनानुदिन प्रभावी हो ,अनेकानेक शुभाशंसाएं .
परम् आदरणीय कुशवाहा सर जी सादर नमन्।
महोदय आपने इस तरह से मेरी प्रत्येक रचना का अनुमोदन किया,कि मेरा उत्साह यरम पर पहुंच गया।
आगे भी स्नेह बनाए रखने की आपसे विनयी हूं।
महोदय किसी समस्या के कारण मैं अभी किसी आदरणीय को friend request नहीं भेज पाई,निवेदन कर के मांगी है,सो आपसे भी निवेदन है।
यह दिक्कत शायद मोबाइल प्रयोग के कारण हो रही हो!
सादर प्रतीक्षा में
वन्दना
आदरणीय प्रदीप सर जी!
आप का प्र.- यह रचना नहीं है?
उत्तर- जो भी रचा जाये वही रचना है।
प्र.-फिर इसे खारिज क्यों किया गया?
उ.- क्योंकि यह रचना के मानदण्ड पर खरी नहीं है।
प्र.- कमी क्या है?
उ.- आपने लिखा है इसमें 24 मात्रा है। लेकिन गणना में कही कम कहीं अधिक है। अर्थात् आपके द्वारा निश्चित मात्रा विधान पर ही रचना खरी नहीं है। जहां तक मैं समझ पा रहा हूँ आपने गीत लिखने का प्रयास किया है।लेकिन आदरणीय गीत के भी कुछ अपने मानदण्ड होते हैं।जिसकी चर्चा बाद में करूंगा।प्रथम रचना पर हो जाये।अपनी रचना में आप मात्रा गणना देखिये-
आवल ह सन्देशा नौकरी पर बुलाये हैं
2 1 1 1 2 2 2 2 1 2 1 1 1 2 2 2=25 मात्रायें
खा गुड चना सत्त्तू संग पैसा बाँध लाये हैं
2 1 1 1 2 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2=27मात्रायें
चल पड़े चरण माँ के छू पिता दुलराय हैं
1 1 1 2 1 1 1 2 1 2 1 2 1 1 2 1 2=23 मात्रायें
जो भी मिला साधन प्रथम धाय चढ़ जायहैं
2 2 1 2 2 1 1 2 1 1 2 1 1 1 2 1 2=25 मात्रायें
सपन बसाये नयनों के पूरे हो जाय हैं
1 1 1 1 2 2 1 12 2 2 2 2 2 1 2=25 मात्रायें
यही मन आस लिये दौड़े चले आये हैं
1 2 1 1 2 1 1 2 2 2 1 2 2 2 2=24 मात्रायें
आप स्वयं देख सकते हैं कि यह रचना खुद के बनाये मानदण्ड पर भी खरी नहीं।
साथ ही आपकी रचना में समान्त का भी निर्वहन ठीक नहीं है, जैसे- बुलाये हैं, लाये हैं, दुलराय हैं, जाय हैं, आये हैं आदि।
निष्कर्ष:-
इस प्रकार आपकी रचना महज तुकबंदी एवं भाव भर है।अत: इस खारिज किया गया है।
सुझाव:-
1- सर्व प्रथम आप मात्रा गणना के नियमों की जानकारी लें तथा उसे आत्मसात करें।
2- अपनी रचना में मात्राओं की संख्या निर्धारित कर प्रत्येक चरण में (पंक्ति में) उसका निर्वहन करें।
या
3- गेयता के अनुसार आपकी रचना वीर छंद तथा मात्रा के अनुसार रोला छंद के अधिक निकट है। ओ.बी.ओ. पर भारतीय छंद विधान समूह (http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:Topic:295618, http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/2) में जाकर आप वीर छंद (http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:Topic:293326) तथा रोला छंद (http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:Topic:249263) की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।तदनुरूप इस रचना को वीर छंद या रोला छंद में ढाल सकते हैं।
4- समान्त दोष न आने दें।
पूज्यवर ,आपने मुझे मित्रता हेतु योग्य समझा ,इससे बड़ा मेरा भाग्य क्या हो सकता है .....सर्वथा अपने पुत्र के समान समझकर अपना आशीर्वाद हमपर बनाये रखें ......
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA's Comments
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आपने मुझे अपना मित्र बना कर जो गौरव प्रदान किया उसके लिए हार्दिक आभार।
भविष्य में मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार ।
आदरणीय प्रदीप सिंह कुशवाहा जी महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना चुने जाने पर आपको हार्दिक हार्दिक बधाई। आप ऐसे ही शीर्ष को छूते रहें।
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
आदरणीय प्रदीप सिंह कुशवाहा जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी रचना "आदमी" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
आदरणीय, कुशवाहा जी हार्दिक स्वागत।
आदरणीय प्रदीप जी..... आपके स्नेह और अपनत्व का सदा आभारी और सदा आकांक्षी .... हार्दिक आभार आपका !
आदरणीय प्रदीप जी आपका हार्दिक आभार! ये आपके आशीष का ही सुफल है!
सादर!
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई व् शुभकामनायें , आदरणीय प्रदीप जी
सादर!
jawab dair se dene ke liye ...mafi chaunga
आपकी कृपा और स्नेह सदैव बनाये रखिये आदरणीय प्रदीप जी!
सादर वेदिका
महोदय आपने इस तरह से मेरी प्रत्येक रचना का अनुमोदन किया,कि मेरा उत्साह यरम पर पहुंच गया।
आगे भी स्नेह बनाए रखने की आपसे विनयी हूं।
महोदय किसी समस्या के कारण मैं अभी किसी आदरणीय को friend request नहीं भेज पाई,निवेदन कर के मांगी है,सो आपसे भी निवेदन है।
यह दिक्कत शायद मोबाइल प्रयोग के कारण हो रही हो!
सादर प्रतीक्षा में
वन्दना
आप का प्र.- यह रचना नहीं है?
उत्तर- जो भी रचा जाये वही रचना है।
प्र.-फिर इसे खारिज क्यों किया गया?
उ.- क्योंकि यह रचना के मानदण्ड पर खरी नहीं है।
प्र.- कमी क्या है?
उ.- आपने लिखा है इसमें 24 मात्रा है। लेकिन गणना में कही कम कहीं अधिक है। अर्थात् आपके द्वारा निश्चित मात्रा विधान पर ही रचना खरी नहीं है। जहां तक मैं समझ पा रहा हूँ आपने गीत लिखने का प्रयास किया है।लेकिन आदरणीय गीत के भी कुछ अपने मानदण्ड होते हैं।जिसकी चर्चा बाद में करूंगा।प्रथम रचना पर हो जाये।अपनी रचना में आप मात्रा गणना देखिये-
आवल ह सन्देशा नौकरी पर बुलाये हैं
2 1 1 1 2 2 2 2 1 2 1 1 1 2 2 2=25 मात्रायें
खा गुड चना सत्त्तू संग पैसा बाँध लाये हैं
2 1 1 1 2 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2=27मात्रायें
चल पड़े चरण माँ के छू पिता दुलराय हैं
1 1 1 2 1 1 1 2 1 2 1 2 1 1 2 1 2=23 मात्रायें
जो भी मिला साधन प्रथम धाय चढ़ जायहैं
2 2 1 2 2 1 1 2 1 1 2 1 1 1 2 1 2=25 मात्रायें
सपन बसाये नयनों के पूरे हो जाय हैं
1 1 1 1 2 2 1 12 2 2 2 2 2 1 2=25 मात्रायें
यही मन आस लिये दौड़े चले आये हैं
1 2 1 1 2 1 1 2 2 2 1 2 2 2 2=24 मात्रायें
आप स्वयं देख सकते हैं कि यह रचना खुद के बनाये मानदण्ड पर भी खरी नहीं।
साथ ही आपकी रचना में समान्त का भी निर्वहन ठीक नहीं है, जैसे- बुलाये हैं, लाये हैं, दुलराय हैं, जाय हैं, आये हैं आदि।
निष्कर्ष:-
इस प्रकार आपकी रचना महज तुकबंदी एवं भाव भर है।अत: इस खारिज किया गया है।
सुझाव:-
1- सर्व प्रथम आप मात्रा गणना के नियमों की जानकारी लें तथा उसे आत्मसात करें।
2- अपनी रचना में मात्राओं की संख्या निर्धारित कर प्रत्येक चरण में (पंक्ति में) उसका निर्वहन करें।
या
3- गेयता के अनुसार आपकी रचना वीर छंद तथा मात्रा के अनुसार रोला छंद के अधिक निकट है। ओ.बी.ओ. पर भारतीय छंद विधान समूह (http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:Topic:295618, http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/2) में जाकर आप वीर छंद (http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:Topic:293326) तथा रोला छंद (http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:Topic:249263) की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।तदनुरूप इस रचना को वीर छंद या रोला छंद में ढाल सकते हैं।
4- समान्त दोष न आने दें।
पूज्यवर ,आपने मुझे मित्रता हेतु योग्य समझा ,इससे बड़ा मेरा भाग्य क्या हो सकता है .....सर्वथा अपने पुत्र के समान समझकर अपना आशीर्वाद हमपर बनाये रखें ......
आदरणीय प्रदीप जी;
आपका शत-शत धन्यवाद। आशा है कि आपके दिए हुए मनोबल से मैं ओ.बी.ओ. की कसौटी पर पूरा
उतर सकूँगा।
सादर और सस्नेह,
विजय निकोर
नमस्कार
आपने मेरी मित्रता स्वीकार की इसके लिए धन्यवाद। अपने लेखन के सम्बन्ध में आपकी राय का इंतज़ार रहेगा।
आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!
सादर प्रणाम ,नाना जी |
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आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
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