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ये नाम-करण कैसे हुआ -- डॉo विजय शंकर

नाम , नाम , नाम ,
नाम से तो यश है,
गौरव है , शान है,
व्यक्ति यशस्वी है,
जीते जी महान है ,
तदोपरांत पूज्य है,
वंदन है , गान है |
कितने नाम हमने दिए ,
कितने महान पैदा किये ,
देव है, पिता है, चाचा है,
भाई जी,ताऊ ,अम्मायें हैं
देवता कितने संख्य हैं,
नेता कितने असंख्य हैं ,
हम सर्वत्र नतमस्तक हैं ,
पर कितने नगणय हैं ,
सब नाम हमारे अपने हैं ,
नामकरण सब अपने हैं ,
मदर इंडिया फिल्म बनी ,
इंडियाज़ डॉटर कौन बनी ,
आयोजन इसका नहीं होगा ,
स्मृति - कलश भी नहीं होगा ,
ये नाम-करण कैसे हुआ ,
देश में नहीं,विदेश में हुआ ,
नाम के साथ यह प्रश्न रहेगा ,
उत्तर हो न हो पर प्रश्न रहेगा ,
इस नाम को कोई कैसे भूलेगा ,
ये नाम तो बस रह गया ,रहेगा ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2015 at 10:23am
रचना की स्वीकृति के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद आदरणीय सुश्री राजेश कुमारी जी, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2015 at 9:28am

एक नए गंभीर मुद्दे को केन्द्रित कर लिखी गई कविता सोचने पर विवश करती है बहुत खूब हार्दिक बधाई  आदरणीय 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 8, 2015 at 11:58pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , क्या कहें , सादर।
सही कहा आपने ,
तथ्य और सत्य दोनों दबे रहें ,
हमारी चैन की बांसुरी बजती रहें ,
न कोई बाधा हो कोई विघ्न न रहें ,
घोर दुःख तो यह है ,
तथ्य और सत्य एक अपराधी बता रहा है ,
व्यवस्था कुछ और करे न करे , रोक लगा रही है ,
सजा याफ्ता सांस्कृतिक नियम बता रहा है ,
बता रहा है,संभल कर रहो , दरबे में रहो ,
दब कर रहो, वरना हम सजा देंगें , दे भी दी ,
हम हल ढूंढना दूर , सवाल छुपा रहें हैं ॥
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 8, 2015 at 1:10pm

आ० विजय सर

इन्टरनेट के सौजन्य से पूरी डाक्यूमेंटरी देखी i  जिस घटना न देश में जागृति उत्पन्न की  वह सर्वोच्च न्यायालय  रूपी अधर में लटकी है i इस देश का क्या हो सकता है i iआदरणीय  सर i

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 8, 2015 at 1:04pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी ,रचना आप को पसंद आई, उसे सार्थकता मिली, आभार, आपकी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 8, 2015 at 1:02pm
प्रिय जीतेन्द्र जी , आपकी दृष्टि पड़ी , रचना को भाव मिला , सार्थकता मिली, आभार, आपकी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 12:21pm

देवता कितने संख्य हैं,
नेता कितने असंख्य हैं ,
हम सर्वत्र नतमस्तक हैं ,
पर कितने नगणय हैं ,.....दिमाग को सोचने पर मजबूर करती ,बहुत सुन्दर रचना आदरणीय डॉक्टर विजय शंकर सर , हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2015 at 11:37am

पहले आपकी रचना ,फिर आपका प्रतिउत्तर पढ़ा. दोनों सराहनीय है आदरणीय डा.विजय जी. इस गहन लेखन पर आपको हार्दिक बधाई प्रेषित करता हूँ.  सादर!

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 7, 2015 at 9:47pm
आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी ,

मान्यवर ,
आज का सबसे गंभीर विषय है यह , राष्ट्रीय स्तर पर तूफ़ान खड़ा कर देने वाला विषय है यह , हमारी पूरी व्यवस्था , सोंच को नए तरीके से झकझोर देने वाला विषय है यह।
बी बी सी द्वारा बनाई गयी
एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म है यह।
रोज ख़बरों में है यह।
एक विचार , एक चुनौती है यह,
सोचना पड़ेगा , ऐसा है कुछ यह।
एक निवेदन है यह ,
किसी की पूरी जिंदगी , आशा ,
लाज , लज्जा , अस्तित्व है यह।
शायद एक दबी हुई सिसकी है यह।
आपकी कृपा चाहती है यह।
सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 7, 2015 at 9:23pm

आ० विजय सर 

कौन है इंडियाज डाटर  i यह तो मुझे नही पता i चलो मिलकर खोजते हैं i सादर i शुभ होली i

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