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कुछ उलटा , कुछ सीधा -- डॉo विजय शंकर

अच्छाइयों के लिए फ़िकर क्यों करें
बुराइयों में बड़ा मजा आता है ||

भजन भगवान के करम शैतान के
कर के देखो बड़ा मजा आता है ||

सीधी बातें छोडो, गलतफहमियां
पालो, देखो,बड़ा मजा आता है ||

सच है, पर उपदेश कुशल बहुतेरे,
राजनीति है ,बड़ा मजा आता है ||

सबसे लड़ लेते हो, इक बार लड़ो ,
खुद से, देखो, बड़ा मजा आता है ||

झूठ सौ बोलते हो , एक बार सच
बोलो, देखो,बड़ा मजा आता है ||

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on April 27, 2015 at 9:21pm
प्रिय मिथिलेश जी ,
आपको प्रस्तुति अच्छी लगी , आभार। आपने सही कहा , " उल्टा ही सीधा है ," सब उल्टा साध कर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं , धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 27, 2015 at 9:16pm
प्रिय जीतेन्द्र जी ,
आपको प्रस्तुति अच्छी लगी , आभार। आपने हमारी गीत का मान देदिया उसके लिए भी आभार , जब कि यह तो नितांत साधारण कविता है। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 27, 2015 at 3:27pm
आदरणीय डॉ विजय शंकर सर,
उल्टा सीधा हो गया है सर।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 27, 2015 at 12:05pm

सुंदर प्रस्तुति ,सर. बस! कहीं कहीं पढने में लय अवरुद्ध हो रही है.

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