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जनतंत्र में जयकार की जय - डॉo विजय शंकर

कोई ये दावा कर के बैठा है ,
कोई वो दावा करके बैठा है ,
कहाँ रह गए गरीबी मिटाने वाले ,
सबसे आगे तो वो निकला
जो रोटी रोटी पे अपनी तस्वीर
चिपका के बैठा है।
क्या बात है ,
हर बात में तेरी जय ,
हर खुशी में तेरी जय ,
हर गमी में तेरी जय ,
फसल अच्छी तो तेरी जय ,
पड़े सूखा तो तेरी जय ,
हर आपदा में जय ,
जय , सिर्फ तेरी जय ,
खाए तो तेरी जय ,
भूखा हो तो तेरी जय ,
जिए तो तेरी जय
मरे तो तेरी जय ,
जिंदगी रहे या जाए ,
बनी रहे तेरी जय ,
बस तेरी जय ,
बस तेरी जय।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 5, 2015 at 10:03pm

अति सुन्दर बहुत बहुत बधाई l

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