For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दूरदृष्टि -  लघुकथा  -

दूरदृष्टि -  लघुकथा  -

"क्या हुआ अंशू, देख आया लड़की, कैसी लगी?"

"माँ, मुझे नहीं जमी |मैंने इसीलिये आप से भी साथ चलने को कहा था पर आपने तो टका सा जवाब दे दिया कि शादी तो तुझे ही करनी है| आखिरी फ़ैसला तो तेरा ही होगा, फिर मुझे इस बुढ़ापे में क्यों तंग कर रहा है?"

"पर जब तूने सबके  फोटो और बायोडेटा देखे थे  तो सबसे अधिक इसे ही प्राथमिकता दी थी|"

"हाँ माँ, उस हिसाब से तो वह अब भी सबसे बेहतर है।"

"अब उन्हें क्या जवाब देकर आया है?।"

"मैंने उन्हें बोला कि माँ से सलाह कर फोन कर दूंगा|"

"कमाल है अंशू, लड़की सुंदर है, सुशील है, पढ़ी लिखी है, नौकरी भी अच्छी है,  घरेलू भी है, खानदान भी अच्छा और प्रतिष्ठित है।तो फिर तुझे उससे समस्या क्या है?"

"माँ, मैं उन लोगों द्वारा तय समय पर वहाँ गया तो वह घर पर नहीं थी। लड़की  आधे घंटे बाद बाहर से आयी। अजीब  सी पोशाक पहन रखी थी। उसकी माँ ने स्पष्टीकरण दिया कि जुडो कराटे की क्लास से आयी है। वह जुडो कराटे सीख रही है।"

माँ ने बड़बड़ाते  हुए अंशू से पूछा," तेरे मोबाइल में उसकी माँ का नंबर है। मेरी बात करा।"

अंशू को लगा कि माँ शायद उनको कुछ बुरा भला ना बोल दे अतः थोड़ा बात को संभालने के उद्देश्य से बोला,"छोड़ो माँ, बाद में बात कर लेना।"

"नहीं मुझे अभी बात करनी है।"

माँ को गुस्से में देखकर अंशू ने चुपचाप नंबर मिलाकर मोबाइल पकड़ा दिया।  माँ के तेवर देख कर, किसी अनहोनी की आशंका से, पुनः दया याचना की दृष्टि से माँ की ओर देखा। पर माँ की आँखों से निकलती चिंगारियों ने उसे चुप रहने को विवश कर दिया|

अब अंशू भय ग्रस्त माँ की उस वाणी की प्रतीक्षा में था जो उसके वैवाहिक जीवन के भविष्य की आधार शिला रखने वाली थीं

माँ ने बिना कोई भूमिका बनाये सीधे सपाट शब्दों में बोल दिया,"हमको आपकी लड़की पसंद है।"

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 523

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on August 10, 2019 at 6:14pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।

Comment by vijay nikore on July 19, 2019 at 3:51pm

लघुकथा बहुत ही अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, भाई तेज वीर सिंह जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 16, 2019 at 7:20am

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी।

Comment by Sushil Sarna on July 15, 2019 at 7:36pm

खुली सोच का प्रदर्शन करती इस सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 14, 2019 at 12:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब आदरणीय।

Comment by Samar kabeer on July 14, 2019 at 11:19am

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
50 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जनाब ज़ैफ़ साहिब आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।  घोर कलयुग में यही बस देखना…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"बहुत ख़ूब। "
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपके सुझाव बेहतर हैं सुधार कर लिया है,…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझने बताने और ख़ूबसू रत इस्लाह के लिए,ग़ज़ल…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"ग़ज़ल — 2122 2122 2122 212 धन कमाया है बहुत पर सब पड़ा रह जाएगा बाद तेरे सब ज़मीं में धन दबा…"
9 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 घोर कलयुग में यही बस देखना रह जाएगा इस जहाँ में जब ख़ुदा भी नाम का रह जाएगा…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। सुधीजनो के बेहतरीन सुझाव से गजल बहुत निखर…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।"
12 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service