ग़ज़ल (दिल ने जिसे बना लिया गुलफाम दोस्तो)
(मफ ऊल _फाइ लात _मफा ईल _फाइ लुन)
दिल ने जिसे बना लिया गुलफाम दोस्तो l
उसने दिया फरेबी का इल्ज़ाम दोस्तो l
मैं ने खिलाफे ज़ुल्म जुबां अपनी खोल दी
अब चाहे कुछ भी हो मेरा अंजाम दोस्तो l
दिल को अलम जिगर को तड़प अश्क आँख को
मुझ को दिए ये इश्क़ ने इनआम दोस्तो l
लाए हैं अंजुमन में किसी अजनबी को वह
दिल में न यूँ उठा मेरे कुहराम दोस्तो l
सच्चा है यार वो उसे पहचान लीजिए
बद वक़्त पर जो आए सदा काम दोस्तो l
जिसने किया तबाह वही मेरा यार है
उसका जुबां से कैसे मैं लूँ नाम दोस्तो l
तस्दीक तब से भूल गया राहे मैकदा
उसने नज़र का जबसे पिया जाम दोस्तो l
(मौलिक व अप्रकाशित
Comment
जनाब महेंद्र कुमार साहिब , ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
लाए हैं अंजुमन में किसी अजनबी को वह
दिल में न यूँ उठा मेरे कुहराम दोस्तो l ...वाह!
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय तस्दीक़ जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. तीसरे शेर में तकाबुल-ए-रदीफ़ है. देख लीजिएगा. सादर.
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