For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

                                                

 

 

बचपन से बेटी अपने पापा के बहुत नजदीक होती है. पापा के दिल का टुकड़ा. जरा सी खरोंच भी आ जाएँ तो पापा अपनी बिटिया की तकलीफ दूर करने को तत्पर रहते है.

 

मै भी वैसे ही अपने पापा के बहुत नजदीक हूँ. मेरे पापा मेरे आदर्श है. बचपन से ही मेरी दुनिया अपने पापा से शुरु होती है.मेरे हर हुनर को पापा ने पहचान दी. समय बीतता रहा और कब मेरी उम्र विवाह योग्य हो गई मैं नही जानती.लेकिन पापा के चेहरे पर कभी कभी वो चिंता की लकीरें दिखाई देती थी जो एक पिता को अपनी बेटी के विवाह के लिए होती है.

 

और एक दिन वो घड़ी भी आई जो एक बेटी और पिता के लिए सबसे मुश्किल घड़ी होती है. वो घड़ी थी मेरी विदाई की. मुझे माता पिता ने बचपन से अच्छे संस्कार देने का प्रयास किया था. पढ़ाई के कारण ज्यादातर समय मैं अपने घर से दूर रही हूँ इसलिए ग्रहकार्य कर पाने मे निपुण नही थी.

 

पापा इस बात को अच्छी तरह से जानते थे. पापा मेरे मार्गदर्शक और मेरे पथ प्रदर्शक भी रहे हैं. इसलिए मेरी समस्या को समझते हुए उन्होंने मेरे लिए एक पत्र लिखा और मेरी बिदाई के समय वह पत्र मेरे हाथ मे देकर नम आँखों से मुझे बोले मैंने तुम्हारे लिए कुछ लिखा है जो शायद तुम्हारे लिए उपयोगी साबित होंगा इसे बाद मे पढ़ लेना.

 

 

वह पत्र मेरे लिए किसी अमृत वचन से कम नहीं है. समय समय पर उस पत्र ने मेरा बहुत साथ दिया. मैं उस पत्र को आप सभी के साथ शेयर करना चाहती हूँ ताकि जैसे मुझे उस पत्र ने मार्गदर्शित किया कुछ और बेटियों को भी मार्गदर्शित कर सकें.

 

प्रिय मोना,

 

आज पहली बार तुम्हारे पापा को तुमसे कुछ कहने के लिए कलम का सहारा लेना पड़ रहा है. लेकिन मुझमें इतनी हिम्मत नहीं कि ये सब मैं तुम्हें उस क्षण बता सकूँ जब तुम अपने पापा को छोड़ नए दुनिया मे कदम रख रही होंगी.

बिटिया जब आपका विवाह होता हैं तो आप उस पूरे परिवार से जुड़ जाते हो. हमेशा अपने परिवार का मान सम्मान बनाए रखना. मैने और तुम्हारी मम्मी ने हमेशा तुम्हें अपने से बड़े का आदर करना सिखाया है इसे भूलना नही.

मै जानता हूँ कि तुम्हें घर के कार्य ठीक से नहीं आते लेकिन धैर्य व लगन से यदि कार्य करने का प्रयास करोंगी तो निश्चित रूप से सभी कार्य कर  पाओंगी. तुम्हें कुछ जरूरी बातें बता रहा हूँ जो तुम्हें मदद करेंगी.

 

प्रातः जल्दी उठने की आदत डाले. इससे कार्य करने मे आसानी होती है साथ ही शरीर भी स्वस्थ रहता है.

 

घर के सभी बड़े लोगो को सम्मान दे व कोई भी कार्य करने से पूर्व उनकी अनुमति ले.

 

भोजन मन लगाकर बनाने से उसमें स्वाद आता है कभी भी बेमन या घबराकर भोजन नही बनाओ बल्कि धैर्य से काम लो.

 

यदि तुम्हें कोई कार्य नही आता तो अपने से बड़े से उसके बारे मे जानकारी लो.और उसे करने की कोशिश करो.

 

गुस्सा आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है. हमेशा ठंडे दिमाग से काम लो. जल्दबाजी मे कोई कार्य न करो.

 

गलतियाँ सभी से होतीं है. कभी भी कोई गलती होने पर तुरंत उसे स्वीकार करो. क्षमा माँगने से कभी परहेज़ न करो.

 

किसी के भी बारे मे कोई भी राय बनाने के पहले स्वयं उसे जाने,परखे तभी कोई राय कायम करे.सुनी हुई बातों पर भरोसा करने के बजाए स्वविवेक से निर्णय ले.

 

सास ससुर की सेवा करें. उन्हें दिल से सम्मान दे. उनकी बातों को नजर अंदाज न करे. न ही उनकी किसी बात को दिल से लगाए.

 

हमेशा अपने पापा के घर से उस घर की तुलना न करो.  न ही बखान करो. वहाँ के नियम वहाँ के रिवाज अपनाने का प्रयास करो.

 

किसी भी दोस्त या रिश्तेदार को घर बुलाने के पहले घर के बड़े या पति की आज्ञा ले.

 

विनम्रता धारण करो. संयम से काम लो.कोई भी बिगड़ी बात बनाने का प्रयास करो बिगाड़ने का नही.

 

कोई भी कार्य समय पर पूरा करे. समय का महत्व पहचानो.हर कार्य के लिए निश्चित समय निर्धारित करो व उसे पूर्ण करो.

 

घर के सभी कार्य मे हर सदस्य की मदद करें. जो कार्य न आए उन्हें सीखे.

 

 

ऐसी और भी कई छोटी छोटी बातें है जिनका यदी ध्यान रखा जाएँ तो गृहस्थी अच्छी तरह से चलती है. बिटिया अपनी जिम्मेदारियो से मुँह नही फेरना बल्कि उन्हें अच्छी तरह से निभाना. मुझे तुम पर पूरा भरोसा है. मै जानता हूँ कि तुम अपने ससुराल मे भी अपने मम्मी पापा का नाम ऊँचा रखोंगी व हमे कभी तुम्हारी शिकायत नही आएँगी. तुम सदा खुश रहो और अपनी जिम्मेदारियाँ ठीक से निभाओ यही आशीर्वाद देता हूँ.

 

तुम्हारा पापा

 राजेंद्र दुबे

 

 

दोस्तों , आज मै अपने ससुराल मे सबकी चहेती हूँ. ससुर जी मेरी तारीफ करते नही थकते. ये सब पापा की सीख का परिणाम है. उम्मीद करती हूँ कि आपको भी मेरे पापा की सीख मदद करेंगी. और आप भी अपने गृहस्थ जीवन मे सबके चहेते बने रहेंगे.

 

  प्रेषक

मोनिका दुबे (भट्ट)

Views: 1739

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tapan Dubey on June 26, 2011 at 1:18am
मोनिका जी आपकी ये पापा की सिख मे समझता हू की इस ओपन बुक्स परिवार के माध्यम से हर एक बेटी को अपने ससुराल मे जाने से पहले पड़ना चाहिए. बहुत ही भावुक है आपका ये पत्र.  सुंदर लिखावट के लिए बहुत बहुत बधाई  स्वीकार करे.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 24, 2011 at 9:31am

मोनिका जी , सबसे पहले तो आपके आदरणीय पिता जी को प्रणाम, पत्र में लिखी हुई सभी बाते सभी के लिए ( पुरुष या महिला ) अनुकर्णीय है | यदि इन सब बातों पर गौर किया जाय तो कभी भी कोई परेशानी नहीं होगी |

 

एक बात और सोचने वाली है कि पत्र में लिखी गई वो कौन कौन सी बातें ऐसी है जिसे हम आप पहले से नहीं जानते ? मुझे लगता है कि लगभग सभी बाते हम सब जानते है , किन्तु उसका पालन नहीं करते , सूत्र जानना बड़ी चीज नहीं है , सूत्र का सही प्रयोग बड़ी चीज है | 

एक बात और यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि ...सासु माँ को कभी भी माँ समझने की भूल नहीं करनी चाहिए, क्योकि एक दो को छोड़कर औरते बहु को कभी बेटी समझ ही नहीं सकती | इसलिए सास से सास की तरह ही व्यवहार करना चाहिए, मतलब कि अपनी माँ से ज्यादा ध्यान, सेवा , इज्जत , आदर , उनके आदेश का पालन  करना पड़ेगा | 

 

बहरहाल इस खुबसूरत आलेख हेतु बधाई स्वीकार करे |  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 22, 2011 at 6:24pm
भावनाओं और व्यवहार के सुलझे हुये तालमेल से ही संसार चलता है. पापा की बातें छोटी-छोटी ही हैं किन्तु इनका असर गहरे हुआ.

एक नवोढ़ा बेटी की मेंहदी रची कलाइयों मे पिता द्वारा ऐसा कोई पत्र धीरे से रख दिया जाना किस बेटी को संवेदनशील न कर देगा. आँखों का नम होजाना लाजिमी है. किन्तु, हम क्या इस बात पर न सोचें कि बेटी को इन बातों की सीख अपने पिता के घर से ही क्यों नहीं मिलने लगती जिस की अपेक्षा उसके ससुराल पहुँचने पर की जाती है. और, पुत्रों को अपने गृह-कर्त्तव्य के प्रति जागरुक कैसे किया जायेगा..!

आवश्यक, अच्छी और भावुक विषय पर कथ्य साझा करने के लिये मेरी हार्दिक बधाइयाँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service