For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आप वादे बड़े  खूब करते रहे

२१२ २१२  २१२  २१२

हम तो बस आपकी राह चलते रहे

ये ख़बर ही न थी आप छलते रहे

बादलों से निकल चाँद ने ये कहा

भीड़ में तारों की हम तो जलते रहे

हिम पिघलती हिमालय पे ज्यों धूप  में

यूँ हसीं प्यार पाकर पिघलते रहे

चांदनी भाती , आशिक हूँ मैं चाँद का 

सच कहूं तो दिए मुझको  खलते रहे

जुल्फ की छांव में उनके जानो पे सर

याद करके वो मंजर मचलते रहे

एक दूजे को हम ऐसे देखा किये

अश्क आँखों से रुख पर फिसलते रहे

जिस तरह आसमां से है सूरज ढले 

हुस्न भी हुस्न वालों के ढलते रहे 

हमसफ़र है हसीं इसलिए दोस्तों

पाँव में छाले पर आशू चलते रहे

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 701

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 3, 2018 at 10:07am

आदरणीय श्याम नारायण जी आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी रचना को आपका अनुमोदन मिला मैं ह्रदय से आभारी हूँ सादर 

Comment by Samar kabeer on May 2, 2018 at 6:42pm

जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन मतले के दोनों मिसरों में जो क़ाफ़िये आपने लिए हैं वो बाक़ी अशआर में नदारद हैं,इसलिये ग़ज़ल अभी अधूरी है,मतले को बदलने का प्रयास करें ।

तीसरे शैर के सानी मिसरे में शुतरगुर्बा दोष है, सानी मिसरा यूँ कर लें :-

'यूँ हसीं प्यार पाकर पिघलते रहे'

5वें शैर का ऊल यूँ करें :-

"एक दूजे को हम ऐसे देखा किये'

Comment by Mohammed Arif on May 2, 2018 at 6:38pm

आदरणीय आशुतोष जी आदाब,

                            बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

Comment by Shyam Narain Verma on May 2, 2018 at 4:16pm
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service