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ग़ज़ल नूर की -जो किताबों ने दिया वो फ़लसफ़ा अपनी जगह.

२१२२/२१२२/२१२२/२१२ 
.
जो किताबों ने दिया वो फ़लसफ़ा अपनी जगह.
लोग जिस पर चल पड़े वो रास्ता अपनी जगह.
.
फिर लिपटकर रो सकूँ मैं ये दुआ अपनी जगह
लौट कर आए न तुम मैं भी रहा अपनी जगह.
.
हक़ बयानी का सभी को हौसला होता नहीं  
संग हैं बेताब फिर भी आईना अपनी जगह.   
.
छोड़ कर मुझ को तेरा क्या हाल है यह तो बता
तेरे पीछे हश्र मेरा जो हुआ अपनी जगह.
.
ये वो मंजिल तो नहीं है आज पहुँचे हैं जहाँ
गो तुम्हारे साथ चलने का मज़ा अपनी जगह.
.
हम ने भी देखा है अपने दिल की बातें मान कर
है अमल अपनी जगह और मश्विरा अपनी जगह.
.
कामयाबी चाहिए तो सीख ले तू ये हुनर
रख ज़ुबां शीरीं हमेशा रख अना अपनी जगह.
.
एक मुट्ठी राख से ज़्यादा नहीं है ज़िन्दगी
दौलत-ए-दुनिया अलग है कुल जमा अपनी जगह.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित  

Views: 752

Comment

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 21, 2018 at 4:05pm

शुक्रिया आप हज़रात का ,
स्नेह बनाए रखिये
आभार 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 21, 2018 at 3:49pm

भई वाह,   बहुत अच्छी तरमीम हो गई , मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें ।

Comment by Samar kabeer on April 21, 2018 at 1:26pm

बहुत ख़ूब जनाब बहतर तरमीम,बधाई आपको ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 21, 2018 at 11:54am

आ. समर सर, तस्दीक अहमद साहब,
तीन मिसरे बदले हैं.. देखिएगा 
.
फ़लसफ़ा जो कुछ किताबों ने दिया अपनी जगह.
लोग जिस पर चल पड़े वो रास्ता अपनी जगह.
.
रो सकूँ मैं फिर लिपटकर ये दुआ अपनी जगह
लौट कर आए न तुम मैं भी रहा अपनी जगह.
.
एक मुट्ठी राख से ज़्यादा नहीं है ज़िन्दगी
जम’अ जो  कुछ भी किया जैसे किया, अपनी जगह  
.
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:38pm

धन्यवाद आ. तस्दीक अहमद साहब,
आख़िरी शेर के   काफ़िये पर विचार करता हूँ..
तुम और वह पर    भी सोचता हूँ 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:36pm

धन्यवाद आ. समर सर,
आपसे चर्चा के बाद मैंने मिसरा बदल भी दिया था लेकिन ये भूल गया कि रास्ता भी हे पर खत्म होता है.. अभी अलीबाग पहुँचा हूँ.. जल्दी ही कुछ सोचकर तरमीम करता हूँ 
दूसरे शेर का सानी यूँ कर रहा हूँ ..
.
रो सकूँ मैं फिर लिपटकर ये दुआ अपनी जगह 
.
जमा का भी कुछ करता हूँ ..
बस यही बात बार बार प्रेरित  करती है कि OBO पर आया जाय, लगातार सीखा जाय 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:32pm

धन्यवाद आ. डॉ आशुतोष जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:31pm

धन्यवाद आदरणीया नीलम जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:31pm

धन्यवाद आ. हर्ष जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 12:31pm

धन्यवाद आ. बसंत जी 

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