For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत... हर आहट पर यूँ लगता है जैसे हों साजन आये-बृजेश कुमार 'ब्रज'

हर आहट पर यूँ लगता है
जैसे हों साजन आये

घिर घिर आये कारे बादल
वैरी कोयल कूक उठी
अरमानों ने अंगड़ाई ली
और करेजे हूक उठी
बागों बीच पपीहा बोले
अमुआ डाली बौराये
हर आहट पर यूँ लगता है
जैसे हों साजन आये

खिड़की पर मायूसी पसरी
दरवाजों ने आह भरी
आँगन ज्यूँ शमशान हुआ है
कोने कोने डाह भरी
कब तक साँस दिलासा देगी
कब तक पायल भरमाये
हर आहट पर यूँ लगता है
जैसे हों साजन आये

फिर दिल ने आवाज लगाई
गौर करो इस अर्जी पर
कितने अरमानों से बुन बुन
उर की बंजर धरती पर
मैंने कितने गीत चुने हैं
कितने अफसाने गाये
हर आहट पर यूँ लगता है
जैसे हों साजन आये

तुम बिन सारा जग बिसराया
बस इतनी सी बात हुई
दिन कट जाता जैसे तैसे
वैरन काली रात हुई
मैं बिरहन बिरहा की मारी
कौन मुझे अब समझाये
हर आहट पर यूँ लगता है
जैसे हों साजन आये
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 1434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 3, 2017 at 7:44pm

तुम बिन सारा जग बिसराया
बस इतनी सी बात हुई
दिन कट जाता जैसे तैसे
वैरन काली रात हुई
मैं बिरहन बिरहा की मारी
कौन मुझे अब समझाये
हर आहट पर यूँ लगता है
जैसे हों साजन आये
बहुत खूब आदरणीय बृजेश जी ... प्रेम,विरह,स्मृति ,सब भावों का सुंदर गीत जो दिल में दूर तक असर करता है। कोमल भाषा और गीत प्रवाह पाठक को अंत तक बांधे रखता है। इस उत्तम गीत की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 3, 2017 at 5:59pm

वाह! बहुत खूबसूरत गीत 

पर एक जगह मात्र कम रह गयी और बोया आया का तुकांत भी सही नहीं इसे फिर से साधने का प्रयास हो 

भाव और बिम्ब सुन्दर है 

हार्सिक बधाई 

Comment by नादिर ख़ान on November 3, 2017 at 4:40pm

खिड़की पर मायूसी पसरी
दरवाजों ने आह भरी
आँगन ज्यूँ शमशान हुआ है
कोने कोने डाह भरी
कब तक साँस दिलासा देगी
कब तक पायल भरमाये
हर आहट पर यूँ लगता है
जैसे हों साजन आये ...आदरणीय बृजेश जी सुंदर गीत के लिए मुबारकबाद आपको ... 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2017 at 11:58am

सुंदर भावों के गीत के लिए हार्दिक बधाई श्री ब्रजेश कुमार जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2017 at 9:25am

आद० बृजेश कुमार जी बहुत सुंदर गीत लिखा है आपने बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by Mohammed Arif on November 3, 2017 at 8:03am
आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब, सरल-सरस भाषा में बहुत ही अच्छे विरह गीत की प्रस्तुति । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 3, 2017 at 7:33am
आदरणीय अजय शर्मा जी आपका हार्दिक स्वागत है..
Comment by Ajay Kumar Sharma on November 2, 2017 at 9:46pm
बहुत सुन्दर..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"    प्रस्तुति की सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय मिथिलेश जी. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service