For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल....कितने घावों को सिल डाला शब्दों के पैबंदों से-बृजेश कुमार 'ब्रज'

622 22 22 22 22 22 22 2
भावों के धागे चुन चुन कर अरमानों के बंधों से
कितने घावों को सिल डाला शब्दों के पैबंदों से

साँसों से जीवन जैसा फूलों से तितली का रिश्ता
कुछ ऐसा ही नाता अपना कविता गीतों छंदों से

जन्मों जन्मों का बंधन है डरना क्या इनसे बन्धू
दुख चलते हैं बनके साथी इनसे हैं अनुबंधों से

अक्सर सच की नीलामी भी चौराहों पे होती है
उसकी हालत बद से बदतर लूले बहरे अंधों से

मजहब को जीने वाले वो मजहब को ही खाते हैं
कोने में दुबका बैठा है मजहब गोरख धंधों से

ठग हैं भूखों की आहों के ये सपनों के सौदागर
कैसे बच के रह पाओगे नेताओं के फन्दों से
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
​​बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 9, 2017 at 12:04pm
आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन..जी बिलकुल कसा जा सकता है..कोशिश कर रहा हूँ और गहराई में उतर सकूँ..
Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 8, 2017 at 7:48pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आ. बृजेश जी...
मिसरों को और कसा जा सकता है... 
रचते रहिये
सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 8, 2017 at 7:10pm
आदरणीय अफरोज जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आभार व्यक्त करता हूँ।आपके द्वारा इंगित सुझाव स्वागतयोग्य हैं..सादर
Comment by Afroz 'sahr' on October 6, 2017 at 4:19pm
आदरणीय ब्रजेश जी आदाब सुंदर रचना के लिए आपको बधाई देता हूँ। तीसरे शेर का सानी मिसरा यूँ होना चाहिए "दुख चलते हैं बनके साथी ऐसे ही अनुबंधों से" चौथे शेर का सानी मिसरा शब्द विन्यास तथा व्याकरण के लिहाज़ से दुरुस्त नहीं हैं।
पाँचवे शेर के ऊला मिसरे में भी लगभग यही दोष है। छटवें शेर के ऊला मिसरे में भी सुधार की आवश्यकता है। बाकी शुभ शुभ सादर,,,
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 6, 2017 at 3:48pm
मापनी में 6 गलती से टाइप हो गया है कृपया नजरअंदाज करें..
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 6, 2017 at 3:47pm
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डा. साहब..
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 1, 2017 at 5:27pm
आदरणीय भाई ब्रज जी बहुत ही उम्दा रचना है हर शेर उम्दा वर्तमान परिदृश्य की अच्छी झांकी प्रस्तुत की है आपने रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service