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लगती प्यारी
मोहे मेरी बिटिया
गोरैया जैसी ।

रोज़ जगाती
नींद से हर दिन
प्यारी बिटिया ।

ठुमक कर
चलती थी नन्हीं सी
मेरी बिटिया ।

बड़ी सयानी
मीठी जिसकी बोली
मेरी बिटिया ।


घर आँगन
महकाती प्यार से
मेरी बिटिया ।

नया घरौंदा
बसाया अपना भी
मेरी बिटिया ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on April 9, 2017 at 11:16am

आदरणीया कल्पना जी , बिटिया पर सभी हाइकु बहुत सुन्द , सार्थल लगे ... हार्दिक बधाई आपको

Comment by Samar kabeer on April 8, 2017 at 2:40pm
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,बहुत बढ़िया लगे हाइकू,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on April 8, 2017 at 10:56am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब, बेटी की गरिमा-गौरव को रेखांकित करते बेहतरीन हाइकु । सच है, बेटी है तो कल है, बेटी है तो हर पल है, बेटी है तो रिश्तों में कल-कल है, बेटी है तो रिश्तों का सेतुबंध है । प्रथम हाइकु में एक अक्षर कम है । अगर "लगती प्यारी" कर लें तो विधान सही हो जाएगा । बहुत-बहुत बधाई ।

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