For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई फकीर तो कोई बादशा नजर आये

बहर:-1212-1122-1212-22

कोई फ़क़ीर तो कोई बादशा नजर आये।।
नजर का फर्क है ये किसको क्या नजर आये।।

है चाह दिल में की मुझको वफ़ा नजर आये।।
लिबास गुल में भी अदबी हया नजर आये।।

उन्हें जो देख लु तो जख्म दिल हरा हो ले ।
वो इश्क राह में इक हादसा नजर आये।।

भटक गया हूँ मै इस जिन्दगी की उलझन में।
है फ़िक्रे दिल की कोई रास्ता नजर आये।।

वो मश्खरे में भी भददी जुबाँ नही होता ।
जिन्हें वजूद में अपने खुदा नजर आये।।

सवाल करते हो तुमसब अलग अलग कैसे ।
हो एक बात तो कोई मशविरा नजर आये।।

ये आपका है नजर से नजर मिला लेना ।
हमें तो आप ही कुछ इश्किया नजर आये।।

सफ़र सफ़र है सफ़र में ख़याल मंजिल रख ।
सफ़र से भटके जो वो कहकशा नजर आये।।

मौलिक/अप्रकाशित
आमोद बिन्दौरी

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 27, 2017 at 11:13am
जनाब अमोद जी आदाब,ग्गज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई
ग़ज़ल अभी बहुत समय चाहती है ,
मतले के ऊला मिसरे में क़ाफ़िया दोष भी है और बह्र के लिहाज़ से 'तो',शब्द बढ़ रहा है,देखियेगा ।
तीसरे शैर के ऊला मिसरे में 'लु'को "लूँ" कर लें ।
4थे शैर के सानी मिसरे में 'फ़िक्रे'शब्द में इज़ाफ़त की ज़रूरत नहीं,उसे "फ़िक्र" कर लें ।

'वो मश्खरे में भी भद्दी ज़बाँ नहीं होता
जिन्हें वजूद में अपने ख़ुदा नज़र आये'
सानी मिसरा अच्छा है,लेकिन ऊला मिसरा सानी से रब्त पैदा नहीं कर पाया,ऊला में "मश्खरे"शब्द का क्या अर्थ है ?

'हो एक बात तो कोई मश्विरा नज़र आये'
ये मिसरा बह्र में नहीं है 'तो'शब्द निकाल दें तो ठीक हो जायेगा ।
सातवें शैर में मफ़हूम साफ़ नहीं है ।
आख़री शैर में क़ाफ़िया दोष है 'कहकशाँ',देखियेगा ।
Comment by Mohammed Arif on March 25, 2017 at 10:57pm
आदरणीय आमोद जी आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद कु़बूल कीजिए । ग़ज़ल के मतले के उला शेर म़ें आपने "बादशा"शब्द का इस्तेमाल किया है जबकि सही शब्द "बादशाह'"होता है । बाक़ी गुणीजन आपनी राय देंगे । शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service