For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुनियादारी- लघुकथा

"आज फिर तेरा मुँह सूखा सूखा लग रहा है, लगता है आज भी कुछ नहीं खाया तूने", माँ ने उसको देखते ही टोका|
"बहुत भूख लगी है माँ, कुछ खिला पहले", उसने बात को टालने की गर्ज से कहा|
"ठीक है तू हाथ मुँह धो ले, कुछ गर्मागर्म बनाती हूँ तेरे लिए", माँ तुरंत रसोई की तरफ लपकी और फिर उसका बोलना चालू हो गया "पता नहीं कब अकल आएगी इस छोरे को"|
जल्दी से गरम पकोड़े उसके सामने रखते हुए वह बोली "चाय भी बना रही हूँ, तू आराम से खा| वैसे आज तूने पैसों का क्या किया, टिफ़िन तो तू ले ही नहीं जाता"|
"बहुत अच्छे बनाती है तू पकोड़े, इतना बढ़िया कहीं नहीं मिलता", उसने जल्दी जल्दी खाते हुए कहा|
"ठीक है, इतना मस्का मत लगा, और लाती हूँ", एक बार उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए माँ फिर से किचेन में घुस गयी|
"ले, चाय भी पी, और बता आज पैसे कहाँ गए", माँ उसके सामने बैठ गयी|
"माँ, आज रग्घू के पास पैसे नहीं थे, उसने बोला कि सुबह से कुछ खाया नहीं है तो मैं क्या करता", उसने चाय पीते हुए कहा|
उनकी बात सुन रहे पिताजी ने अपने हाथ का अखबार नीचे रखा और उसको घूरते हुए कहा "कब समझेगा तू, जिसे देखो वही बेवकूफ बना के चल जाता है| अरे इस तरह से रहेगा तो दुनिया लूट लेगी तुझको"|
माँ ने एक बार कड़ी निगाहों से पिताजी को देखा और उठ कर उसका सर सहलाने लगी "कोई जरुरत नहीं है तुझे दुनियादारी सीखने की, तू जिंदगी भर बस ऐसे ही रहना"|
उसने एक बार निगाह उठाकर माँ की तरफ देखा और मुस्कुरा उठा| पिता ने एक लंबी सांस छोड़ी फिर से अखबार उठा लिया, उनको भी पता था कि वह कभी नहीं समझेगा|
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 924

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on December 7, 2016 at 9:18pm

बहुत बहुत आभार आ नीता कसार जी 

Comment by विनय कुमार on December 7, 2016 at 9:18pm

बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद भाई उत्साह बढ़ाने के लिए

Comment by Nita Kasar on December 6, 2016 at 8:02pm
परोपकार करने के संस्कार व संवेदनशीलता बच्चे में परिवार से ही आती है संवेदनशील कथा के लिये बधाई आद० विनय सिंह जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 6, 2016 at 7:19pm
वाह . बहुत ही उम्दा कथानक पर बढ़िया दृश्य सहजता के साथ शाब्दिक किया है आपने। कई बार बाप तो कई बार माँ या परिवार का कोई सदस्य या मित्र ही तथाकथित दुनियादारी यूं सिखाने लगता है। ज़रूरत है अपने जमीर की बात मानने की। बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय विनय कुमार सिंह जी।
Comment by विनय कुमार on December 6, 2016 at 3:40pm

बहुत बहुत आभार आ मिथिलेश वामनकर जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 6, 2016 at 2:49pm

आदरणीय विनय कुमार सिंह जी,बहुत ही शानदार लघुकथा लिखी है आपने, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर 

Comment by विनय कुमार on December 6, 2016 at 12:27pm

बहुत बहुत आभार आ सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी

Comment by विनय कुमार on December 6, 2016 at 12:27pm

बहुत बहुत आभार आ सुनील कुमार शाहाबादी जी

Comment by नाथ सोनांचली on December 6, 2016 at 3:54am
आदरणीय विनय कुमार सिंह जी आदाब, बेहतरीन लघुकथा पढने को मिलज। दिल से हार्दिक बधाई निवेदित है।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 5, 2016 at 10:17pm
नमस्कार आदरणीय विनय कुमार जी बहुत सुंदर और प्रेरक कथ्य से सजी लघुकथा बधाई आपको।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Apr 14
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service