For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यार गर फिर बावफ़ा हो जाएगा(ग़ज़ल)/सतविन्द्र कुमार राणा

बह्र2122 2122 212

यार गर फिर बावफ़ा हो जाएगा
प्यार मेरा फिर हरा हो जाएगा।

साथ मिल कोशिश करें सब ही सही
तो जहाँ फिर खुशनुमा हो जाएगा।

हाँ पकड़ कर बह्र को गर तुम चलो
तो गजल कहना भला हो जाएगा।

हो अकेले में जरा गर हौंसला
फिर तो पीछे काफिला हो जाएगा।

हो सही हिम्मत खुदी में दोस्तो
साथ में फिर तो खुदा हो जाएगा।

साथ रहकर बात हमदम से करो
छोड़ते ही बेवफ़ा हो जाएगा।

कुछ मुहब्बत जो करें कुदरत से भी
फिर हमें भी आसरा हो जाएगा।

प्यार का ही गर पकड़ लो रास्ता
ये जमाना आपका हो जाएगा ।

मान जिसको हम रहे इंसान ही
ख्याल खुद के में खुदा हो जाएगा।

कट नहीं पाएगी मेरी जिंदगी
इल्म गर मुझसे जुदा हो जाएगा।

दाग 'राणा' बेवफ़ाई का गलत
आम ये फिर सिलसिला हो जाएगा

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 15, 2016 at 4:16pm
आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन,आपके अनुमोदन,प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के लिए आभारी हूँ।मैं उक्त शैरको हटा दे रहा हूँ।सादर
Comment by Samar kabeer on November 10, 2016 at 8:23pm
जनाब सतविन्द्र कुमार'राणा'साहिब आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
सातवें शैर के ऊला मिसरे में'घास के क़तरे'? "क़तरे"तो तरल पद्धार्थ के होते हैं न ?और इस शैर में क़ाफ़िया दोष भी आ गया है,देखिएगा ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 10, 2016 at 4:30pm
आदरणीय सुशील सरना जी सादर नमन।इस प्रयास के अनुमोदन एवं स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए तहेदिल आभार।
Comment by Sushil Sarna on November 10, 2016 at 3:58pm

वाह आदरणीय सतविंदर जी  .... दिलकश अशआर और खूबसूरत अदायगी। .... इस सुंदर ग़ज़ल के  लिए हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service