For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्टिअरिंग पर ज़िन्दगी (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

ज़िन्दगी कार के स्टिअरिंग से बोली - "भाई, तुम भी ग़ज़ब करते हो ! पल भर में इंसान के सफ़र को नया रुख़ दे देते हो , इस लोक से उस लोक पहुंचा देते हो !"
यह सुनकर मौत बोली - "इसमें उसका क्या क्या कसूर? इंसान की बुद्धि को 'स्टिअर' तो मैं करती हूँ! मनचाही दिशा में मोड़ देती हूँ इंसानी बुद्धि को अपनी 'स्टिअरिंग' से! जब अपने पर आती हूँ न, इंसान के सारे ज्ञान और अनुभव का घमंड चूर करके पल भर में इंसान पर 'बुद्धि' या 'मति' वाले सारे मुहावरे और लोकोक्तियां लागू कर देती हूँ! चाहे वह शादी में शामिल होने जा रहा हो या उठावनी में! पिकनिक पर जा रहा हो या पर्यटन पर!"
यह सुनकर ज़िन्दगी मौत से बोली - "सही कहा तुमने, लेकिन तुम्हें नहीं मालूम कि इस काम में तुम हर बार क्यों सफल हो जाती हो?"
"मतलब क्या है तुम्हारा? क्या कहना चाहती हो ?" - मौत ने ज़िन्दगी के चारों ओर चक्कर लगाते हुए इतरा कर कहा ।
"पुरुषों के सामने महिलाओं की अनचाही चुप्पी ! सफ़र में कोई महिला नहीं चाहती कि गंतव्य तक पहुंचने के लिए ज़ल्दबाज़ी करके दुर्घटना को न्यौता दिया जाए । तेज़ स्पीड, झूठी शान, और पहले पहुंचने का उतावलापन पुरुषों में ही होता है! हमसफ़र औरतों की मर्द सुनते ही कहाँ हैं, कार में सफ़र की बात हो, या ज़िन्दगी के सफ़र की बात हो!" - ये कहकर खोये हुओं का याद करके ज़िन्दगी सिसकने लगी ।

(मौलिक व अप्रकाशित)

[कार/वाहन दुर्घटनाओं में जीवन खोने वालों के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि स्वरूप]

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 9, 2016 at 1:50pm
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर हौसला अफ़ज़ाई करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया ममता जी।
Comment by Mamta on January 9, 2016 at 1:08pm
आदरणीय उस्मानी जी बहुत अच्छी लघुकथा! खास तौर पर अंत में जहाँ औरतों के सद्गुण की चर्चा की है।
सादर ममता
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 6, 2016 at 3:35pm
मेरी इस ब्लोग पोस्ट/कथा पर उपस्थित हो कर समीक्षात्मक प्रोत्साहक टिप्पणियों के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया नीता कसार जी, जनाब समर कबीर साहब, जनाब तेज वीर सिंह साहब व जनाब सतविंदर कुमार साहब ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 6, 2016 at 11:03am
वाह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह् !बहुत खूब आदरणीय शेख शहज़ाद जी।भावों को बेहद उम्दा तरीकों से पिरोया है आपने।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 6, 2016 at 8:42am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी !बहुत गूढ बात कह दी आपने इस लघुकथा के माध्यम से!ज़िंदगी और मौत का फ़लसफ़ा, बेहद बारीक़ी से वर्णन किया है!पुनः बधाई!

Comment by Samar kabeer on January 5, 2016 at 11:04pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी,आदाब,आपकी यह लघुकथा भी कमाल की है साहिब,ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Nita Kasar on January 5, 2016 at 8:50pm
सच में मन बेहद दुखी हो जाता है जब अनायास ही लोग बिछड़ जाते है।बड़ी बारीक सी बात को बेहद सशक्त रूप से आपने पेश किया है महिलायें कुशल वाहन चालक होती है ।पर होनी के हम बेबस है ।एेसी घटनायें हमें सतर्क करती है हम सावधान होकर सफर करें ।अति संवेदनशील कथा के लिये हार्दिक बधाई आद०शेख शाहिद उस्मानी जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service