For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

याद नहीं - कुछ अशआर

जोश-ए-वस्ल में हुजूर को, उम्र का तकाजा याद नहीं

तड़पता जिस्म, भरी आँखे, कैसे हुआ कलेजा याद नहीं

 

भूल गया था वहशी, थी फकत शरारत की इक रात

हया और ज़िल्लत-ए-ज़माना, कब उठा जनाजा याद नहीं

 

होठों पे हंसी थी उनके और आँखों में चमक झलकी थी

दफ़न ही था दर्दे-दिल फिर, कैसे हुआ अंदाजा याद नहीं

 

राह बजी जब सीटियाँ, कान बंद और नज़र झुकी रहीं  

जुनूने इश्क में जालिम ने, कब कसा शिकंजा याद नहीं

 

ज़माना क्यों नहीं देखता, मन की पाकीजगी नारी की

मैले परदे की छुपन है बस कब टूटा दरवाजा याद नहीं

 

नज़ूमी क्या लिखता तकदीर “निधि” जो टूट गए अरमान

अदालत ने क्या लिखा, और क्या हुआ नतीजा याद नहीं 

निधि 

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 464

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2015 at 11:42pm

आपने कोई बहर ली भी है, आदरणीया निधिजी ? ऐसा न होने पर कोई लाभ नहीं होगा आपकी मेहनत को .. 

Comment by Shyam Narain Verma on December 17, 2015 at 5:31pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
Comment by Saarthi Baidyanath on December 17, 2015 at 2:04pm

बहुत खूब , वाह वाह 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 16, 2015 at 11:59pm

इस शानदार प्रयास पर हार्दिक बधाई आदरणीया निधि जी 

Comment by Samar kabeer on December 16, 2015 at 10:20pm
मोहतरमा निधि अग्रवाल जी,आदाब,आपने अरकान नहीं लिखे हैं,इस वजह से आपके अशआर समझने में दिक़्क़त हो रही है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service