For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संबोधन  

“देखो ये बस अब नहीं जा सकेगी खराब हो चुकी है चारो और सुनसान है  लगभग सभी सवारियां पैदल ही निकल चुकी हैं ये दो चार लोग ही बचे हैं और  बहन, मेरा गाँव पास में ही है पैदल ही चले जाएँगे सुबह खुद मैं तुम्हारे गाँव छोड़ आऊँगा  मेरे साथ चलो तुम्हारे लिए यही ठीक रहेगा”  सतबीर ने कोमल से कहा |

कोमल ने मन मे बेटी संबोधन, जो कुछ देर पहले बस में बचे हुए उन लोगों ने दिया को बहन के संबोधन से भारी तौलते हुए तथा खुद को मन ही मन  कोसते हुए  कि किस मनहूस घड़ी में वो पति से लड़कर गाँव जाने की जिद में इस बस में बैठ गई, सतबीर के साथ जाने से इनकार कर दिया|  

“कितने दूध के धुले बनते हैं आजकल के ये लड़के” सतबीर के जाने के बाद उनमे से एक कोमल के पास खिसकते हुए बोला| “बेटी ठंड लग जायेगी ले  ये चादर ओढ़ ले” दूसरे ने अपनी चादर उढाते हुए कहा” फिर तीनों कहकहा लगा कर हँस पड़े तब तक ड्राईवर भी दारू की बोतल लेकर उनके पास आ बैठा|

कोमल का बेटी संबोधन पर भरोसा मानों टुकड़े-टुकड़े हो गया वो  आसमान से गिरी खजूर में अटकी सी  हालात का मुकाबला कर ही रही थी कि अचानक अँधेरे में ही तड़ातड़ डंडों की चोट से वो चारों चिल्लाने लगे दो बाहों ने कोमल को एक तरफ खींच लिया कोमल के हाथ उसकी चूड़ियों पर पड़े तो कोमल उससे लिपट गई|

तभी दूर से किसी ने टॉर्च जलाई तो देखा चार औरतें सतबीर के साथ डंडे लेकर उन आदमियों पर टूट पड़ी थी| अब सतवीर की छवि कोमल को दूध में धुली धवल दिखाई दे रही थी|

 “उफ्फ.. इन  गंदी मछलियों को मैं समझ ही नहीं पाई एक संबोधन के छलावे में  कितना गलत फेंसला कर बैठी ” बुदबुदाते हुए कोमल उस माँ की छाती से जोर से चिपक गई |

मौलिक एवं अप्रकाशित      

Views: 594

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 18, 2015 at 9:44am

आ० विजय निकोर जी, मैं आज खुद ओबीओ पर पन्द्रह दिन बाद लौटी हूँ आपने लघु कथा को सराहा आपका  हार्दिक आभार|  

Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 3:30pm

बहुत देर के बाद ओ बी ओ पर आ पाया हूँ, और यह भावपूर्ण लघु कथा पढ़ कर आनन्द आया। हार्दिक बधाई, आदरणीया राजेश जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 3, 2015 at 12:05pm

आ० कांता रॉय जी,आपको ये लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत- बहुत आभार आपका | 

Comment by kanta roy on December 1, 2015 at 10:59am
पुर्वाग्रह से ग्रसित मन , नहीं समझ पाता है सच्चे सम्बोधन का अर्थ , बेटी ,बहन कहने वाले और उस भावनाओं को समझने वालों में बहुत फर्क हुआ करता है ।
दुविधाओं का अंत परिणाम से साक्षात् होने में ही हुआ करता है । बधाई आपको इस संवेदनशील लघुकथा के लिए आदरणीया राजेश कुमारी जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 29, 2015 at 11:10am

आ० तेजवीर सिंह जी, आपको ये लघु कथा पसंद आई मेरा  लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका |

Comment by TEJ VEER SINGH on November 28, 2015 at 7:56pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश जी!बेहतरीन लघुकथा! बहुत सुन्दर प्रस्तुति!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 28, 2015 at 6:36pm

आ० सतविंदर जी आपको कहानी पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 28, 2015 at 6:28am
बहुत ख़ूब।बेहद भावपूर्ण लघुकथा।बधाई आदरणीया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 26, 2015 at 12:18pm

बहुत- बहुत आभार सुनील वर्मा जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Mar 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service