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है हरा पीपल अभी जो....

है हरा पीपल
बहर:- 2122-2122-2122-212

है हरा पीपल अभी जो जिंदगी है आप की
कुछ कही कुछ अनकही बातें लिखी है आप की

प्रेम की तब छांव लेने को जहा थे बैठते
वो तसब्बुर वो अदाये कीमती है आप की

लोक नजरों से बचा कर जो भिजाये थे कभी
उन गुलाबों में अभी खुसबू वही है आप की

वो दुपट्टे का झटकना वो सदाये प्यार की
लफ्ज का ठिठकाव् न्यारा सादगी है आप की

(है पुरानी गर्त लिपटी कुछ किताबे वही)
कुछ पुरानी गर्त लिपटी उन किताबों में वही
वो गुलाबी कागची चिट्ठी छिपी है आप की

मुद्दतों से राह ज्योते आँख भर आई जो है
जो मेरी नजरें है प्यासी आशकी है आप की

मौलिक /अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Ravi Shukla on November 2, 2015 at 3:18pm

आदरणीय आमाेद जी  बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है बधाई स्‍वीकार करें  मेरी विनम्र राय के अनुसार इस ग़ज़ल में का क‍ाफिया और है आप की रदीफ हो रही है  इस लिहाज से मतले के उला में   जिंदगी है एक वचन और सानी मे  लिखी हैं बहुवचन हो रहा है इसी प्रकार आगे के शेर में कुछ जगह ऐसा है । इनको और टंकण की कुछ त्रुटियों को और सुधार ले तो क्‍या खूब बयान हो जाएगा ये रुक्‍न है ही ऐसा

वो दुपट्टे का झटकना वो सदाये प्यार की
लफ्ज का ठिठकाव् न्यारा सादगी है आप की ... इस शेर के भाव को महसूस ही किया जा सकता है क्‍या बात है आमोद जी  बढि़या ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 10:33am
मैंने इस गजल पर दो रदीफ़ दिए थे
अभी तक इंतजार में हु कौन सा ठीक है।
आप की===या==प्यार की
Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 10:31am
आ मिथलेश जी । आ शिज्ज्जू सर।। आ अजय सर्मा सर।। आप सभी को नमन
आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 1, 2015 at 9:42pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है आदरणीय आमोदजी हार्दिक बधाई. आदरणीय शिज्जु जी कि बात पर गौर कीजियेगा.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 1, 2015 at 7:28pm
बहुत बढ़िया आदरणीय आमोदजी कुछ जगहों पर टंकण त्रुटि है सही कर लें, पुन: ग़ज़ल हेतु बधाई
Comment by Ajay Kumar Sharma on November 1, 2015 at 2:43pm

लाजवाब ।।। आमोद जी मनमोहक रचना है।

कुछ पुरानी गर्त लिपटी ........चिट्ठी छिपी है आपकी। बेहतरीन पंक्तियां । बधाई।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 1, 2015 at 12:30pm
कांता दीदी उत्साह वर्धन के लिए आप को सादर नमन आभार
Comment by kanta roy on November 1, 2015 at 12:09pm

है हरा पीपल अभी जो जिंदगी है आप की
कुछ कही कुछ अनकही बातें लिखी है आप की----वाह !!! बहुत ही गहरी शेर बनी है। लाज़वाब !!

प्रेम की तब छांव लेने को जहा थे बैठते
वो तसब्बुर वो अदाये कीमती है आप की------ क्या कहने है ,बेहतरीन !!!!
ढेरों बधाई आपको आदरणीय अमोद जी।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 1, 2015 at 11:40am
रदीफ प्यार की अथवा आप की जो पाठक को अछि लगे नमन

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