For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : जहां था अंधेरा घना जिंदगी का

122 122 122 122

जहॉं था अंधेरा घना जि़दगी का

वहीं से मिला रास्‍ता रोशनी का

 

सलीबें न बदली न बदले मसीहा

वही हाल है आज तक हर सदी का

 

सितारे फलक से न आये उतर कर

हुआ कब ख़सारा किसी आशिकी का

 

न तुम रो सके औ हमारी अना को

सहारा मिला आरज़ी ही खुशी का

समन्‍दर सुख़न के तलाशे बहुत से

ख़जा़ना मिला है तभी शाइरी का

 

पिया है वही जाम जो दे ख़ुदाई

न अहसां उठाया न बदला सलीका

 

यही चार दिन है यहीं जी सको तो

न अफसोस होगा कभी जि़ंदगी का

मौलिक एवं अप्रकाश्‍ाित

Views: 692

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2015 at 9:50am

आदरणीय रवि भाई खूब सूरत मतला से शुरू हुआ सफर अंत तक बहुत बढिया रहा । ग़ज़ल के लिये आपको  दिली बधाइयाँ ।

यही चार दिन है यहीं जी सको तो  -----  इसे अगर यूँ कहें तो ?  यही चार दिन भी अगर जी लिये तो

न अफसोस होगा कभी जि़ंदगी का                                         न अफसोस होगा कभी जि़ंदगी का  
सोच के देखियेगा आदरणीय ।

Comment by दिनेश कुमार on August 20, 2015 at 4:09am
आदरणीय रवि शुक्ला सर, लाजवाब ग़ज़ल हुई है। हर एक शेर के लिये ढेरों दाद व मुबारकबाद सर। वाह वाह वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 19, 2015 at 9:23pm

आदरणीय रवि जी, शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद हाज़िर है-

जहॉं था अंधेरा घना जि़दगी का

वहीं से मिला रास्‍ता रोशनी का........... बेहतरीन मतला 

 

सलीबें न बदली न बदले मसीहा

वही हाल है आज तक हर सदी का.... वाह वाह 

 

सितारे फलक से न आये उतर कर

हुआ ना ख़सारा किसी आशिकी का ..... बहुत बढ़िया ....हुआ कब ख़सारा किसी आशिकी का

 

न तुम रो सके औ हमारी अना को

सहारा मिला आरज़ी ही खुशी का..... वाह वाह बढ़िया 

समन्‍दर सुख़न के तलाशे बहुत से

ख़जा़ना मिला है तभी शाइरी का............... शानदार शेर .... हासिल-ए-ग़ज़ल 

 

पिया है वही जाम जो दे ख़ुदाई

न अहसां उठाया न बदला सलीका............. बहुत खूब 

 

यही चार दिन है यहीं जी सको तो

न अफसोस होगा कभी जि़ंदगी का............. बहुत सुन्दर 

इस शानदार ग़ज़ल पर दिल से दाद कुबूल फरमाएं 

Comment by Ravi Shukla on August 19, 2015 at 9:09pm
आदरणीय हर्ष जी ग़ज़ल पर
आपकी शिरकत के लिए धन्यवाद ।
Comment by Harash Mahajan on August 19, 2015 at 8:10pm
वाह ...."सलीबें नहीं बदलीं न बदले मसीहा" बहुत खूब......आ0 रवि शुक्ला जी हर शेर पर दाद सर ।साभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आपका टिप्पणी व सुझाव के लिए हार्दिक आभार। एक निवेदन है कि — काम की कोई मानता…"
23 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है।  ग़ज़ल 2122 1212 22 .. इश्क क्या…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, सबसे पहले ग़ज़ल पोस्ट करने व सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल 2122 1212 22..इश्क क्या चीज है दुआ क्या हैंहम नहीं जानते अदा क्या है..पूछ मत हाल क्यों छिपाता…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service