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ग़ज़ल :- ईद उससे कोई मिला ही नहीं

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन /फ़ेलान


आके इसमें कोई रुका ही नहीं
दश्त-ए-दिल में कोई सदा ही नहीं

आँख कहती है दूर है वो बहुत
दिल ये कहता है फ़ासला ही नहीं

जिसमें ख़तरा हो हार जाने का
खेल मैं ऐसे खेलता ही नहीं

ये तो मैदान-ए-हश्र है भाई
याँ, कोई झूट बोलता ही नहीं

दर्द-ए-दिल का इलाज ढूँढते हो
दर्द-ए-दिल की कोई दवा ही नहीं


सबके मुंह देखता रहा वो ग़रीब
ईद उससे कोई मिला ही नहीं

मेरा अपना ख़याल तो ये है
चाँद पर आदमी गया ही नहीं

सच कहा है "समर" बुज़ुर्गों ने
इश्क़ की कोई इन्तिहा ही नहीं

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 667

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Comment by Samar kabeer on July 21, 2015 at 11:24pm
जनाब मनोज कुमार अहसास जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on July 21, 2015 at 11:23pm
जनाब मिथिलेश वामानकर जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 21, 2015 at 11:02am
आदरणीय समर भाई , बढिया गज़ल कही है आपने , दिली मुबारक बाद कुबूल कीजिये ।
आँख कहती है दूर है वो बहुत
दिल ये कहता है फ़ासला ही नहीं === लाजवाब !!
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 21, 2015 at 10:36am
बहुत खूब समर साहब, खूबसूरत अश’आर हुए हैं। दाद कुबूल कीजिए

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 20, 2015 at 10:47pm

आँख कहती है दूर है वो बहुत
दिल ये कहता है फ़ासला ही नहीं---वाह 

जिसमें ख़तरा हो हार जाने का
खेल मैं ऐसे खेलता ही नहीं-----शानदार 

सबके मुंह देखता रहा वो ग़रीब
ईद उससे कोई मिला ही नहीं----बहुत मार्मिक गरीब को कौन पूछता है आजकल 

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० समर कबीर भाई जी,दिल से बधाई लीजिये साथ में ईद की भी  हार्दिक बधाई 

Comment by मनोज अहसास on July 20, 2015 at 10:43pm
बहुत खूब
बेहतरीन
शानदार
बेमिसाल
इश्क़ की कोई इंतहा ही नहीं
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 20, 2015 at 6:00pm

आदरणीय समर कबीर जी, बेहतरीन मतला, शानदार अशआर और लाज़वाब मक्ता 

दाद दाद दाद 

ये कमाल हुआ है- 

दर्द-ए-दिल का इलाज ढूँढते हो
दर्द-ए-दिल की कोई दवा ही नहीं

सबके मुंह देखता रहा वो ग़रीब
ईद उससे कोई मिला ही नहीं

मेरा अपना ख़याल तो ये है
चाँद पर आदमी गया ही नहीं

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