For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई मांग रहा, कोई छीन रहा।

कोई मांग रहा,
कोई छीन रहा।
तेरा मेरा करता मानव,
सब पा कर भी क्यों दीन रहा।

पत्थर युग से,
मंगल युग तक।
सूरत बदली मूरत बदली,
मन से फिर भी हीन रहा।

छू ले चांद,
कई बार भले।
पर धरती की अनदेखी है,
जहां बचपन कूड़ा बीन रहा।

क्षण भर 'देवी',
फिर खेल खिलौना।
धरा गगन को रोना आया,
तू ईश होकर भी,
समाधि में ही लीन रहा।

जीत लिया जग,
बना सिकंदर।
जाते जाते अपने दो क्षण,
विश्व विजेता मुर्दो का,
क्यों छीन रहा क्यों छीन रहा

'विरेन्दर वीर मेहता'

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 5, 2015 at 10:09am

सुन्दर प्रस्तुति ! हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by shree suneel on June 4, 2015 at 9:14am
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय. आपको बधाइयाँ.
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 3, 2015 at 11:18pm
आद: मोहन जी प्रोत्साहन भरे शब्दो के लिये आपका हार्दिक आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 3, 2015 at 11:12pm
आदरणीय विनय कुमार जी आप का तहे दिल से आभार। आप के शब्दो ने सदैव मेरा मार्ग प्रश्सत किया है।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 3, 2015 at 11:08pm
आदरणीय समर कबीर भाई और नरेन्दर सिंह जी रचना पर समय देने और प्रोत्साहित करने के लिये आप लोगो का हार्दिक आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 3, 2015 at 11:07pm
आदरणीय समर कबीर भाई और नरेन्दर सिंह जी रचना पर समय देने और प्रोत्साहित करने के लिये आप लोगो का हार्दिक आभार।
Comment by maharshi tripathi on June 3, 2015 at 11:05pm

जीत लिया जग,
बना सिकंदर।
जाते जाते अपने दो क्षण,
विश्व विजेता मुर्दो का,
क्यों छीन रहा क्यों छीन रहा,,,,,,,,इस पंक्ति आपको हार्दिक बधाई आ.VIRENDER VEER MEHTA जी 

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 3, 2015 at 11:03pm
आद श्याम नारायन जी रचना पर आप के अमूल्य शबदो के लिये दिल से शुक्रीया।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 3, 2015 at 11:01pm
आद: शिज्जु जी प्रोत्साहन के लिये आपका हार्दिक आभारी हूँ आप लोगो के शब्दो से ही मेरा मनोबल बढ़ता है।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 3, 2015 at 10:58pm
आदरणीय कृष्ण मिश्राजी हौसला अफजाई के लिये आपका हार्दिक आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service