For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो तेरे इश्क़ में दरिया होना
सिमटकर आज ज़रा सा होना

होश में आके हमने जाना है
कितना मुश्किल था तमाशा होना

तुमको देखा वो सब याद आया
क्या न हो पाना और क्या होना

गलतियां तुममे ढूंढ़ ली मालिक
हमसे हो पाया ना इन्सां होना

गुनाह इस ग़ज़ल का उतरना है
या फिर इसमें ना तेरा होना

तहज़ीब हमसे कोई निभ न सकी
ज़िन्दगी या के काफ़िया होना

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 376

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2015 at 10:41pm

होश में आके हमने जाना है
कितना मुश्किल था तमाशा होना...  बहुत उम्दा कहन ..

लेकिन आपको अपने कहे को ग़ज़ल बताने के लिए मेहनत करनी होगी. 

शुभेच्छाएँ

Comment by मनोज अहसास on May 10, 2015 at 9:32am
नमस्कार सर
आदरणीय वीनस जी
बहुत इंतज़ार किया मैंने आपका
आपको शायद याद होगा इस मंच तक आप ही मुझे लाये है
और आपने ग़ज़ल के बारे में बहुत सारी बातें मुझे फ़ोन पर बताई भी थी
पर बिजी होने की वजह से मै उन पर ध्यान नहीं दे पाया और एक बात ये कि अब पुराणी आदत कैसे सुधरेगी ये भी सोचने का विषय है
फिर भी मेरी तरफ निगाह रखिये इनायत होगी
सादर
Comment by वीनस केसरी on May 10, 2015 at 12:28am

जहाँ रचना की उन्नत भाव दशा प्रेरित करती है .. वहीं शिल्प के प्रति आग्रही होना पड़ेगा
सादर

Comment by मनोज अहसास on May 8, 2015 at 8:30pm
बहुत आभार सर
मेरी ओर आपकी निगाह है बहुत आभार सर
Dr.Vijai shanker जी
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 8, 2015 at 6:20pm
बहुत सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति, बधाई, आदरणीय मनोज कुमार जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service