For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नैतिक बुनियाद (लघुकथा)

"अरे! कमलजी आप यहां 'जाॅब' कर रहे है, सरकारी 'रिटायरमेन्ट' के बाद फिर से।" अरूणजी एक निजी कम्पनी में कमलजी से मिलने पर कुछ हैरत से बोले।
"हाँ भाई। अभी कुछ जिम्मेदारियाँ शेष रह गयी है, पूरी तो करनी ही पड़ेगी ना। कमल जी धीरे से हॅसकर बोले।
"अब कमल बाबु इसमें मे भी दोष आपका ही है, यदि आप हमारे कहे से चले होते है तो आर्थिक बुनियाद का खोखलापन आपको छूता भी नही।" अरूण जी अर्थपूर्ण मुस्कराहट से बोले।
"मेरा ये खोखलापन तो देर सवेर भर ही जायेगा अरूण भाई.....।"
"लेकिन आप जैसे लोगो के विचार न जाने कितनो की नैतिक बुनियाद को खोखला कर चुके है, उनका क्या होगा?"
कमल बाबु गम्भीर हो चुके थे।

'विरेन्दर वीर मेहता' (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 518

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:45pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी कथा पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार .... "आपने कहा रचना में और गहराई होनी चाहिए,  संभव है कि कही 'कंसंट्रेशन' की कमी से कथा में पूरण प्रभाव न आ पाया हो"   कोशिश करूँगा आप की आशाओं पर भविष्य में पूरा उत्तर सकू!... सादर प्रणाम ....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:39pm

आदरणीय शशि बंसल जी कथा पर आपके अमूल्य कमेंट्स के लिए दिल से आभार ...

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:38pm

बही जीतेंदर पस्त्तारिया जी कथा पर आपके स्नेह्हिल शब्दों के लिए हार्धिक आभार ..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:36pm

आदरणीय ज्योतसना कपिल जी कथा पर सार्थक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल से आभार ....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:34pm

आदरणीय मितिलेश भाई कथा पर सुन्दर प्रतिक्रिया से हौसल्ला अफजाई के लिए हार्धिक आभार....

Comment by shashi bansal goyal on May 8, 2015 at 6:57pm
आदरणीय वीर मेहता जी बहुत सार्थक लघु कथा हुई है बधाई आपको ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 7, 2015 at 10:17pm

इस कहन को समेटती लघुकथाओं में जो गहराई होनी चाहिये वह इस कथा में और होनी चाहिये. लेकिन प्रभावी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ.

शुभेच्छाएँ आदरणीय

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 6, 2015 at 11:43pm

बेहतर लघुकथा , आदरणीय वीर जी. शीर्षक, कथ्य सभी कसे हुए है और लघुकथा पूर्ण प्रभाव छोड़ रही है, हार्दिक बधाई

Comment by jyotsna Kapil on May 6, 2015 at 5:55pm
बहुत बेहतरीन व सोचने को मजबूर करती लघुकथा।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 6, 2015 at 5:31pm

आदरणीय वीरेंदर जी बहुत ही बेहतरीन लघुकथा 

अपने मर्म को संकेत से अभिव्यक्त करने में पूर्णतः सफल 

पंच लाइन अपना पूरा प्रभाव दिखा रही है 

बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
19 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
20 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
21 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service