सैलाब
मानव-प्रसंगों के गहरे कठिन फ़लसफ़े
अब न कोई सवाल
न जवाब
कहीं कुछ नहीं
"कुछ नहीं" की अजीब
यह मौन मनोदशा
अपार सर दर्द
ठोस, पत्थर के टुकड़े-सा
हृदय-सम्बन्ध सतही न होंगे, सत्य ही होंगे
वरना वीरान अन्तस्तल-गुहा में
दिन-प्रतिदिन पल-पल पल छिन
गहन-गम्भीर घावों से न रिसते रहते
दलदली ज़िन्दगी के अकुलाते
अर्थ अनर्थ
कुछ हुआ कि झपकते ही पलक
विश्व-दृश्य सारा अचानक बदल गया
ज़िन्दगी का घड़ा उस अमुक पल में
धड़ाम
हाथ से छूटा
आस्था का अस्थि-पंजर फूट गया
कोई नहीं है, किसे पुकारूँ...
किससे कहूँ ... क्या करूँ ... ?
नपुंसक हुए तथ्यों की, आत्मज सत्यों की
नव-विधवा-सी स्थिति
न कोई सवाल
न जवाब
भयावनी चीखें
और कुछ नहीं
- विजय निकोर
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
//एक अदृश्य दर्द ली हुई, पंक्तियाँ. भाव अंतर को भेद देते है//
आदरणीय जितेन्द्र जी, रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।
आस्था का अस्थि-पंजर फूट गया...आदरणीय vijay nikore जी बहुत प्रभावी रचना हुई है ......बधाई....सादर
नपुंसक हुए तथ्यों की, आत्मज सत्यों की
नव-विधवा-सी स्थिति
न कोई सवाल
न जवाब
भयावनी चीखें
और कुछ नहीं.......एक अदृश्य दर्द ली हुई, पंक्तियाँ. भाव अंतर को भेद देते है, बधाई सर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online